कोरोना की तीसरी लहर के आहट के बीच सवा साल बाद खुले सरकारी स्कूलों के पट

पहले दिन 30 फीसदी रही उपस्थिति ,कहीं सहमति तो कहीं दिखा विरोध

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । तीसरी लहर के आहट के बीच सवा साल बाद सरकारी स्कूलों के पट कड़े कोविड प्रोटोकॉल के बीच खुल गए।शाला प्रबंधन समिति (एसएमसी)की अनुमति के बाद
कक्षा पहली से पांचवीं ,आठवीं दसवीं व बारहवीं कक्षा के बच्चे निर्धारित अनुपात में स्कूल पहुंचे। पहले दिन बच्चों की उपस्थिति 50 फीसदी से भी कम रही ।

यहां बताना होगा कि कोरोना के दस्तक के साथ ही मार्च 2020 से स्कूलों के पट बंद थे। इस बीच ऑनलाइन स्टडी के साथ साथ अधिकांश कक्षाओं के बच्चों को जनरल प्रमोशन भी दिया गया। कॉलेज व दसवीं बारहवीं बोर्ड के परीक्षार्थियों को घर से पर्चे हल कर उत्तरपुस्तिका जमा करने तक की व्यवस्था पहली बार दी गई। दूसरी लहर के समाप्त होने के पश्चात स्कूलों को खोलने की मांग लगातार उठ रही थी। खासकर घाटे में चल रहे निजी स्कूलों द्वारा इसको लेकर सरकार पर भी दबाव बनाया जा रहा है। प्रदेश में 1 प्रतिशत से भी कम कोरोना संक्रमण की दर को देखते हुए राज्य शासन ने ऐसे सभी जिलों में 2 अगस्त से कड़े कोविड प्रोटोकॉल के तहत स्कूल संचालित करने के आदेश जारी किए थे। शाला प्रबंधन समिति (एसएमसी)की अनुमति के बाद
कक्षा पहली से पांचवीं ,आठवीं दसवीं व बारहवीं कक्षा का संचालन 50 फीसदी उपस्थिति के साथ शुरू करने के निर्देश दिए गए थे। ग्राम पँचायत स्तर पर सरपंच एवं नगरीय निकायों में पार्षदों की मौजूदगी में स्कूल खोलने के आदेश दिए गए थे।बच्चों को रोस्टर अनुसार स्कूल बुलाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। पहले दिन सोमवार को जिले में निर्धारित कक्षाएँ खुल गईं। बच्चों को तिलक लगाकर मुंह मीठा कराकर शाला प्रवेश कराया गया। स्कूलों में हालांकि पहले दिन 25 से 30 फीसदी ही उपस्थिति ही रही। मंगलवार से बच्चों की उपस्थिति बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

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खतरा बरकरार अभिभावक जता रहे विरोध

कोरोना की तीसरी लहर की आहट के बीच खोले जा रहे स्कूलों को लेकर विरोध के स्वर फूटने लगे हैं। कई क्षेत्रों में शासन के इस फैसले को लेकर अभिभावक विरोध भी जता रहे हैं । अभिभावकों का कहना है कि पहले बच्चों को वैक्सीनेट करना था फिर स्कूल खोलने चाहिए।