हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । 100 से अधिक पदों के उपरांत की जाने वाली काउंसलिंग के नियमों को दरकिनार कर महिला एवं दिव्यांग अभ्यर्थियों को जिले के दूरस्थ क्षेत्रों के स्कूलों में पदस्थ करने के मामले में शिक्षा विभाग की कार्यशैली एवं प्रशासन की भूमिका अभी भी चर्चाओं में है।अभ्यर्थियों के शिकायत के बाद भी सुध नहीं लिए जाने के मामले में शिक्षा विभाग एक बार फिर निशाने पर है।
गौरतलब हो कि स्कूल शिक्षा विभाग की तमाम पदस्थापना प्रकरणों में अब तक 100 से अधिक पद होने पर काउंसलिंग की प्रक्रिया अपनाई जाती रही है। जहां अभ्यर्थियों को पदस्थापना के दौरान विकल्प दिए जाते रहे हैं। जिसका लाभ दिव्यांग व महिला वर्ग के अभ्यर्थियों को विशेष रूप से मिलता रहा है। लेकिन हाल ही के नई नियुक्ति में उक्त नियमों के प्रभावशील नहीं होने की बात कही जा रही। लेकिन इससे जुड़े आदेश अब तक जिलों में प्रसारित नहीं हुए। लिहाजा अधिकारियों के यह दावे अभी भी संशय की स्थिति में है। इसी के साथ शिक्षा विभाग कोरबा द्वारा हाल ही में 12 जून से व्यापमं से चयनित सहायक शिक्षक विज्ञान समूह (टी संवर्ग )की पदस्थापना चर्चा का विषय बना है। जहां विभाग ने व्यापमं से सीधी भर्ती के तहत चयनित अभ्यर्थियों की पदस्थापना में नियम कायदों को ताक में रख दिया । बिना काउंसलिंग किए शिक्षा विभाग एकल पदस्थापना आदेश जारी कर महिलाओं एवं दिव्यांग अभ्यर्थियों की अनदेखी कर उन्हें शहर से 50 से 100 किलोमीटर दूर के स्कूलों में पदस्थ कर दिया । वहीं पुरुष अभ्यर्थियों को शहर के स्कूलों में पदस्थापना दे दी। रायगढ़ जिले के खरसिया तहसील के ग्राम टेमटेमा की अभ्यर्थी विनिता पटेल की पस्थापना बैगिनडाँड में कर दी गई है। वहीं जांजगीर चाम्पा जिले के अभ्यर्थी सीमा हंसराज की पदस्थापना पोंडी उपरोड़ा ब्लाक के झिनपुरी में कर दी गई है। यही नहीं उक्त परीक्षा में जिले की टॉपर यास्मि बेगम को शहर से 25 किलोमीटर दूर मूढूनारा कर दिया । शिक्षा विभाग के इस आदेश से महिला अभ्यर्थियों की परेशानी बढ़ गई है। जबकि राजनांदगांव से आए पुरुष अभ्यर्थी चंदन कुमार की शहर से महज 5 किलोमीटर दूर भिलाइखुर्द क्रमांक 3 में पदस्थापना दे दी गई। अभ्यर्थियों ने पदस्थापना आदेश को अव्यवहारिक विसंगति पूर्ण बताते हुए पदाथापना आदेश संसोधित करने की गुहार लगाई है। दिव्यांग अभ्यर्थियों को भी शहर से दूर पदस्थापना कर दी गई है। नाराज अभ्यर्थियों ने डीईओ को पत्र लिखकर पदस्थापना आदेश में संसोधन कर अन्यत्र स्कूलों में पस्थापना दिए जाने की गुहार लगाई थी । लेकिन शिकायत के एक सप्ताह बाद भी कोई पहल नहीं हुई । जिला प्रशासन ने भी मामले में कोई सुध नहीं ली । पूरे प्रकरण में डीईओ से पूर्व अनुभव ( कभी भी कॉल रिसीव नहीं करने)के कारण उनका पक्ष लेना मुनासिब नहीं समझा गया।
शिकायत के बाद भी प्रशासन ने नहीं ली सुध
पदस्थापना आदेश में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार की शिकायतें विश्वसनीय सूत्रों के माध्यम से प्राप्त हो रही है। जिला कार्यालय के एक शाखा लिपिक सहित दो अधिकारियों का नाम चर्चा में है। नाम न छापने की शर्त पर अभ्यर्थियों ने भी इसका खुलासा किया । इससे संबंधित खबरें ही मीडिया के जरिए जिला प्रशासन के संज्ञान में लाई गई । बावजूद इसके कार्रवाई नहीं होने से प्रशासन की कार्यशैली पर प्रह्नचिन्ह उठ रहे।
दिव्यांगों को प्राथमिकता के दावों की खुली पोल
एक तरफ शासन प्रशासन दिव्यांगों के प्रति सहानुभूति दिखाती है। उनके लिए तमाम कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। हर कार्यों में उन्हें प्राथमिकता देने की बात कही जाती है। वहीं दूसरी ओर आदिवासी बाहुल्य आकांक्षी जिला कोरबा में शासन के इस मंशा के विपरीत कार्य किया जा रहा। सहायक शिक्षकों की पदस्थापना में दिव्यांगों की सुध नहीं ली गई।