हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा ।रेत घाट अधिकारियों के अवैध कमाई का जरिया बन चुका है। जिले में संचालित रेत घाटों में संचालकों के द्वारा जिला प्रशासन के नियम शर्तों की धज्जियां उड़ाकर मनमाने तरीके से रेत घाट का संचालन किया जा रहा है। न केवल अवैध तरीके से स्वीकृत स्थल से अन्य जगहों से रेत का उत्खनन किया जा रहा है वरन मनमाने तरीके से पैसा वसूल कर घाटों का संचालन किया जा रहा है।दीपावली के बाद शोषित ग्रामीण ठेकेदारों की कलेक्टर से लिखित शिकायत करेंगे।
यहाँ बताना होगा कि जिले में
शहरी और ग्रामीण क्षेत्र को मिलाकर कुल 19 रेत खदान खनिज विभाग द्वारा संचालित हैं। 2 साल पहले खनिज विभाग ने ठेकेदारों को रेत खदानों का आवंटन किया था। अब ठेकेदार इनका संचालन करते हैं। शहरी और ग्रामीण को मिलाकर कुल 19 रेत घाट मौजूद हैं।14 का संचालन विभाग ने शुरू कर दिया है, लेकिन 4 खदानों की प्रक्रिया अटकी हुई है. इनमें से 2 सबसे बड़े रेत खदान नगर निगम की परिधि में आते हैं।जो कि शहर के बीचों-बीच संचालित है।
मानसून के सीजन में रेत खदानों को संचालन की अनुमति नहीं होती। 15 अक्टूबर तक उत्खनन पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। प्रतिबंधित अवधि समाप्त होने के बाद भी खासतौर पर कोरबा शहर में रेत खदानों में लोग लुटे जा रहे हैं। और जिन स्थानों पर रेत घाट संचालित हैं वहाँ बिना परमिट मनमाना शुल्क लिया जा रहा है।
उत्खनिका पट्टा एक स्थान का पूरे पाली ब्लाक से निकाल रहे रेत ,अफसर मौन
पाली ब्लाक के पोंडी के लब्दापारा में रेत घाट के संचालन की उत्खनिका पट्टा जिस ठेकेदार को दी गई है वो उस स्थान खसरा नम्बर के अलावा पूरे ब्लाक के नदी से रेत उत्खनन बिना रॉयल्टी पर्ची बिक्री कर रहा है। ठेकेदार प्रभावशाली है लिहाजा लोग सीधे शिकायत का जोखिम नहीं उठाना चाहते। सूत्रों की मानें तो ठेकेदार ने अघोषित रूप से कई ग्राम पंचायतों के नदी पर कब्जा जमा लिया है। और बिना पंचायत के प्रस्ताव ,प्रशासन के रेत उत्खनन की अनुमति के गौण खनिज का दोहन कर रहा है। भाटिया फर्म को पोंडी के लब्दापारा में रेत घाट आबंटित हुआ है।जिनके लिए नियम कानून कोई मायने नहीं रखते। गत वर्ष भी ठेकेदार कई पुल के पिल्लर के पास से अवैद्यानिक तरीके से रेत उत्खनन कर करोड़ों के पुल के बेस को कमजोर कर चुका है। इसी तरह ,ग्राम पंचायत बांगों ,ग्राम कसरेंगा ,ग्राम पंचायत दुल्लापुर ,ग्राम पंचायत घमोटा धनरास ,तरदा,भैसामुडा ,बैरा, बगदर सहित अन्य रेत घाट से भी स्वीकृत स्थल से बाहर अवैध उत्खनन की शिकायतें समय समय पर आती रही हैं। यहाँ भी मनमाने तरीके से लोगों से रेतशुल्क वसूला जा रहा है।
दोगुना से अधिक शुल्क वसूल रहे
यहां बताना होगा कि जिले में जिले में संचालित रेत खदान के अधिकांश संचालकों के द्वारा अपने हिसाब से प्रति ट्रैक्टर (3 घन मीटर) 1000 रुपए के दर से वसूला जा रहा है जबकि शासन के दर अनुसार 491 रुपए प्रति ट्रैक्टर 3 घन मीटर रेत लोड कर वाहन मालिक को देना है जिसके विपरीत कार्य किया जा रहा है। यही नहीं बिना रायल्टी 500 रुपए लेकर गाड़ियों को रेत खदान से छोड़ा जा रहा है। इससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है, साथ ही साथ मकान, दुकान (निर्माण) कार्य कराने वाले आम लोगों को 2000 से 2500 रुपये प्रति ट्रैक्टर की दर पर रेत मिल रही है, जिसकी वजह से आम व गरीब लोगों को अपना आशियाना बनाने में काफी दिक्कत हो रही है। उपरोक्त बातों पर गौर कर ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करते हुए रेत घाटों को निरस्त करने की मांग सोहेब अहमद ने की है।
पूर्व गृहमंत्री ने खनिज विभाग को लिया था निशाने पर बोले थे अवैध कमाई का जरिया बन गया रेत घाट
पूर्व गृहमंत्री रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने भी जिले में अवैध रेत उत्खनन पर खनिज विभाग को आड़े हाथों लेते हुए विगत दिवस भाजपा कार्यालय में कहा था कि अपराध सरकार व अफसरों के अवैध कमाई का जरिया बन गया है। खनिज विभाग के प्रश्रय पर रेत चोरी हो रही है। जो कमीशन नहीं देते उन पर कार्रवाई होती है। पूरा रेत खदान चोरों के हवाले कर दिया जाता है।