औद्योगिक क्षेत्र में संचालित सर्वमंगला गैसेस एंड कंस्ट्रक्शन का मामला ,प्रशासन की चुप्पी से उद्यमियों के हौसले हुए बुलंद
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। औद्योगिक क्षेत्र खरमोरा में संचालित उद्योगों की शिकायतों पर संज्ञान लेने की बजाय जिम्मेदार पर्यावरण एवं उद्योग विभाग के अफसर ऐसे उद्योगों को प्रश्रय दे रहे हैं। पर्यावरण अधिकारी की शह पर औद्योगिक क्षेत्र में संचालित सर्वमंगला गैसेस एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के प्रोपाइटर खबर प्रकाशन से पहले ही बौखलाहट में हसदेव एक्सप्रेस के खिलाफ एफआईआर कराने की धमकी दे रहा है। मामले में दोनों विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
यहाँ बताना होगा कि शहर से लगे खरमोरा में पिछले 4 दशक क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र बसा हुआ है। सैकड़ों एकड़ भू भाग में बसे औद्योगिक क्षेत्र में तमाम तरह के औद्योगिक इकाइयों के अलावा आक्सीजन गैस प्लांट की इकाईयां भी स्थापित व संचालित है।आक्सीजन गैस प्लांट में भी नाम्स का उल्लंघन कर उद्योगों का संचालन करने की शिकायतें स्थानीय निवासियों व सूत्रों से मिलती रही है। जिसके आधार पर हसदेव एक्सप्रेय की टीम ने गुरुवार को औद्योगिक क्षेत्र में संचालित श्री बालाजी क्राइगोनिक गैसेस ,श्री बालाजी एयर प्रोडक्ट ,एवं सर्वमंगला गैसेस एंड कंस्ट्रक्शन के विरुद्ध वीडियो फुटेज लेकर नाम्स अनुरूप जांच करने की अनुरोध के साथ सक्षम अधिकारी क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी अंकुर साहू ,एवं महाप्रबंधक उद्योग श्री तिर्की के व्हाट्सएप नम्बर पर सेंड किया था। ताकि संज्ञान लेकर वो जांच करा सकें। लेकिन खबर तैयार होने से पूर्व शुक्रवार की दोपहर 2 बजकर 45 मिनट पर सर्वमंगला गैसेस एंड कंस्ट्रक्शन के सौरभ समंदर ने हसदेव एक्सप्रेस की टीम को फोन पर धमकी देकर एफआईआर कराने की धमकी तक दे डाली। उनका कहना था कि आक्सीजन गैस प्लांट जीरो पॉल्यूशन बेस्ड पर संचालित उद्योग है। हसदेव एक्सप्रेस की टीम ने उनकी इस बातों को स्वीकार कर नाम्स के अनुरूप जांच किए जाने सम्बन्धी शिकायत सक्षम अधिकारी तक पहुंचाए जाने की बात कही। लेकिन वो बौखलाहट में आपा खो बैठे और फोन पर ही एफआईआर दर्ज कराए जाने की धमकी देने लगे। वो बार बार पर्यावरण अधिकारी का नाम ले रहे थे। इन सब बातों से साफ हो गया है शिकायत सम्बन्धी फुटेज की स्वतः स्पॉट पर जाकर जांच करने की बजाय पर्यावरण अधिकारी दफ्तर में बैठे बैठे औद्योगिक इकाइयों के संचालकों को शेयर कर रहे हैं। जो यह दर्शाता है किस कदर औद्योगिक इकाईयों के संचालकों के साथ इनकी मिलीभगत है। शिकायतों को दरकिनार किया जाता है। पर्यावरण अधिकारी को जिले में आए एक माह का समय हो चुका पर एक भी ऐसी कोई कार्यवाई जांच के आदेश निर्देश उद्योगों के खिलाफ सामने नहीं आए । जबकि इस बीच एसीबी व एनटीपीसी के राखड़ बांध का तटबंध टूटकर किसानों की खेतिहर भूमि को निगल चुका है। किसान पीड़ित व उपेक्षित हैं।
इन बिदुओं पर होनी चाहिए जांच
औद्योगिक क्षेत्र में संचालित आक्सीजन गैस प्लांटों की पंजीयन दिनांक ,उत्पादन दिनांक ,इन्ववेस्टमेंट ,मजदूरों की स्थिति(स्थानीय व बाहरी), आक्सीजन गैसे की दर ,शासन से प्राप्त सब्सिडी की जांच होनी चाहिए। यही नहीं आक्सीजन गैसेस तैयार करने कच्चे माल की आपूर्ति कहाँ से हो रही है इसकी भी जांच की जानी चाहिए। उद्योगों को लीज पर आबंटित भूमि व आबंटित भूमि में भवन व स्थापित मशीनरी के भू -भाग की सम्पूर्ण जांच होनी चाहिए। ताकि वास्तविक स्थिति पता चल सके। वैसे भी बढ़ती शहरीकरण के साथ साथ औद्योगिक क्षेत्र को अन्यत्र शिफ्ट करने की मांग अर्से से होती आ रही है। पर पूंजीपति उद्यमियों के आगे शासन प्रशासन नतमस्तक है।