प्रसव पीड़िता के लिए देवदूत बने जवान ,कंधों पर खाट को उठा 2 किमी पैदल चलकर पहुँचाया अस्पताल,जच्चा बच्चा की बचाई जान ,मिली शाबाशी मिलेगा ईनाम

पोड़ी उपरोड़ा के पुटीपखना में सिस्टम हारा ,जवानों का जज्बा जीता ,
अंधेरी रात ,पथरीली राह में वाहन ने छोंडा दिया था साथ ,
अनीता ने स्वस्थ बच्चे को दिया जन्म ,परिजनों ने कहा डायल 112 के जवान आपके जज्बे को सलाम

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । बीहड़ वनांचल गांव , न अस्पताल न पक्की सड़क। अंधेरी रात में प्रसव पीड़ा की तड़प ,हालात ऐसे कि पथरीली राह में वाहनों से भी नहीं पहुंच सकी मदद। ऐसे में खाट पर लेटी प्रसव पीड़िता को 2 किमी तक अपने कंधों पर लेकर पथरीली राह की बाधा पैदल तय कर इंसानियत व शासकीय सेवा में जज्बे की मिसाल बने डायल 112 के 2 जवान । जच्चा बच्चा की बचाई जान। जनसेवा से सबका दिल जीतने वाले जवानों को मिली शाबासी, एसपी ने किया ऐलान मिलेगा सम्मान ,मिलेगा ईनाम ।

आदिवासी बाहुल्य जिला कोरबा में भले ही दर्जनों औद्योगिक संस्थान यहाँ के खनिज संपदा का दोहन कर सालाना अरबों रुपए का मुनाफा अर्जित कर रहे हैं। शासन पांचवी अनुसूची में शामिल कोरबा के चहुंमुखी विकास के लाख दावे और योजनाएं संचालित कर रही है। पर जमीनी स्तर पर आज भी वनांचलों में निवासरत आदिवासी परिवार बुनियादी सुविधाओं से कोसो दूर हैं। कई वनांचल गांवों बसाहटों की हालत आज भी ऐसी है कि यहाँ आजादी के 7 दशक बाद भी न तो सड़क पहुंच सकी है न ही बिजली। स्वास्थ्य सेवाएं कोसो दूर हैं। आपात स्थिति में यहाँ के लोगों को जीते जी नारकीय अनुभव से गुजरना पड़ता है। बुधवार की रात वनांचल विकासखण्ड पोंडी उपरोड़ा के बीहड़ गांव पुटीपखना के सूखाबहरा में एक प्रसव पीड़िता को सिस्टम की अनदेखी का दर्द झेलना पड़ा। यहाँ अनीता बाई पति रामायण सिंह उईके (22 वर्ष)रात 8 बजे प्रसव पीड़ा से कराह रही थी। उसे जल्द ही उपचार की जरूरत थी। जैसे ही परिजनों ने डायल 112 की टीम से संपर्क किया। इवेंट मिलते ही आरक्षक लालचंद पटेल व चालक विनय पाल टीम सहित मदद के लिए निकल पड़े।लेकिन गांव पहुंचने से 2 किलोमीटर पहले सिस्टम की अनदेखी से पक्की सड़क के अभाव में जर्जर पथरीली मार्ग पर वाहन ने साथ छोंड दिया। लेकिन जवानों ने हिम्मत नहीं हारी ,कदम पीछे नहीं हटाया। इंसानियत और जज्बे की मिसाल पेश करते हुए पैदल ही टार्च लेकर गांव की ओर निकल पड़े। और परिजनों का हाथ बढाते हुए खाट पर लेटी महिला को कड़ी के सहारे कंधों पर उठाकर अंधेरी पथरीली मार्ग से पैदल चलकर वाहन तक लेकर आए। डायल 112 की टीम ने तत्काल अनीता को पसान स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दाखिल कराया।
फिलहाल अनिता पूरी तरह स्वस्थ और सुरक्षित है। उसने एक बच्ची की जन्म दिया है । इस तरह डायल 112 की टीम ने ना सिर्फ महिला की जान बचाई बल्कि अपनी उपयोगिता भी साबित की। अनिता के परिजनों ने आरक्षक लालचंद व चालक विनय पाल का आभार व्यक्त किया है।

एसपी ने दी शाबाशी किया ईनाम का ऐलान

प्रसव पीड़िता को अभावों के बीच कष्ट उठाकर कंधों पर लेकर वाहन तक लाने सुरक्षित अस्पताल पहुंचाने वाले दोनों जवानों की जिले में चहुंओर प्रशंसा हो रही है। एसपी भोजराम पटेल ने दोनों जवानों को शाबासी देते हुए नगद व प्रशस्ति पत्र से सम्मानित करने की घोषणा की है।

तो क्या डीएमएफ से नहीं बनाई जा सकती सड़क

जिस तरह का दृश्य पुटीपखना से नजर आया है उससे वाकई शासन प्रशासन पर सवाल उठना लाजिमी है । आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिला देश के 110 पिछड़े जिलों के साथ आकांक्षी जिले में शामिल है। स्वास्थ्य ,शिक्षा ,कृषि के सेक्टर में बेहतर कार्य करने की केंद्रीय दल ने यहां जरूरत व प्लांनिग भी बताई है। पर दो साल से सिर्फ कागजों में हो रहा। वनांचलों में निवासरत लोगों तक सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंची। सरकारी फंड के अलावा जिले के उद्योगों से रॉयल्टी के रूप में मिलने जिला खनिज न्यास मद में सालाना 400 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व मिलता है । उसके बाद भी वनांचलों की सुध नहीं ली जाती। आज भी 65 गांव बसाहटें सड़क विहीन हैं। बरसात में तो इन गांवों का संपर्क ही कट जाता है। आपात स्थिति में ग्रामीणों की उफनती नदी नालों को पार करने की हृदय विदारक तस्वीरें आती रहती हैं। विकास के सारे दावे यहाँ आकर बेमानी साबित हो जाते हैं। निश्चित तौर इस दिशा में संजीदगी से सरकार को जिला प्रशासन को काम करना होगा।