गुजरात के मोरबी पुल हादसे पर एसआईटी की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा :पुल गिरने के पहले ही टूट चुके थे 49 में से 22 केबल

दिल्ली । गुजरात के मोरबी में पुल ढहने के मामले पर सरकार द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (SIT) की प्रारंभिक रिपोर्ट सामने आई है. एसआईटी की जांच में पुल के ढहने के प्राथमिक कारणों का पता चला है। एसआईटी का कहना है कि ओरेवा कंपनी और मोरबी नगर पालिका के बीच समझौते के लिए जनरल बोर्ड की पूर्वानुमति जरूरी थी. समझौते में ओरेवा कंपनी, मुख्य अधिकारी नगरपालिका, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के हीं हस्ताक्षरकर्ता थे।

साथ ही एसआईटी ने कहा कि जनरल बोर्ड की पूर्व सहमति भी नहीं मांगी गई और समझौते के बाद हुई जनरल बोर्ड की बैठक में भी सहमति का मुद्दा नहीं उठाया गया। मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी को सामान्य बोर्ड की पूर्व स्वीकृति के बिना समझौता नहीं करना चाहिए था। एसआईटी की रिपोर्ट में और भी कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।

हादसे में टूटे थे बाकी 27 तार

एसआईटी की रिपोर्ट में यह भी पता चला कि मोरबी नगर पालिका मुख्य अधिकारी अध्यक्ष व उपाध्यक्ष ने समझौता के मुद्दे को ठीक से नहीं लिया। बिना सक्षम तकनीकी विशेषज्ञ व परामर्श के किया गया मरम्मत कार्य किया। मरम्मत कार्य शुरू करने से पहले मेन केबल और वर्टिकल सस्पेंडर की जांच नहीं हुई। 49 में से 22 केबल पहले ही काटे जा चुके थे, यह दर्शाता है कि ये तार पुल गिरने से पहले ही टूट गए थे। हादसे में बाकी 27 तार टूट गए। पुराने सस्पेंडर को नए सस्पेंडर से जोड़ा गया। ऑरेवा कंपनी ने एक अक्षम एजेंसी को काम आउटसोर्स किया था।

पुल हादसे में 135 की गई थी जान

बता दें कि पिछले साल मोरबी में पुल टूटने की घटना में आरोपी ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था। पिछले साल 30 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी शहर में पुल के टूट जाने से कम से कम 135 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। पटेल की कंपनी पर पुल के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी थी। पटेल ने मोरबी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) एम जे खान की अदालत के सामने आत्मसमर्पण किया था, जिसने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। अदालत ने कारोबारी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया और इसके बाद उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।