KORBA : एग्रीस्टैक पोर्टल में पंजीयन की अस्पष्टता बनी किसानों के गले की फांस ,पोर्टल में अप्रविष्ट खसरा रकबा में नहीं बेच पा रहे धान ,खसरा सुधार के लिए समितियों का लगा रहे चक्कर ,हड़ताल की वजह से तुमान ,भैसमा में लौटते दिखे बेरंग ….

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा ।
एग्रीस्टैक पोर्टल में पंजीयन की अनिवार्यता के साथ स्पष्टता के अभाव ने किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है। एग्रीस्टैक पोर्टल में अब ऐसे किसान धान नहीं बेच पा रहे जिन्होंने एग्रिस्टैक पोर्टल में एक से अधिक खसरा -रकबा होने के बावजूद महज एक ही खसरे का पंजीयन कराया है। नियमों में संसोधन के बाद अब एग्रीस्टैक पोर्टल में पंजीयन से छूटे खसरा -रकबा का धान नहीं लिया जा रहा है। संशोधन के लिए महज 13 दिन का समय शेष होने की वजह से किसान समितियों के चक्कर काट रहे। सहकारी कर्मचारियों के हड़ताल की वजह से सोमवार को तुमान ,भैसमा उपार्जन केंद्र पहुँचे किसान हसदेव की पड़ताल में बेरंग वापस लौटते दिखे।

यहाँ बताना होगा कि एग्रीस्टैक पोर्टल भारत सरकार द्वारा विकसित एक यूनिफाइड एग्रीकल्चर डेटाबेस है, जिसमें किसानों का भूमि एवं आधार लिंक्ड पंजीयन किया जाता है। पंजीकरण उपरांत किसानों को एक यूनिक फार्मर आईडी (Unique Farmer ID) प्राप्त होती है। यह आधार लिंक्ड डेटाबेस शासन की विभिन्न योजनाओं के लाभ केवल वास्तविक पात्र किसानों तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के तहत किसानों को सीधे भुगतान किया जाता है। अतः शासन की मंशा है कि सभी पात्र किसान सुशासन एवं पारदर्शिता के साथ इस योजना का वास्तविक लाभ प्राप्त करें। यही वजह है कि इस साल एग्रीस्टैक पोर्टल में पंजीकृत किसानों से ही धान लिया जा रहा है। एक तरफ एग्रीस्टैक पोर्टल में तकनीकी खामियों की वजह से पंजीयन की मियाद तीसरी बार बढ़कर 30 नवंबर हो गई है तो वहीं दूसरी ओर पंजीयन की शुरुआत में नियमों की अस्पष्टता अब किसानों की मुसीबत बन गई है। शुरुआत में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि एग्रीस्टैक पोर्टल में सभी बोनी खसरों -रकबों की पंजीयन प्रविष्टि करानी है । लिहाजा एक से अधिक ऋण पुस्तिका व खसरा वाले किसानों ने केवल एक ही खसरे का पंजीयन कराया। अब पखवाड़े भर पूर्व नियमों में सरकार ने संशोशन कर एग्रीस्टैक पोर्टल में पंजीकृत खसरे को ही धान खरीदी के लिए मान्य किया है। स्पष्ट है कि जिन बोनी खसरों की प्रविष्टि हुई है उसी में उपार्जित धान समर्थन मूल्य पर लिए जाएंगे। यह नियम भी 31 अक्टूबर के आसपास की बताई जा रही है।समिति के कर्मचारियों ने एगग्रीस्टैक पोर्टल में छूटे खसरे की प्रविष्टि के लिए अपने स्तर पर समिति के कर्मचारियों से संपर्क कर उन्हें नियमों से अवगत कराते हुए पोर्टल में जाकर आईडी अपडेट कराकर खसरा प्रविष्ट कराने की बात कही। कुछ जागरूक किसानों ने यह कार्य कराया पर अभी भी बड़े पैमाने पर किसान छूट गए हैं । जो धान खरीदी शुरू होने के साथ खसरों की एंट्री कराने समितियों का रुख कर रहे।

इधर 4 सूत्रीय मांगों को लेकर बेमियादी हड़ताल पर गए सहकारी समितियों के कर्मचारियों का सरकार के एस्मा लगाने कुछ साथियों पर एफआईआर की कार्रवाई के बाद भी प्रदर्शन जारी है। जिसने किसानों की मुसीबत और बढ़ा दी है।

