त्रिपुर तीर्थ यात्रा समिति की बदौलत नेपाल विदेश यात्रा का 150 श्रद्धालुओं का सपना हुआ साकर , अमोघ फलदायी सावन माह में विश्वप्रसिद्ध पशुपतिनाथ ,लुम्बिनी मंदिर ,झीलों की नगरी पोखरा सहित दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत एवरेस्ट का किया दीदार

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । भगवान पशुपतिनाथ ,भगवान बुद्ध की जन्मस्थली ,खूबसूरतवादियों झीलों सहित दुनिया की सबसे ऊंची पर्वतों का देश नेपाल का दीदार करने की दिली इच्छा हर भारतीय की होती है। लेकिन भरी बरसात में श्रद्धालु यात्रा की योजना नहीं बना पाते । लेकिन ऐसे शिवभक्तों की पर्यटन एवं दर्शन लालसा को साकार कर एक बार फिर श्री त्रिपुर यात्रा सेवा समिति ने दिल जीत लिया । सावन माह में 21 से 30 जुलाई तक 10 दिवसीय यात्रा में विशेष कोच के जरिए 150 भक्तों को सपरिवार नेपाल की सुरक्षित विदेश यात्रा कराकर रिकार्ड रच दिया। शानदार व्यवस्थाओं के साथ अविस्मरणीय पर्यटन ,धार्मिक तीर्थयात्रा में नेपाल का दीदार कर लौटे भक्तों ने यात्रा के सुखद अनुभव साझा करते हुए श्री त्रिपुर यात्रा सेवा समिति को साधुवाद दिया। जल्द ही समिति तीर्थयात्रा के इच्छुक भक्तों के जत्थे को एक और शानदार सुरक्षित अविस्मरणीय धार्मिक यात्रा पर ले जाने तैयारियों में जुट गई है।

विगत 14 वर्षों से हर सीजन में श्रद्धालुओं को तीर्थ यात्रा कराकर छत्तीसगढ़ शासन के हाथों आइकॉन अवार्ड से सम्मानीत हो चुकी श्री त्रिपुर यात्रा सेवा समिति ने अपने तीर्थयात्रा सेवा के कारवां में पावन सावन माह में 21 से 30 जुलाई तक भक्तों को
नेपाल की यात्रा कराई। भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बनी से यात्रा प्रारंभ की गई जो काठमांडू में भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग जैसा महत्व रखने वाले पशुपतिनाथ ,मनोकामना देवी मंदिर ,झीलों की नगरी पोखरा ,सति रिमर ,विंध्यवासिनी मंदिर ,गुप्तेश्वर महादेव ,फिवरलेक ,काठमांडू दरबार ,क्षेवल फाल ,बुद्ध स्तूप ,शम्भूनाथ मंदिर ,बुद्धा नीकंठ,भक्तपुर ,शांघा का दीदार कराते हुए भारत की यात्रा सीमा गोरखपुर के प्रसिद्ध मंदिर में विराम हुई।
इस अविस्मरणीय पर्यटन, तीर्थयात्रा में छत्तीसगढ़ ,मध्यप्रदेश ,महाराष्ट्र, बिहार,झारखंड के 25 से 85 वर्ष आयु के 150 शिवभक्त परिवार शामिल हुए व अपने जीवनकाल मे पहली बार 10 दिनों में नेपाल की खूबसूरत वादियों का लुफ्त उठा विश्वप्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन लाभ प्राप्त कर अपना जीवन धन्य बनाया।

2 मैनजर ,5 कुक की टीम ने पूरे यात्रा के दौरान रखा ख्याल

नेपाल पर्यटन तीर्थयात्रा 2 मैनेजर 5 कुक की टीम पूरे यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ख्याल रखती रही। 5 कुक सुबह शाम श्रद्धालुओं को सुपाच्य नाश्ता परोसते रहे। त्रिपुर यात्रा सेवा समिति की शानदार व्यवस्थाओं के चलते यात्रियों को घर से बाहर घर जैसा खाना मिला। समिति द्वारा जहां गोरखपुर तक ट्रेन के स्पेशल कोच से तो गोरखपुर से सम्पूर्ण नेपाल यात्रा एसी सुपर डीलक्स टूरिस्ट बस के जरिए कराई गई। हर धार्मिक स्थलों में होटल बस की सारी सुविधाएं मुहैया कराई गई। यूँ कहें जहां से यात्रा प्रारंभ होती है यात्रा की वापसी तक की सम्पूर्ण व्यवस्था त्रिपुर तीर्थयात्रा सेवा समिति ने कराई।

यूनेस्को द्वारा संरक्षित विश्व प्रसिद्ध मंदिर लुम्बिनी ,पशुपतिनाथ के दर्शन ,पोखरा की झीलों, एवरेस्ट के मनोहारी पर्वत ने मोहा मन

श्रद्धालुओं को पूरे यात्रा के दौरान कुछ खास अनुभव भी मिले। इनमें यूनेस्को के टॉप 10 विश्व प्रसिद्ध स्मारक में शामिल किए गए भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी का दर्शन लाभ से श्रद्धालु बेहद उत्साहित नजर आए।नेपाल आने का मुख्य उद्देश्य हर भारतीय का विश्व प्रसिद्ध भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर में शीश नवाकर जीवन को धन्य बनाने की रहती है। भारत में स्थित भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समान महत्व वाले पशुपतिनाथ ,मनोकामना देवी मंदिर की संध्या आरती में शामिल होकर मानो सीधे आत्मा का परमात्मा से जुड़ाव हो गया जैसी अनुभूति भक्तों को प्राप्त हुई। दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत माउंट एवरेस्ट को आंखों के सामने देखने का ख्वाब हर किसी का होता है। पर्यटकों की यह लालसा नेपाल आकर पूरी हो गई। झीलों की नगरी पोखरा की खूबसूरत वादियों ने पर्यटकों को रोमांचित कर दिया । इस तरह पूरे तीर्थयात्रा के दौरान आस्था के साथ उल्लास माहौल बना रहा। मध्यप्रदेश के सतना निवासी ब्राम्हण समाज के अध्यक्ष 32 वर्षीय शैलेश त्रिपाठी ,बिहार के हाजीपुर से 35 वर्षीय देवकुमार ,झारखंड के टाटानगर से 37 वर्षीय रविशंकर झा पहली बार सपरिवार यात्रा में शामिल हुए । यात्रा से लौटने के बाद अपने अनुभव साझा करते हुए श्रद्धालुओं ने बताया कि नेपाल आस्था एवं पर्यटन का बेजोड़ संगम है ,आज हम सबने श्री त्रिपुर तीर्थयात्रा सेवा समिति के प्रयासों शानदार व्यवस्थाओं की बदौलत इस संगम में सुरक्षित डूबकी लगा ली । जीवन में पहली बार इतने शानदार सुखद यात्रा का अनुभव हुआ। पूरे यात्रा के दौरान जिस तरह श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ख्याल रखा गया वाकई यादगार लम्हें लगे।