CG : दर्ज नान घोटाला मामले और ED की जांच को प्रभावित करने की कोशिश के आरोपी रिटायर्ड IAS आलोक शुक्ला की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट से रद्द, सरेंडर करने स्पेशल कोर्ट पहुंचे शुक्ला को जज ने यह कहकर वापस लौटाया ,कभी भी हो सकती है गिरफ्तारी …..

रायपुर/भिलाई। सुप्रीम कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद रिटायर्ड आईएएस अफसर आलोक शुक्ला अपने अधिवक्ता के साथ स्पेशल कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने यह कहते हुए सरेंडर कराने से इनकार कर दिया कि अभी सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर अपलोड नहीं हुआ है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद ही सरेंडर करने की बात कही। कोर्ट की समझाइश के बाद बाद आलोक शुक्ला वापस लौट गए।

बता दें कि, गुरुवार सुबह भिलाई में ईडी की टीम ने उनके आवास पर तड़के छापा मारा। सुबह करीब छह बजे शुरू हुई इस कार्रवाई में एजेंसी के अधिकारी आलोक शुक्ला के घर को पूरी तरह घेरकर घंटों तलाशी अभियान चलाए। इस दौरान कई संदिग्ध दस्तावेज़ और डिजिटल रिकॉर्ड जब्त किए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि ये दस्तावेज़ और डेटा घोटाले में नए नाम और कड़ी कार्रवाई के लिए अहम हो सकते हैं।

अधिवक्ता फैजल रिजवी बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आलोक शुक्ला ED कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचे थे, लेकिन कोर्ट ने कहा कि अभी सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर आया नहीं है, जब ऑर्डर आ जाएगा तो आप ऑर्डर के साथ आइए। बता दें, सीजी नान घोटाला में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला अग्रिम जमानत। को रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह कस्टोडियल और ज्यूडिशियल रिमांड के आदेश दिए हैं। अब दोनों अधिकारियों को एक बार की कस्टडी में जाना पड़ेगा।

👉क्या कहा है सुप्रीम कोर्ट ने

सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत रद्द होने के बाद अब दोनों अफ़सर को पहले दो सप्ताह ईडी की हिरासत और उसके बाद दो सप्ताह न्यायिक हिरासत में रहना होगा। इसके बाद ही उन्हें जमानत मिल सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपियों ने 2015 में दर्ज नान घोटाला मामले और ईडी की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी। उस समय दोनों अधिकारी महत्वपूर्ण पदों पर तैनात थे। सुप्रीम कोर्ट इस फैसले के बाद जाँच एजेंसियों के लिए आरोपियों की गिरफ्तारी का रास्ता आसान हो गया है। अब जाँच एजेंसियाँ बिना किसी कानूनी अड़चन के टुटेजा और आलोक शुक्ला को गिरफ्तार कर सकती है।

👉 ED, EOW के लिए डेड लाइन तय

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी और ईओडब्ल्यू को जांच पूरी करने के लिए तय समय सीमा दी है। जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की डिविज़न बेंच ने ईडी को तीन महीने और ईओडब्ल्यू को दो महीने में जांच पूरी करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि लंबित मामलों का निपटारा समय पर होना चाहिए।
इससे पहले आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने इस घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा और रायपुर के कारोबारी अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया था। दोनों से हुई लंबी पूछताछ के बाद ईडी को कई महत्वपूर्ण इनपुट प्राप्त हुए। इसी आधार पर भिलाई में यह बड़ी कार्रवाई की गई।