हसदेव एक्सप्रेस की पड़ताल में बरपाली ब्रांच के अधीन आने वाले उपार्जन केंद्र तुमान एवं भैसमा से ऐसे किसान निराश वापस लौटते नजर आए। जिन्होंने इस अव्यवस्था पर निराशा और नाराजगी जाहिर की। बताया जा रहा है जिले में ऐसे किसानों की संख्या तकरीबन 2 हजार से अधिक हो सकती है। जो धान खरीदी शुरू होने के बाद धीरे धीरे समितियों का रुख करने लगे हैं। जिले में 44 हजार 427 किसानों का एग्रीस्टैक पोर्टल में पंजीयन होना है।

जानें क्या कहते हैं किसान 👇

👉समिति के कर्मचारी हड़ताल में नहीं हुआ सुधार,सुध ले सरकार

उपार्जन केंद्र तुमान पहुंचे ढोंढातराई के किसान दिलेश्वर सिंह कंवर ने कहा कि उनकी पत्नी के नाम पर ऋण पुस्तिका है जिसमें वे धान बेचते आ रहे,पर इस साल खाता में बोनी रकबे में कटौती हो गई है। जिसे सुधरवाने वे आए थे पर समिति के कर्मचारियों के हड़ताल व वैकल्पिक व्यवस्था के तहत नियुक्त कर्मचारियों की अक्षमता की वजह से वे निराश वापस लौट रहे। उन्होंने किसान हित में जल्द हड़ताल समाप्त कराने सरकार से गुजारिश की ।

👉बोनी खसरा काट दिए ,कैसे लौटाऊंगा कर्ज

उपार्जन केंद्र भैसमा पहुंचे किसान सूरज सिंह कंवर ने बताया कि उनके भी बोनी खसरे में भारी कटौती कर दी गई है। वे 26 क्विंटल की जगह 8 क्विंटल ही धान बेच सकेंगे। उन्होंने बताया कि वे समिती से 20 हजार का कर्ज ले रखे हैं जिसके अदायगी की चिंता उन्हें सता रही है। सूरज ने भी बताया कि वे इसकी सुधार के लिए पटवारी के लिए समिति का चक्कर काट रहे।

👉क्या करना होगा

एग्रीस्टैक पोर्टल में छूटे खसरा-रकबा की प्रविष्टि/पंजीयन के लिए किसान को (कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) या समिति जाना होगा। किसान ID अपडेट कराने के बाद रकबा प्रविष्ट कराना होगा । तत्पश्चात वो पटवारी -तहसीलदार की आईडी में एप्रूवल के लिए जाएगा। उनके एप्रूवल के बाद ही उस खसरे में धान बिक्री की अनुमति मिल पाएगी। लेकिन राजस्व अमले की व्यस्तता की वजह से किसानों को खसरा प्रविष्टि कराने में भी दिक्कतों से जूझना पड़ रहा।

👉भैसमा में चबूतरा निर्माण में सुस्ती ,धान खरीदी हो गई शुरू अब ढलाई की कर रहे तैयारी,एक भूमि विवाद में अटका

उपार्जन केंद्र भैसमा में धान खरीदी की पुख्ता तैयारी नहीं हो पाई है। शासन से समय पर पर्याप्त राशि मिलने के बावजूद चूबतरा की ढलाई नहीं हो पाई है। हसदेव एक्सप्रेस की पड़ताल में चबूतरा ढलाई के लिए सरिया -सेंटरिंग बंधाई स्तर का कार्य नजर आया। वहीं उपार्जन केंद्र स्थल पर ही एक अन्य चबूतरा निर्माण के लिए चिन्हित जगह में भूमि विवाद का निराकरण नहीं हो पाने की वजह से कार्य लटका है। जानकारी अनुसार भैसमा की ही पूर्व जनप्रतिनिधि ने स्टे लगा रखा है।

वर्जन

जल्द होगा समाधान

खसरा संसोधन का कार्य राजस्व विभाग का है ,किसानों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। जल्द ही इसका समाधान निकालेंगे। उपार्जन केंद्रों में पर्याप्त व्यवस्था है।

जी .एस. कंवर ,खाद्य अधिकारी