10 सूत्रीय मांगों को लेकर एसईसीएल की वादाखिलाफी से आक्रोशित भू -विस्थापितों ने समिति के नेतृत्व में किया सबसे बड़ा आंदोलन, 20 हजार टन कोयला,9 हजार टन ओबी हुआ प्रभावित ,देर शाम प्रशासन की पहल ,प्रबंधन के आश्चासन पर हड़ताल हुआ समाप्त
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । पुनर्वास ग्रामों चैनपुर ,सिरकी ,बेलटिकरी बसाहट में बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी से आक्रोशित भू -विस्थापितों ने मंगलवार को एसईसीएल क्षेत्रीय मुख्यालय दीपका खदान में जमकर विरोध प्रदर्शन किया। दस सूत्रीय मांगों को लेकर एसईसीएल प्रबंधन की तानाशाही ,वादाखिलाफी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। लाठी डंडों से लैस प्रभावितों ने सीआईएसएफ की सुरक्षा व्यवस्था को धत्ता बताते हुए ओ बी तथा कोयले का उत्पादन ,परिवहन का कार्य रोक दिया। 7 घण्टे तक चले प्रदर्शन की वजह से 20 हजार टन कोयला एवं 9 हजार क्यूबिक मीटर ओवरबर्डन (ओबी) प्रभावित रहा। जिससे 266 करोड़ की क्षति पहुंची। कलेक्टर के निर्देश एवं कार्यपालिक दण्डाधिकारी की पहल पर मुख्य महाप्रबंधक एवं महाप्रंबधक खनन द्वारा मांगों पर शीघ्र विचार किए जाने के आश्वासन उपरांत भू -विस्थापितों ने अपना हड़ताल समाप्त किया।
यहाँ बताना होगा कि उर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति की केंद्रीय समिति के आव्हान पर एसईसीएल दीपका परियोजना से प्रभावित भू-विस्थापितों ने मंगलवार को ग्रामों चैनपुर ,सिरकी ,बेलटिकरी बसाहट में बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी से आक्रोशित होकर एसईसीएल क्षेत्रीय मुख्यालय दीपका के गेट के पास सैकड़ों की संख्या में एकत्रित हो गए। दस सूत्रीय मांगों को लेकर एसईसीएल प्रबंधन की उदासीनता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। लाठी डंडों से लैस प्रभावितों ने सीआईएसएफ की सुरक्षा व्यवस्था को धत्ता बताते हुए खदान में घुस ओबी तथा कोयले का उत्पादन रोक दिया। इससे परिवहन कार्य भी ठप्प पड़ गया।प्रदर्शनकारी भू -विस्थापितों का आरोप था कि पिछले 5 सालों से पुनर्वास ग्रामों में मूलभूत सुविधाओं की कमी बनी हुई है । प्रबंधन की अनदेखी से नाराज होकर करीब 11 माह पूर्व 22 जुलाई 2020 को एसईसीएल दीपका कार्यालय का गेट जाम किया गया था। इस दौरान एसईसीएल प्रबंधन और तात्कालिक एसडीएम के आश्वासन पर विरोध प्रदर्शन स्थगित किया गया था। लेकिन इसके बाद भी मांगों एवं सनस्याओं के निराकरण को लेकर सार्थक पहल नहीं की गई । जिससे आक्रोशित होकर उन्हें यह रास्ता अपनाना पड़ा है । कलेक्टर श्रीमती रानू साहू के संज्ञान में यह बात आते ही तत्काल उन्होंने एसडीएम को सार्थक पहल करने निर्देश दिए।एसडीएम सूर्य किरण तिवारी के निर्देश के बाद कार्यपालिक दण्डाधिकारी शशि भूषण सोनी की समझाईश मुख्य महाप्रबंधक एवं महाप्रंबधक खनन की मौजूदगी में मांगों पर देर शाम एक के बाद एक मांगों पर चर्चा होने के बाद मौखिक सहमति बन गई है ।लिखित निर्णय के लिए बुधवार को प्रभावितों को महाप्रबंधक कार्यालय बुलाया गया है ।आश्वासन उपरांत समिति के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे भू -विस्थापितों ने 7 घण्टे बाद अपना हड़ताल समाप्त किया।
ये है मांगे
