मार्च 2021 से भारत में चार बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। इन बदलावों का आपकी जिंदगी पर सीधा असर पड़ेगा। इन नए नियमों से एक ओर जहां आपको राहत मिलेगी, वहीं अगर आपने कुछ बातों का ध्यान नहीं रखा तो आपको आर्थिक नुकसान भी हो सकता है। इनमें बुजुर्गों को लगने वाला कोरोना का टीका, सरकार की विवाद से विश्वास योजना की आखिरी तारीख, बैंक ग्राहकों के आईएफएससी कोड, आदि शामिल हैं। आइए जानते हैं इन महत्वपूर्ण बदलावों के बारे में।बुजुर्गों को लगेगा कोरोना का टीका
भारत समेट दुनियाभर के देशों में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान काफी तेजी से चल रहा है। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण करीब एक साल तक देश ही नहीं विश्व की चिंता बढ़ा दिया था।
लेकिन देश में 60 या उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए खुशखबरी है। बुजुर्गों को सरकार मार्च महीने से कोरोना का टीका लगाना शुरू कराने जा रही है। 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को कोविड का टीका लगने लगेगा। अभी तक वैक्सीन उच्च जोखिम ग्रुप के लोगों को दी जा रही है। इसके साथ ही सप्लाई और डिमांड के अनुरूप अलग-अलग चरण बनाए गए हैं। हालांकि आने वाले समय में कई और वैक्सीन आने वाली हैं। अगर ये सफल होती हैं तो वैक्सीन की सप्लाई आसान हो जाएगी।
इन बैंक ग्राहकों का बदलेगा IFSC कोड
अगर आपका खाता बैंक ऑफ बड़ौदा में है तो ये खबर आपके लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। एक अप्रैल 2019 से विजया बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विलय प्रभावी हो गया था। इसके बाद देना बैंक और विजया बैंक के ग्राहक बैंक ऑफ बड़ौदा के ग्राहक बन गए। अब बैंक ने आगाह किया है कि एक मार्च 2021 से विजया बैंक और देना बैंक के आईएफएससी कोट काम नहीं करेंगे। ग्राहकों को एक मार्च से ग्राहकों को नए आईएफएससी कोड का इस्तेमाल करना होगा। ग्राहक नए कोड से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए बैंक की वेबसाइट पर जा सकते हैं।
खुलेंगे पांचवीं कक्षा तक के विद्यालय
एक मार्च से उत्तर प्रदेश और बिहार में पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थी ऑफलाइन पढ़ाई के लिए विद्यालय आ सकेंगे। ऑफलाइन कक्षाएं शुरू कराने की तैयारी शिक्षा विभाग ने पूरी कर ली है। स्कूलों में साफ-सफाई कराने के साथ ही सैनिटाइज कराने का काम किया जा रहा है। सतर्कता और सावधानी के साथ प्राथमिक स्कूलों में ऑफलाइन कक्षाएं लगाई जाएंगी। स्कूलों में आने के लिए अभिभावकों का सहमति पत्र शिक्षा विभाग की ओर से अनिवार्य किया गया है। इसके बिना छात्रों को स्कूल में प्रवेश नहीं मिलेगा।