कोरोना के ठीक हुए मरीजों में अचानक बढ़ने लगा ‘Black Fungus’ का खतरा, जानिये इसके 10 लक्षण

कोरोना वायरस के चलते दिल्ली सहित कई शहरों में एक गंभीर फंगल इन्फेक्शन म्यूकोरमाइकोसिस (mucormycosis) का खतरा बढ़ने लगा है। इसे ब्लैक फंगस के नाम से भी जाना जाता है और लंबे समय से रोगियों की मृत्यु का कारण रहा है।

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सर गंगा राम अस्पताल के सीनियर ईएनटी सर्जन डॉक्टर मनीष मुंजाल ने बताया कि कोरोना की वजह से यह खतरनाक फंगल इन्फेक्शन फिर से बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों में म्यूकोरमाइकोसिस के कम से कम छह मामले सामने आये हैं। पिछले साल इस घातक संक्रमण के कारण कई रोगियों की आंखों की रोशनी कम हो गई और नाक और जबड़े की हड्डी हट गई।

अस्पताल में ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर अजय स्वरूप ने कहा कि कोरोना के उपचार में स्टेरॉयड का उपयोग इस तथ्य के साथ किया जाता है कि कई कोरोना रोगियों को डायबिटीज होता है, जो ब्लैक फंगस की संख्या में वृद्धि का एक कारण हो सकता है।

उन्होंने कहा कि यह फंगल संक्रमण आमतौर पर उन रोगियों में देखा जाता है जो कोरोना से ठीक हो गए हैं लेकिन डायबिटीज, किडनी या हार्ट फेलियर या कैंसर जैसी समस्या का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा कमजोर इम्यूनिटी सिस्टम वाले कोरोना के रोगियों को इस घातक संक्रमण का अधिक खतरा है।

म्यूकोरमाइकोसिस क्या है?

इस बीमारी को पहले जाइगोमाइकोसिस (Zygomycosis) कहा जाता था। यह एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन होता है। आमतौर पर यह इंफेक्शन नाक से शुरू होता है। जो धीमे-धीमे आंखों तक फैल जाता है। इसका इंफेक्शन फैलते ही इलाज जरूरी है। अगर आपको नाक में सूजन या ज्यादा दर्द हो, आंखों से धुंधला दिखने लगे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

यह संक्रमण आमतौर पर साइनस, मस्तिष्क या फेफड़ों को प्रभावित करता है और इसलिए सीओवीआईडी -19 से पीड़ित या ठीक होने वाले लोगों में काफी आम हो सकता है।

म्यूकोरमाइकोसिस और कोरोना के बीच क्या संबंध है

SARS-COV-2 वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को टारगेट करता है। इन दोनों ही स्थितियों में इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है। डॉक्टरों के अनुसार, कई कोरोना रोगियों को एंटीवायरल से लेकर स्टेरॉयड तक मजबूत दवाएं दी जाती हैं।

इसकी वजह से घातक वायरस से पीड़ित या उबरने वाले व्यक्तियों में प्रतिरक्षा प्रणाली की दर कम हो गई है। इसके अतिरिक्त, स्टेरॉयड ब्लड ग्लूकोज लेवल को भी प्रभावित कर सकता है, खासकर उन लोगों में जो पहले से ही डायबिटीज से पीड़ित हैं। बदले में ये दवाएं फंगल संक्रमण के विकास को बढ़ावा देती हैं।

म्यूकोरमाइकोसिस से जुड़े लक्षण क्या हैं?

म्यूकोरमाइकोसिस आमतौर पर नाक, आंख, मस्तिष्क और साइनस जैसे हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। इसके लावा इसके लक्षणों में चेहरे में सूजन, दर्द और सुन्नता, नाक से असामान्य (खूनी या काला-भूरा) डिस्चार्ज होना, सूजी हुई आंखें, नाक या साइनस में जमाव, नाक या मुंह के ऊपरी हिस्से पर काले घाव होना शामिल हैं। इसके अलावा इसके मरीजों को बुखार, खांसी, सीने में दर्द और सांस की तकलीफ जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।

म्यूकोरमाइकोसिस का इलाज

इसके मरीजों को डॉक्टरों से मदद लेनी चाहिए। एंटिफंगल दवाओं से इसका इलाज हो सकता है। कोई भी दवा डॉक्टरों या किसी विशेषज्ञ की सलाह पर लें। गंभीर मामलों में डेड टिश्यू को हटाने के लिए सर्जरी आवश्यक हो सकती है।