दस सूत्रीय मांगों को लेकर भू -विस्थापितों ने एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ वादाखिलाफी का आरोप लगा प्रदर्शन किया। प्रमुख मांगों में श्रमिक चौक से सिरकी मोड़ तक की आम रास्ता का निर्माण करने सड़क और दोनों तरफ की नालियों की साफ सफाई ,स्प्रिंकलर डिवाईडर की मरम्मत किया जाए। सिरकीखुर्द चैनपुर विवेकानंद स्ट्रीट लाईट की व्यवस्था ,पुराने पड़े नाली की मरम्मत ,साफ सफाई ,तालाबों के गहरीकरण ,गांधीनगर में नवीन प्राथमिक शाला भवन का निर्माण ,सिरकीखुर्द के मोहल्ला बधारपानी ,बनखेता पारा में निःशुल्क बिजली की व्यवस्था किए जाने,तीनों पुनर्वास गांवों में 15 से 20 वर्ष पूर्व स्थापित किए गए गार्डन पानी टँकी ,जर्जर भवन की मरम्मत कराई जाए।गांधी नगर से विवेकानंद नगर पहुँच मार्ग ,उपस्वास्थ्य केंद्र भवन बनाने, चैनपुर से दीपका प्रदूषमुक्त पहुंच मार्ग बनाने की मांग रखी गई है । इसी तरह पुनर्वास ग्रामों में जिम ,अधिग्रहित ग्राम सुअभोंडी में मकान पेंड और कुंआ का शत प्रतिशत सोलेसियम जोड़कर मुआवजा देने की मांग शामिल है।
एनटीपीसी सीपत को सायलो से नहीं हुई रेक की सप्लाई,कुल 266 करोड़ का नुकसान
भू – विस्थापितों के हड़ताल से ओबी (ओवर बर्डन )से तथा कोयले का उत्पादन परिवहन कार्य 7 घण्टे तक प्रभावित होने से शासन को 266 करोड़ रुपए की क्षति पहुंची है। यह क्षति 20 हजार टन कोयला एवं 9 हजार क्यूबिक मीटर ओवरबर्डन बन्द के दौरान प्रभावित होने की वजह से पहुंची है।दीपका परियोजना के महाप्रबंधक शशांक कुमार देवांगन ने बताया दीपका खदान का उत्पादन प्रभावित 7 घण्टे प्रभावित रहा। जिसकी वजह से एनटीपीसी सीपत को सायलो से जाने वाली रेक सप्लाई भी नहीं हो सकी।यहाँ बताना होगा कि देश की ऊर्जा प्रगति में निरंतर भागीदारी देने वाले दीपका खदान में अगर 1 घंटे कार्य बाधित रहता है, तो लगभग 23 लाख रुपए का नुकसान देश की ऊर्जा क्षति को पहुंचता है। वहीं, राज्य सरकार को 15 लाख रुपये की राजस्व हानि होती है।
प्रभावितों ने कहा सहमति नहीं बनने पर एक सप्ताह बाद फिर करेंगे आंदोलन
इस संबंध में प्रभावित भू -विस्थापित श्यामू खुशाल जायसवाल ने कहा कि समझौते के तहत 1 सप्ताह का समय प्रबंधन को दिया गया है। बिलासपुर मुख्यालय से उच्च अधिकारियों की उपस्थिति में फिर बातचीत किया जाएगा। सहमति नहीं बनने पर 1 सप्ताह के बाद दीपका खदान को अनिश्चितकाल के लिए बंद कराया जाएगा।यहाँ बताना होगा कि एसईसीएल प्रबंधन लगातार भू -विस्थापितों प्रभावितों के हितों की उपेक्षा करता आ रहा है। प्रबंधन के द्वारा मुआवजा ,पुनर्वास ग्रामों में बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी ,सनस्याओं की अनदेखी की वजह से भू -विस्थापितों और प्रबंधन के मध्य टकराव की स्थिति निर्मित होती रहती है। प्रशासन को तीसरे पक्ष की भूमिका निभा औद्योगिक जिले में इस गतिरोध को खत्म करना पड़ता है।
वर्जन
त्रिपक्षीय वार्ता में बन गई है सहमति ,कलहोगा लिखित निराकरण
भू-विस्थापितों की मांगों को लेकर त्रिपक्षीय राय मशवरा कर सहमति बनाई गई है। जिसमें कुछ मांगों को लेकर प्रबंधन ने मौके पर ही सहमति दे दी है। वहीं, लिखित निराकरण के लिए कल शाम को समिति के लोगों को महाप्रबंधक कार्यालय बुलाया गया है।
शशि भूषण सोनी कार्यपालिक दंडाधिकारी ,दीपका