रिकार्ड में पोंडी में नाम ,कोरबा की सीमाओं में बसे दोनों ग्राम ,सुविधाओं के लिए फासला कम करने ,बांगों के डूबान क्षेत्र की अथाह जलराशि को जान हथेली में लेकर करते हैं पार
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा(भुवनेश्वर महतो ) ।लंबित परिसीमन एवं विभागीय अदूरदर्शिता का दर्द आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले के वनांचल ब्लाक पोंडी उपरोड़ा के दो ग्राम भुगत रहे । दोनों ग्राम रिकार्ड में पोंडी उपरोड़ा ब्लाक में दर्ज हैं लेकिन ये दोनों ही ग्राम कोरबा ब्लॉक की सीमाओं पर बसे हैं । बांगों बांध के कैचमेंट एरिया के 200 मीटर गहरे 1 किलोमीटर लंबी जलक्षेत्र ने इन दोनों गांव के करीब दो हजार की आबादी की परेशानी बढ़ा दी है। आलम यह है कि ब्लाक मुख्यालय अस्पताल बाजार व अन्य व्यवसायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बांगों व मोरगा क्षेत्र आने के लिए ग्रामीण जान हथेली में लेकर नाव के जरिए अपनी नैय्या पार लगाते हैं।
आजादी के साढ़े 7 दशक बाद भी आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले के पोंडी उपरोड़ा ब्लाक के ग्राम पंचायत साखो एवं ग्राम बोड़ा नाला में यह नजारा नजर आता है। कहने को दोनों ग्राम पंचायत उपरोड़ा ब्लाक के रिकार्ड में दर्ज हैं,पर ये कोरबा ब्लॉक की सरहदी क्षेत्रों पर बसी हैं।कोरबा ब्लाक की सीमाओं पर बसे ये ग्राम कोरबा क्षेत्र से जरूर सड़क मार्ग की सुविधा से जुड़े हैं ,लेकिन इन ग्राम पंचायतों से मुख्यालय की दूरी कोरबा क्षेत्र से करीब 50 से 60 किलोमीटर की हो जाती है। वहीं साखो ग्राम पंचायत से अजगरबहार की दूरी करीब 30 किलोमीटर है।वहीं कोरबा ब्लाक की सीमाओं पर बसे इन गांवों के पीछे ब्लाक मुख्यालय का फासला महज 25 से 30 किलोमीटर की है। लेकिन इस फासले के बीच बांगों बांध के कैचमेंट एरिया के 200 मीटर गहरे 1 किलोमीटर लंबी जलक्षेत्र है। जिसे पार करने के लिए इन दोनों गांव के करीब दो हजार की आबादी को जान हथेली पर लेकर नाव का सहारा लेना पड़ता है। ब्लाक मुख्यालय, अस्पताल ,बाजार व अन्य व्यवसायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ग्रामीण बांगों व मोरगा ,केंदई क्षेत्र आने नाव के जरिए ही अपनी नैय्या पार लगाते हैं।
पशु ,वाहन सहित खुद की नैय्या लगाते हैं पार ,देना पड़ता है शुल्क

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज की टीम ग्रामीणों की समस्याओं को नजदीक से जानने बनमूड़ा से साखो जाने वाले स्थल गोल्डन आइलैंड टिहरी सराई पहुंची। यहां 8 से 10 ग्रामीण बाइक पर पहुंचे थे। जिन्हें साखो जाना था। ग्रामीण नाव का इंतजार कर रहे थे जो ग्रामीणों को सामान सहित पार लगाती है। ग्रामीण ठाकुर राम अयोध्या ने बताया कि नाव से मोरगा ,केंदई क्षेत्र आने के लिए उन्हें प्रति व्यक्ति 50 रुपए का शुल्क नाविक को देना पड़ता है इतनी ही राशि बाइक के लिए भी देना पड़ता है। एक ग्रामीण के साथ एक बकरी भी थी जिसके लिए भी यही शुल्क तय था। जैसे ही नाव पहुंची नाव की भार क्षमता अनुसार 4 परिवार बाइक सामान सहित नाव में बैठ गए। और मल्हार उन्हें नाव से विशाल जलराशि को पतवार से चीरते हुए साखो पहुंचाने निकल पड़े।
सुरक्षा के नहीं रहते उपाय कहीं देर न हो जाए

बनमूड़ा से साखो जाने के लिए बांगों के डूबान क्षेत्र गोल्डन आइलैंड टिहरी सरई से लगे अथाह जलराशि मार्ग ही एकमात्र रास्ता है। लिहाजा यहाँ आवागमन के लिए ग्रामीणों का साधन नाव ही है । लेकिन जलराशि को पार लगाने के दौरान लाईफ जैकेट या किसी भी प्रकार की सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं रहते जिससे ग्रामीणों की जिंदगी महफूज रह सके। ग्रामीण जान हथेली में लेकर आवागमन करते हैं।
डूबान क्षेत्र है पुल बनाना असंभव
ग्रामीणों की मांग है कि बांगों के डूबान क्षेत्र की जलराशि पर शासन प्रशासन एक वृहद पुल बना दे जिससे उनकी राह आसान हो जाये वे सीधे केंदई होते ब्लाक मुख्यालय क्षेत्र से जुड़ जाएं। उन्हें महज 8 से 10 किलोमीटर में चिक्तिसा बाजार सहित अन्य सुविधा मिल जाए उन्हें 30 किलोमीटर का सफर तय न करना पड़े। लेकिन यह कार्य लगभग नामुमकिन के बराबर है। डूबान क्षेत्र में पुल बनाया जाना संभव ही नहीं।
परिसीमन से ही समस्या का होगा निदान
साखो ग्राम पंचायत की आबादी करीब 1500 है वहीं बांगों से लगे पाथा ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम बोड़ानाला की आबादी करीब 600 है। इन दोनों गांवों का परिसीमन बांगों बांध के अस्तित्व में आने से पहले हुआ था।उसके बाद से लेकर आज तक ब्लाकों का परिसीमन नहीं हुआ। अब दोनों ग्राम ग्रामों की सीमाओं के पीछे बांगों के डूबान क्षेत्र की अथाह जलराशि है। हालांकि केंद्र सरकार ने 3 साल पूर्व प्रस्ताव मंगाया था जो तमाम प्रक्रियाओं औपचारिकता पूर्ण होने के बाद भी दिल्ली में आज पर्यंत धूल फांक रही है। अधिकारियों की मानें तो दोनों ग्राम पंचायतों को समस्याओं को देखते हुए कोरबा ब्लॉक में ही परिसीमन कर देना चाहिए ,ताकि उनका समुचित विकास हो।