दंतेवाड़ा। आपने देशभर में कहीं भी आपदा के अवसर पर सेना के जवानों को आम भारतीय नागरिकों की मदद करते देखा होगा। कश्मीर में भी कश्मीरियों की मदद करते तस्वीरें तो बहुत बार देखी होंगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर में सुरक्षा बलों के जवान जब गश्त पर निकलते हैं तो वे केवल नक्सलियों की ही तलाश नहीं करते, बल्कि राह में मिलने वाले आम बस्तरिहों की मदद भी करते हैं। दंतेवाड़ा जिले के जंगलों में बनाया गया एक ऐसा ही वीडियो आजकल क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

इस वीडियो में नक्सल सर्च पर जंगलों में निकले जवान महुआ बीन रही एक आदिवासी महिला मिलती है। पास ही उसका बच्चा भी था, जो संभवत: भूखा था, इसलिए रो रहा था। जवानों की भाष तो महिला नहीं समझ पाई… न महिला की भाषा जवानों के समझ आई। लेकिन जवानों और दंतेश्वरी फाइटर्स की टीम ने जितना समझा एसके हिसाब से जुट गए मदद करने को। जवानों ने जल्दी-जल्दी खुद ही महुआ बीनकर महिला की दोनो टोकरियां भर दीं, और कावड़ में लादकर महुए को और महिला को सुरक्षित घर तक पहुंचाया। नक्सलग्रस्त इलाको में गश्त पर निकलने वाले जवानों पर अक्सर मारपीट और फर्जी मुठभेड़ के आरोप लगते रहते हैं। हम ये नहीं कहते कि ऐसा नहीं होता, लेकिन वह सिक्के का केवल एक पहलू भर है। दूसरा पहलू इस वीडियो में आप देख सकते हैं। दंतेवाड़ा जिले के डीआरजी जवान और महिला सुरक्षाबलों की टीम दंतेश्वरी फाइटर्स का ग्रामीण महिला की महुआ बीनने में मदद करना सिक्के का दूसरा पहलू ही तो है।