रायपुर । नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर राजनीतिक हलचल है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य की भाजपा सरकार और सुरक्षा बलों को बधाई देते हुए कहा कि नक्सलियों का मुख्यधारा में लौटना ‘विश्वास-विकास-सुरक्षा’ नीति की सफलता का परिणाम है।
बघेल ने कहा कि मुझे खुशी है कि राज्य सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री जी ने पहले की तरह हमारी ‘विश्वास-विकास-सुरक्षा’ नीति को आगे बढ़ाया है।
साथ ही भूपेश बघेल ने कहा कि आज बस्तर में माओवादियों का बड़े पैमाने पर आत्मसमर्पण इस राष्ट्रीय लड़ाई के अंत की दिशा में सकारात्मक कदम है। हम सब मिलकर जीतेंगे। सरकार और सुरक्षा बलों को बधाई। भूपेश ने यह बातें इंटरनेट मीडिया एक्स पर लिखीं।

इस पर भाजपा सरकार के वनमंत्री केदार कश्यप ने भूपेश को शुक्रिया कहते हुए पूछा कि यह आपकी निजी राय है या कांग्रेस का आधिकारिक बयान है?, हालांकि भूपेश के इस बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में चर्चा शुरू हो गई है।
बता दें कि शुक्रवार को जगदलपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में 208 माओवादियों ने भारतीय संविधान की प्रति लेकर आत्मसमर्पण किया। इनमें 110 महिलाएं और 98 पुरुष शामिल हैं, जो प्रतिबंधित संगठन सीपीआइ (माओवादी) के विभिन्न स्तरों पर सक्रिय थे।
👉2018 में हमने बनाई थी माओवाद उन्मूलन नीति-भूपेश
भूपेश ने लिखा कि 2018 में कांग्रेस सरकार आने के बाद पहली बार माओवाद उन्मूलन नीति बनाई गई। बड़ी संख्या में कैंप खोले गए, सड़कें बनीं, स्कूलों में घंटियां गूंजीं और माओवादियों के गढ़ों में घुसकर उन्हें चुनौती दी गई। बघेल ने कहा कि इस अभियान में केंद्रीय गृह मंत्री
अमित शाह का भी सहयोग रहा और इसे देश की साझा चुनौती के रूप में स्वीकार किया गया।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ ने माओवाद के कारण दशकों तक पीड़ा झेली है। हमने बड़ी संख्या में जवानों, आदिवासियों और कांग्रेस पार्टी ने अपने शीर्ष नेतृत्व तक को खोया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में डेढ़ दशक तक रही भाजपा सरकार माओवाद के खिलाफ इच्छाशक्ति नहीं दिखा सकी। यह बात सुरक्षा सलाहकार केपीएस गिल साहब ने भी कही थी।
👉केदार कश्यप ने साधा निशाना- कांग्रेस की दोहरी राजनीति
भूपेश बघेल के बयान पर राज्य के वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि तारीफ के लिए धन्यवाद भूपेश बघेल जी। बस यह स्पष्ट कर दीजिए कि यह आपकी निजी राय है या कांग्रेस का आधिकारिक बयान? आपकी पार्टी के प्रवक्ता तो इसे एक ‘इवेंट’ बता रहे थे और प्रदेश अध्यक्ष असली-नकली नक्सली का प्रश्न उठाकर इस लड़ाई को कमजोर करने में लगे हैं।
केदार कश्यप ने कांग्रेस पर जनजाति विरोधी और माओवादी समर्थक नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जिस झीरम का आप जिक्र कर रहे हैं, उसी दरभा घाटी हमले में राहुल गांधी ने बिलासपुर में माओवादियों को क्लीन चिट दे दी थी। आपकी पार्टी के नेताओं ने महेंद्र कर्मा जी का साथ देने के बजाय उनके ‘सलवा जुडूम’ का विरोध किया था। अगर कांग्रेस ने तब समर्थन दिया होता तो यह लड़ाई इतनी लंबी नहीं चलती। कांग्रेस की यह दोहरी नीति देश के लिए खतरनाक है।
साथ ही केदार कश्यप ने कहा कि हाल ही में आपकी पार्टी ने सलवा जुडूम विरोधी पूर्व जज को उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया था। देश की आंतरिक सुरक्षा जैसे गंभीर विषयों पर इस तरह की सस्ती और दोहरी राजनीति से कुछ भी भला नहीं होगा।
👉अब फिर बोले भूपेश- हम बस्तर को बिकने नहीं देंगे
माओवादियों के आत्मसमर्पण को लेकर लगातार दूसरे दिन शनिवार को भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक्स पर पोस्ट कर भाजपा सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि बस्तर को खुशहाल बनाने की दिशा में काम कांग्रेस सरकार ने शुरू किया था और आगे भी इसे जारी रखेगी। माओवाद को राजनीतिक हथियार बनाकर छत्तीसगढ़ की जनता के साथ दोहरी राजनीति न की जाए।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि माओवादी हिंसा मुक्ति के नाम पर हम बस्तर को बिकने नहीं देंगे। बघेल ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि आज माओवादी आत्मसमर्पण कर रहे हैं तो यह कांग्रेस सरकार की ‘विश्वास, विकास और सुरक्षा’ नीति का परिणाम है। उन्होंने कहा कि जब माओवाद कमजोर पड़ रहा है, तब भी भाजपा कांग्रेस पर झूठे आरोप लगाकर
राजनीति कर रही है।
👉माओवाद की सबसे बड़ी कीमत कांग्रेस ने चुकाई है- भूपेश बघेल
बघेल ने फिर याद दिलाया कि माओवाद और आतंकवाद की सबसे बड़ी कीमत कांग्रेस ने चुकाई है। हमारे शीर्ष नेता माओवादी हमले में बलिदान हुए, लेकिन उस हमले की जांच को भाजपा ने हर बार रोका। उन्होंने कहा कि बस्तर ने जो दर्द झेला है, उसकी जिम्मेदार भाजपा की 15 वर्ष की सरकार है। केंद्र में उनकी सरकार होते हुए भी कुछ नहीं किया गया। कांग्रेस बस्तर में शांति और समृद्धि का कार्य आगे भी जारी रखेगी।