राखड़ प्रबंधन में रायगढ़ के दो औद्योगिक इकाईयां फैल,रायगढ़ इनर्जी जनरेशन लिमिटेड ,मेसर्स लारा थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट की 50 फीसदी से भी कम रही राखड़ उपयोगिता,प्रदूषित हो रही फिजा ,पर्यावरण विभाग के प्रश्रय पर उठे सवाल !

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज रायगढ़ । राखड़ प्रबंधन में रायगढ़ जिले में संचालित दो औद्योगिक इकाईयां पूरी तरह फैल रही हैं। गत वित्तीय वर्ष में पुसौर तहसील के छोटे भंडार में संचालित मेसर्स रायगढ़ इनर्जी जनरेशन लिमिटेड एवं मेसर्स लारा थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट (एनटीपीसी लिमिटेड ) की राखड़ उपयोगिता 50 फीसदी से भी कम रही। साथ रायगढ़ इनर्जी के विरुद्ध लातनाला में फ्लाई ऐश डालने की शिकायत में मिली खामियों ने शासन प्रशासन की चिंताएं बढ़ा दी है। पर्यावरण विभाग की मेहरबानी से तमाम शिकायतों के बाद भी फल फूल रहीं राखड़ प्रबंधन में फैल इन औद्योगिक इकाईयों की वजह से न केवल संबंधित क्षेत्र की फिजा दूषित हो रही वरन लोगों की सेहत पर विपरीत असर पड़ रहा।

यहाँ बताना होगा कि औद्योगिक इकाइयों से उत्सर्जित होने वाले राखड़ के सुरक्षित प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल )को प्रदूषण फैलाने वाले पावर प्लांट्स पर राखड़ की उपयोगिता का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने के आदेश दिए हैं। एनजीटी भी राखड़ उपयोगिता को लेकर सख्त है । एनजीटी ने सभी औद्योगिक इकाईयों को निर्देश दिया है कि वे संयत्रों से उत्सर्जित राखड़ का शत प्रतिशत उपयोगिता सुनिश्चित करने की दिशा में गंभीरता से कार्य करें। लेकिन छत्तीसगढ़ के सबसे जहरीली प्रदूषित शहरों की सूची में सिरमौर रायगढ़ में कुछ इकाईयां एनजीटी के निर्देशों सुप्रीमों कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। बात करें गत वित्तीय वर्ष 2021-22 में औद्योगिक संयंत्रों से उत्सर्जित राखड़ के उपयोगिता की तो रायगढ़ जिले के दो इकाइयों की राखड़ उपयोगिता का दायरा 50 फीसदी से भी कम रहा। पुसौर तहसील के छोटे भंडार में संचालित मेसर्स रायगढ़ इनर्जी जनरेशन लिमिटेड की राखड़ उपयोगिता महज 39 प्रतिशत रही। 600 मेगावाट की इस इकाई से 9 लाख 70 हजार 517 मीट्रिक टन फ्लाई ऐश का उत्सर्जन हुआ जिसमें से 3 लाख 78 हजार 828 मीट्रिक टन फ्लाई ऐश की उपयोगिता सुनिश्चित की जा सकी। 5 लाख 91 हजार 689 मीट्रिक टन राखड़ की उपयोगिता सुनिश्चित नहीं की जा सकी। इसी तरह मेसर्स लारा थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट (एनटीपीसी लिमिटेड ) की राखड़ उपयोगिता 47 .52 फीसदी रही। कुल 1600 मेगावाट की इस इकाई से 32 लाख 34 हजार 173 मीट्रिक टन फ्लाई ऐश का उत्सर्जन हुआ जिसमें से 15 लाख 36 हजार 830 मीट्रिक टन फ्लाई ऐश की उपयोगिता सुनिश्चित की जा सकी। 16 लाख 97 हजार 343 मीट्रिक टन राखड़ की उपयोगिता सुनिश्चित नहीं की जा सकी।

रायगढ़ इनर्जी जनरेशन लिमिटेड की
जांच में मिली थी गम्भीर खामियां

रायगढ़ इनर्जी जनरेशन लिमिटेड न केवल राखड़ प्रबंधन में फैल साबित हो रहा वरन नदी नालों को भी प्रदूषित करने में पीछे नहीं रहा। क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण संरक्षण मंडल को ग्राम टिमरलगा के लातनाला में फ्लाई ऐश प्रवाहित किए जाने की शिकायतें मिली थी। जिसके परिपालन में 29 सितम्बर 2021 को सहायक अभियंता छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल रायगढ़ प्रतिभा टोप्पो एवं रसायनज्ञ हिमश्वेता खाखा ने मौके पर पहुंचकर खसरा नंबर 1936 का निरीक्षण किया था। जिसके तहत व्यापक पैमाने पर निरीक्षण के दौरान गम्भीर खामियां पाई गई थी।जिसमें फ्लाई ऐश के ऊपर मिट्टी की परत बिछाना नहीं पाया गया। फ्लाई ऐश जमीन से लगभग 2 मीटर ऊपर पाया गया। उक्त स्थल के समीप से लातनाला गुजरती है ,जिसमें गढ्ढों का जमाव जल ओवर फ्लो होने से लातनाला में मिलता है ,जिससे जल प्रदूषण होने की संभावनाएं पाई गई थी। उक्त स्थल से जल बहाव के रोकथाम हेतु बंड का अभाव पाया गया था।

सीएम श्री बघेल ने जताई थी चिंता ,मंच से पावर कंपनियों को दी थी चेतावनी ,नहीं दिखा असर

1 सितम्बर को भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान रायगढ़ प्रवास पर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समक्ष रायगढ़ जिले की जनता ने पावर कम्पनियों की मनमानी की शिकायत की थी। जिसके तहत प्रदेश के मुखिया को अवगत कराया गया था कि औद्योगिक इकाइयों द्वारा मनमाने ढंग से राखड़ को निजी खेत ,नदी नालों में प्रवाहित किया जा रहा है । जिस पर मुख्यमंत्री श्री बघेल ने खुले मंच से पावर कंपनियों को दो टूक चेतावनी दी थी कि नदी नालों निजी खेतों में फ्लाईएश डम्प की तो खैर नहीं होगी।उन्होंने फ्लाईएश निस्तारण के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए थे। लेकिन अब तक इस दिशा में सार्थक पहल नजर नहीं आई।

यहां होता है फ्लाईएश का उपयोग

राख उपयोग के विभिन्‍न घटकों में वर्तमान में सीमेंट, एस्‍बेस्‍टस – सीमेंट उत्‍पाद और कंक्रीट विनिर्माण उद्योग, भूमि विकास, सड़क तटबंध निर्माण, ऐश डाईक रेजिंग, भवन निर्माण सामग्री जैसे कि ईंट/ब्‍लाक/टाइल, कोयले की खानों का पुन:उद्धार तथा कृषि में मृदा सुधार की सूक्ष्‍म तथा स्‍थूल पोषक तत्‍वों के स्रोत के रुप में उपयोग किया जाना शामिल है।