बिलासपुर। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर कथावाचकों और भाजपा को लेकर तीखा हमला बोला है। लिंगियाडीह में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बघेल ने कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री और पं. प्रदीप मिश्रा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वे धर्म का चोला पहनकर चंदा वसूली कर रहे हैं।
बघेल ने कहा कि यदि कथावाचन और धार्मिक आयोजन वास्तव में जनकल्याण के लिए किए जा रहे हैं, तो फिर चंदा लेना बंद किया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ कथावाचक अंधविश्वास फैलाकर आस्था का व्यापार कर रहे हैं। बघेल ने सवाल उठाया कि जब कथाओं और दिव्य दावों से हर समस्या का समाधान संभव है, तो फिर आम जनता से चंदा क्यों लिया जा रहा है।

डिप्टी सीएम अरुण साव द्वारा कांग्रेस को सनातन विरोधी बताए जाने पर भूपेश बघेल ने तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने सनातन धर्म का ठेका कब और कैसे लिया? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार धार्मिक आयोजनों को संरक्षण देकर आस्था को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
अपने भाषण के दौरान बघेल ने एक प्रतीकात्मक कहानी सुनाते हुए कहा कि जंगल में बंदर को राजा बना दिया गया, जो संकट के समय केवल इधर-उधर कूदता रहा। उनका इशारा डिप्टी सीएम की कार्यशैली की ओर था। साथ ही उन्होंने बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल पर भी तंज कसते हुए कहा कि मंत्री नहीं बनाए जाने के कारण वे अब घर बैठ गए हैं और संतरी की भूमिका निभा रहे हैं।
👉लिंगियाडीह आंदोलन में हुए शामिल
बिलासपुर प्रवास के दौरान भूपेश बघेल लिंगियाडीह में मकान तोड़ने के विरोध में चल रहे आंदोलन में भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि पिछले 38 दिनों से लोग धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, इसके बावजूद सरकार गरीबों पर तुगलकी फैसले थोप रही है।
बघेल ने सवाल उठाया कि जब 80 फीट सड़क का निर्माण हो चुका है, तो फिर मकानों की तोड़फोड़ क्यों की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व मंत्री बी.आर. यादव के कार्यकाल में दिए गए पट्टों की अनदेखी कर गरीबों को उजाड़ा जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि कांग्रेस गरीब-विरोधी फैसलों के खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करेगी और किसी भी हाल में बस्तियों को उजड़ने नहीं देगी।
