छह लाख गांवों में ग्रामीण भारतीयों की आवासीय संपत्तियां होंगी वैध, जानें 83 करोड़ लोगों को क्‍या होगा फायदा

नई दिल्ली, आइएएनएस। भारत के छह लाख गांवों में जल्द ही 500 से अधिक हाई रेज्यूल्यूशन ड्रोन देश का सबसे बड़ा एरियल सर्वे करेंगे। इस हवाई सर्वेक्षण का मकसद गांवों के 83 करोड़ से अधिक भारतीयों की आवासीय संपत्तियों को वैधता प्रदान करना है। 556 करोड़ की लागत से होने वाले इस सर्वेक्षण से ग्रामीण आवासीय संपत्तियां ना सिर्फ वैध होंगी बल्कि वह वित्तीय लाभ देने के योग्य भी बनेगी। इन संपत्तियों का ना सिर्फ वाणिज्यिक उपयोग बढ़ेगा बल्कि इन पर कर्ज भी मिल सकेगा।

566 करोड़ के एरियल सर्वे से होगा 83 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ

पंचायती राज मंत्रालय के केंद्रीय सचिव सुनील कुमार ने गुरुवार को बताया कि कन्याकुमारी से कश्मीर और शिलांग से सोमनाथ तक समूचे ग्रामीण भारत की संपत्तियों का सटीक लेखा-जोखा जुटाया जाएगा।

भारतीय सर्वेक्षण विभाग (एसओआइ) यह सर्वे करा रहा है। हाईटेक ड्रोन मात्र 15 मिनटों में ही एक औसत भारतीय गांव की जमीनों और अन्य अचल संपत्तियों का समूचा और सटीक ब्योरा जुटा लेगा। मार्च, 2024 तक देश में सभी ड्रोनों की उड़ान पूरी हो जाएगी। सुनील कुमार ने बताया कि तेलंगाना को छोड़कर बाकी सभी राज्यों ने ग्रामीण संपत्तियों का ब्योरा तैयार करने की मंजूरी दे दी है। सर्वे पूरा होने पर हर संपत्ति मालिक को संपत्ति कार्ड दिया जाएगा। इस कार्ड से देशवासी अपनी आवासीय संपत्ति का उपयोग वित्तीय साधन के तौर पर भी कर सकेंगे। वह आगे चलकर इस संपत्ति पर बैंक से कर्ज भी ले सकेंगे।

सर्वे का पायलट प्रोजेक्ट रहा सफल

यूपी कैडर के आइएएस सुनील कुमार ने बताया कि ड्रोन से होने वाले सर्वे का पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा है। 40 हजार से अधिक गांवों को इसके तहत कवर किया गया। बताया जाता है कि पायलट प्रोजेक्ट के दौरान उत्तर प्रदेश में सैकड़ों लोगों को संपत्ति का कार्ड भी मिल गया है। इस बड़ी योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बढ़ावा दिया है। पिछले साल ही मोदी ने ड्रोन से सर्वे का पायलट प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र समेत केवल छह राज्यों में ही शुरू किया गया है।

केंद्रीय कृषि मंत्री और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि अधिकांशतया जर्मनी से मंगाए गए करीब 162 ड्रोन को जमीन के सर्वे के लिए तैनात किया गया है। यह ड्रोन पांच सेंटीमीटर की सटीकता के साथ तस्वीरें खींचते हैं। सरकार की अब कोशिश है कि भारतीय कंपनियां ऐसे ड्रोन का उत्पादन करें। सर्वे पूरा होते ही ग्रामीण इलाकों में भी ऑनलाइन शापिंग के रास्ते खुल जाएंगे।