हर शख्स की कामयाबी के पीछे संघर्ष की ऐसी कहानी होती है, जो आने वाली पीढ़ी को प्रेरित करती है। संघर्ष खुद के साथ-साथ परिवार का भी हो सकता है। ऐसी ही प्रेरणादायक सक्सेस स्टोरी है कि उत्तर प्रदेश कैडर के दबंग आईपीएस नवनीत सिकेरा की। वर्तमान में यूपी के मेरठ में बतौर आईजी तैनात आईपीएस नवनीत सिकेरा ने अपने संघर्ष और सफलता की कहानी खुद बयां की। सोशल मीडिया पर।
धार जिले के शोभाराम ने बेटे आशीष के लिए रातभर चलाई साइकिल
दरअसल, हाल ही मध्य प्रदेश के धार जिले की मनावर तहसील के गांव बयड़ीपुरा का शोभाराम अपने बेटे आशीष को दसवीं की परीक्षा दिलाने के लिए पिता रातभर साइकिल चलाता रहा। लॉकडाउन के चलते बसें बंद होने के कारण रात को गांव बयड़ीपुरा से धार तक का 105 किलोमीटर का सफर पिता-पुत्र ने साइकिल से तय किया। मंगलवार सुबह धार परीक्षा केन्द्र पर पहुंचे। खास बात यह है कि यह
नवनीत सिकेरा ने फेसबुक पर शेयर की खुद की स्टोरी ये तो हुई धार जिले के शोभाराम और उसके बेटे आशीष के संघर्ष की कहानी। अब यहीं से सामने आई आईपीएस नवनीत सिकेरा की स्टोरी। शोभाराम व आशीष की खबर प्रकाशित होने के बाद देशभर की सुर्खियों में रही। अगले दिन 19 अगस्त 2020 को नवनीत सिकेरा ने अपने फेसबुक पेज पर शोभाराम व आशीष की खबर की अखबार की कटिंग पोस्ट करते हुए अपनी स्टोरी भी शेयर की।
धार की खबर देख डबडबा गई आंखें
मेरठ आईजी नवनीत सिकेरा ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि ‘यह खबर देखी तो आंखें डबडबा गई। अब से कुछ दशक पहले मेरे पिता भी मुझे मांगी हुई साइकल पर बिठा कर IIT का एंट्रेंस एग्जाम दिलाने ले गए थे। वहां पर बहुत से स्टूडेंट्स कारों से भी आए थे। उनके साथ उनके अभिभावक पूरे मनोयोग से उनकी लास्ट मिनट की तैयारी भी करा रहे थे। सेंटर पर पिता ने बढ़ाया बेटे का उत्साह आईपीएस नवनीत सिकेरा अपनी पोस्ट में आगे लिखते हैं कि ‘मैं ललचाई आंखों से उनकी नई-नई किताबों (जो मैंने कभी देखी भी नहीं थी) की ओर देख रहा था और मैं सोचने लगा कि इन लड़कों के सामने मैं कहाँ टिक पाऊंगा और एक निराशा सी मेरे मन में आने लगी। मेरे पिता ने इस बात को नोटिस कर लिया और मुझे वहां से थोड़ा दूर अलग ले गए और एक शानदार पेप टॉक (उत्साह बढ़ाने वाली बातें) दी। उस सेंटर से सिर्फ दो छात्र पास हुए, एक थे सिकेरा दबंग आईपीएस नवनीत सिकेरा अपनी संघर्ष और सक्सेस स्टोरी बयां करते आगे लिखते हैं कि ‘पिता ने कहा कि इमारत की मजबूती उसकी नींव पर निर्भर करती है ना कि उस पर लटके झाड़ फानूस पर जोश से भर दिया। मैंने एग्जाम दिया। परिणाम भी आया। आगरा के उस सेन्टर से मात्र 2 ही लड़के पास हुए थे जिनमें एक नाम मेरा भी था। ईश्वर से प्रार्थना है कि इन पिता पुत्र (धार के शोभाराम व आशीष) को भी इनकी मेहनत का मीठा फल दें। नवनीत सिकेरा ने पिता को किया याद फेसबुक पेज पर अपनी स्टोरी बयां करते हुए नवनीत सिकेरा ने अपने पिता को भी याद किया। उनकी एक तस्वीर भी शेयर की। साथ ही लिखा कि ‘आज मेरे पिता नहीं हैं हमारे साथ पर उनकी कड़ी मेहनत का फल उनकी सिखलाई हर सीख हर पल मेरे साथ है और हर पल यही लगता है कि एक बार और मिल जाएं तो जी भर के गले लगा लूं।’ जानिए कौन हैं नवनीत सिकेरा यादव लैंड नामक फेसबुक पेज की पोस्ट के अनुसार नवनीत सिकेरा का जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोज़ाबाद जिले के शिकोहाबाद में 22 अक्टूबर 1971 को मनोहर सिंह यादव के घर हुआ। इन्हें उत्तर प्रदेश का ‘सुपर कॉप’ कहा जाता है। नवनीत ने एटा जिले के आल बॉयज स्कूल से हाई स्कूल पास किया जिसके बाद वह दिल्ली के हंसराज कॉलेज में एडमिशन लेने पहुंचे। लेकिन कॉलेज में उनको अंग्रेजी ना आने के कारण एडमिशन फॉर्म नहीं दिया गया। फार्म ना मिलने पर उन्होंने हार नहीं मानी और खुद से किताबें खरीद कर पढ़ाई की। अपनी मेहनत-लगन से उन्होंने एक ही बार में आईआईटी जैसा एग्जाम क्रैक कर दिखाया और आईआईटी रूड़की से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन पूरी की। फिर पहले ही प्रयास में यूपीएससी एग्जाम क्रैक कर आईपीएस बने।