जगदलपुर । जल जीवन मिशन के अंतर्गत बस्तर जिले में 16 गांवों के स्वीकृत करोड़ों रुपए के कार्य लटकाने वाले 10 ठेकेदारों पर जिला प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। कार्यों में लापरवाही और धीमी प्रगति को लेकर कलेक्टर एवं अध्यक्ष जिला जल एवं स्वच्छता समिति हरिस एस ने 10 ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। यह कार्रवाई 2 सितंबर को कलेक्टर कार्यालय में हुई बैठक के बाद की गई। उक्त कार्रवाई से ठेकेदारों में हड़कम्प मच गया है।
बैठक में कलेक्टर ने स्पष्ट रूप से कहा कि मिशन मोड में संचालित इस योजना के तहत सभी ठेकेदारों को अपने कार्यों को निर्धारित समय-सीमा में पूरा करना होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कोई ठेकेदार या एजेंसी आगे भी लापरवाही बरतेगी या प्रगति में सुधार नहीं करेगी, तो उनके खिलाफ और सख्त कदम उठाए जाएंगे, जिसमें ब्लैक लिस्टिंग के अलावा वास्तविक प्रगति का मूल्यांकन और ठोस कार्रवाई शामिल होगी। कलेक्टर ने जोर देकर कहा, जल जीवन मिशन में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बैठक के दौरान यह सामने आया कि ब्लैक लिस्टेड ठेकेदारों ने नोटिस जारी करने के बावजूद कार्यों में कोई प्रगति नहीं दिखाई। इन ठेकेदारों को 16 ग्रामों के टेंडर सौंपे गए थे, लेकिन उन्होंने कार्य शुरू नहीं किया या अधर में छोड़ दिया। ब्लैक लिस्टिंग का मुख्य आधार कार्यों में उदासीनता, समय पर पूर्ण न करना और योजना की भावना के विपरीत व्यवहार रहा। कलेक्टर ने बैठक में उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिए कि योजना के तहत सभी कार्यों की नियमित समीक्षा की जाए और प्रगति रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत की जाए। जल जीवन मिशन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना है, और इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
👉इन फर्मों की अमानत राशि राजसात,हुए ब्लैकलिस्टेड
अमानत राशि राजसात कर ब्लैक लिस्टेड ठेकेदारों की सूची में यादव कन्स्ट्रक्शन जगदलपुर, गणपति सेल्स जगदलपुर, व्हीआर कन्स्ट्रक्शन जगदलपुर, बीआर.इन्वायारा सॉल्यूशन भिलाई, बंशीलाल गंजीर भानपुरी, आरबी ड्रिलर्स केशकाल, छत्रपति कन्स्ट्रक्शन जगदलपुर, भारत इन्फ्रा केशकाल, किसान बोरवेल्स केशकाल एवं लखन सिंह रायपुर शामिल हैं।
👉 पीएचई के अफसरों की नाकामी हुई उजागर !

जगदलपुर जिला मुख्यालय के साथ साथ बस्तर संभाग का मुख्यालय भी है । बावजूद इसके पीएचई के अफसरों की जल जीवन मिशन के स्वीकृत कार्यों को लेकर विशेष रुचि नजर नहीं आई। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार पीएचई के उप अभियंता न स्वीकृत कार्यों का प्राक्कलन अनुरुप सतत रूप से मूल्यांकन कर पा रहे हैं न सहायक अभियंता कार्यों का गाइडलाइंस अनुरुप सत्यापन कर पा रहे। यही नहीं ईई का भी फर्मों पर कोई नियंत्रण नहीं हैं।फर्मों को किए गए भुगतान भी संदेहास्पद हैं। जिसकी जांच की दरकार है। जन सामान्य से जल जीवन मिशन की जानकारी आरईआई तक में छुपाई जा रही। वो तो प्रकरण में सुखद पहलू है कि जिले के कलेक्टर तेज तर्रार छवि के हैं नहीं तो फर्मों को आज तक संरक्षण ही दिया जाता रहा है।