दिल्ली-हरियाणा के बार्डर पर आज जुटेंगे संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी , हो सकते हैं कई बड़े फैसले

दिल्ली। दिल्ली एनसीआर से सटे बार्डर पर किसान आंदोलन को खत्म हुए एक महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा अब भी एक्टिव है। इसी कड़ी में दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की आज यानि कि शनिवार को अहम बैठक होगी। इस बैठक में हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों के साथ केंद्र सरकार के वादों और आश्वासनों की समीक्षा की जाएगी।जहां पर आज होने वाली इस अहम बैठक में कई और बड़े ऐलान हो सकते हैं।वहीं, इस बैठक में किसान नेता तय करेंगे कि केन्द्र सरकार के साथ जिन शर्तों के आधार पर समझौता हुआ था वो पूरे हुए या नहीं।

दरअसल, किसान संगठनों की इस बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा की नई भूमिका को लेकर भी चर्चा होगी। हालांकि बताया जा रहा है कि इस बैठक में बैठक के अहम मुद्दे,एमएसपी पर कमेटी को लेकर, तमाम राज्यों में किसानों पर दर्ज मुकदमे अभी तक वापस नहीं हुए। इसके अलावा गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी पर कार्रवाई को लेकर बैठक होंगी। वहीं, किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के जो सदस्य हैं वह सभी बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। हमने 9 दिसंबर को कहा था कि 15 जनवरी को वापस आएंगे और मूल्यांकन करेंगे कि सरकार ने जो वादा किया है वह पूरा हुआ या नहीं। चूंकि सरकार का वादा था कि सभी राज्यों से मुकदमे वापस हो जाएंगे, सरकार मुआवजा दिलवाएगी, सरकार एमएससी पर कमेटी बनाएगी। इन्ही चीजों का मूल्यांकन होना है।

अभी तक किसानों पर दर्ज हुए मुकदमें नहीं हुए वापस

वहीं, हरियाणा सरकार ने कहा है कि मुकदमे वापस होंगे लेकिन अभी मुकदमे वापस हुए नहीं है और दूसरे राज्यों में तो यह प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है।फिलहाल केंद्र सरकार को दिल्ली के मुकदमे वापस लेने थे उसकी अभी कोई जानकारी नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा से अभी कमेटी को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से कोई संपर्क नहीं किया गया है।आज की बैठक में सब को बुलाया गया है और बैठक में ही आगे फैसला होगा।

संयुक्त किसान मोर्चा को लेकर भी हो सकता है फैसला

बता दें कि किसान संगठनों की इस बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा की नई भूमिका को लेकर बातचीत होगी। इस दौरान चुनाव में उतरने वाले किसान संगठनों को लेकर भी संयुक्त किसान मोर्चा फैसला लेगा।क्योंकि हमेशा से खुद को गैर राजनीतिक संगठन बताने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के समक्ष है यह बड़ी चुनौती कि क्या वह यूपी समेत अन्य राज्यों में सरकारों के खिलाफ प्रचार के लिए उतरेगा, जैसा कि पश्चिम बंगाल में कर चुका है।चूंकि पंजाब के 32 किसान संगठनों में से 22 संगठन संघर्ष मोर्चा बनाकर पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 लड़ रहे हैं। इतना ही नहीं, गुरनाम सिंह चढ़ूनी भी पार्टी बनाकर पंजाब विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतार रहे हैं।

केंद्र सरकार हमारे साथ कर चुकी है वादाखिलाफी – दर्शनपाल

गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेता डॉ दर्शनपाल ने कहा कि केंद्र सरकार के वादों के बाद हम 9 दिसंबर को यहां से गए थे और उन वादों का क्या हुआ इसका मूल्यांकन करना है।इन तमाम चीजों को लेकर आगे आंदोलन को लेकर क्या रूप दिया जाए, क्या रुख किया जाए उसको लेकर बैठक है।वहीं, पंजाब सरकार ने तो काफी चीजें अमल में ला दी है लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से जो हमें लिखित में मिला था कि हिमाचल उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश हरियाणा यहां की सरकारों ने मुकदमे वापस लेने का वादा कर दिया है लेकिन अभी पंजाब के अलावा बाकी किसी भी राज्य में यह प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। हालांकि इन तमाम चीजों को लेकर केंद्र सरकार हमारे साथ वादाखिलाफी कर चुकी है।