कोरबा । कोरबा वन मंडल के पसरखेत वन परिक्षेत्र कार्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर मांझीडेरा में हरे-भरे बेशकीमती सागौन के वृक्षों की अंधाधुंध कटाई हुई है। कटाई का सबूत मिटाने के लिए ठूंठ को जलाया और छिपाया भी गया है। वन अधिकारियों सहित वनरक्षकों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए मीडिया में प्रसारित खबर के बाद सूत्रों के मुताबिक महकमे की बैठक हुई और जांच दल बनाया गया किन्तु जांच के नाम पर मेहरबानी बरस रही है।
एक सप्ताह होने को है किंतु लगता है कि 4 सदस्यीय जांच दल और अधिकारी कुछ दूसरी ही खिचड़ी पका रहे हैं। जांच के नाम पर लीपापोती की पूरी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि पूर्व में ऐसा होता आया है। गंभीर बात तो यह भी है कि मामले में कोई कुछ बोलने बताने को तैयार नहीं है। एसडीओ आशीष खेलवार छुट्टी में बताए जाते हैं तो उनका फोन नहीं उठता, रेंजर नए हैं तो संपर्क नहीं हो सकता और नाकेदार को हवा तक नहीं लगती कि कब किसने कैसे कितने पेड़ काट लिए और लादकर ले भी गए। वन विभाग के मैदानी अमले से लेकर वनोपज जांच नाका को भी भनक नहीं लगना भी आश्चर्य जनक है जबकि पेड़ों की अवैध कटाई का काम कोई एक दिन का नहीं। विभागीय अधिकारियों की अनदेखी औऱ असंवादहीनता से कोई भी तथ्य सही तरह से उजागर नहीं हो पाते हैं।बता दें कि कोरबा वनमण्डल के पसरखेत रेंज के मदनपुर में माँझीडेरा और गरनहा पहरी में ईमारती वृक्षों की कटाई के सबूत मिटाने के लिए ठूंठ को जला कर और मिट्टी डालकर छिपाया गया है। जब स्थानीय सूत्रों ने पड़ताल की तो इसका पता चला। इसकी ईमानदाराना जांच की जाए तो अवैध कटाई का राज खुल सकता है। बता दें कि पसरखेत रेंज अंतर्गत गरनहा पहरी और मांझीडेरा में दिन-प्रतिदिन लाखों रुपये कीमती हरे-भरे वृक्षों को काटा जाता रहा। कहना गलत नहीं होगा कि जंगल की सुरक्षा वन अधिकारियों व जिम्मेदार कर्मियों द्वारा कार्यालय में बैठकर हो रही है। रेंज में पदस्थन वन रक्षक घर बैठकर जंगल की सुरक्षा करते हैं। इसी का नतीजा है कि वन भूमि पर पट्टा प्राप्त करने की होड़ में जंगल में अवैध कब्जा के मामले बढ़ रहे हैं। बताया जाता है कि रेंज के कक्ष क्रमांक 1135 में अवैध कटाई और अतिक्रमण को लेकर जन शिकायत भी की गई थी जिस पर कार्रवाई के नाम पर लीपापोती की गई। अब माँझीडेरा और गरनहा पहरी के मामले में भी लीपापोती के साथ ही वृक्षों की कटाई के साक्ष्य को मिटाया गया है।