पखवाड़ा बीतने के बाद भी जिला प्रशासन राईस मिलरों से नहीं कर सका अनुबंध ,खाद्य विभाग, मार्कफेड की लापरवाही पड़ेगी भारी
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा (भुवनेश्वर महतो ) । जिले के 41 समितियों के 49 उपार्जन केंद्रों में समर्थन मूल्य पर खरीदे गए 45 करोड़ रुपए के धान पर संकट मंडरा रहा है । पिछले 3 दिनों से प्रदेश में मौसम का मिजाज बदला हुआ है ,काले घटाओं के साथ हल्की बारिश हो रही है वहीं दूसरी ओर धान खरीदी त्यौहार का पखवाड़ा बीतने के बाद कस्टम मिलिंग के लिए राईस मिलरों से अनुबंध की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है । प्रशासन की उदासीनता खाद्य विभाग ,मार्कफेड की लापरवाही से उपार्जन केंद्रों में रखे करोड़ों के धान का बेमौसम बारिश और बदली से खराब होने की संभावना बढ़ गई है ।
यहाँ बताना होगा कि प्रदेश में 1 दिसम्बर से 31 जनवरी तक समर्थन मूल्य में धान खरीदी की जा रही है । राज्य शासन ने गत वर्ष की तरह इस साल भी किसानों को प्रति क्विंटल धान के लिए 2500 रुपए भुगतान करने का निर्णय लिया है । केंद्र शासन पतला धान 1888 तथा मोटा एवं स्वर्णा धान 1868 समर्थन मूल्य पर खरीद रही है । इस राशि के ऊपर 2500 रुपए प्रति क्विंटल के लिए देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर कांग्रेस सरकार राजीव न्याय योजना के रूप में 4 किश्तों में अंतर की राशि बोनस के तौर पर किसानों के खाते में सीधे जारी करेगी । इस तरह देखें तो इस साल भी जिले के किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल धान की राशि मिलेगी । पहले पखवाड़े में अब तक जिले के 49 उपार्जन केंद्रों से 1 लाख 80 हजार क्विंटल से अधिक की धान खरीदी हो चुकी है । 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदे गए धान की कीमत 45 करोड़ रुपए की है । शासन ने धान खरीदी के एक सप्ताह के भीतर उपार्जन केंद्रों से धान के उठाव का प्रावधान सुनिश्चित किया है । राईस मिलरों को डीओ जारी करने के 72 घण्टे के भीतर उठाव करने की बाध्यता है । लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहें कि 45 करोड़ रुपए के धान में से एक दाना भी धान कस्टम मिलिंग के लिए नहीं उठाव किया गया। हर साल पंजीकृत राईस मिलरों से जिला प्रशासन कस्टम मिलिंग का कार्य कराती है । इसके लिए अनुमति की प्रक्रिया खाद्य विभाग तो अनुबंध निष्पादित करने की प्रक्रिया जिला विपणन कार्यालय (मार्कफेड) की होती है । खाद्य विभाग राईस मिलों का भौतिक सत्यापन के बाद तय शर्तों के तहत अनुमति की प्रक्रिया पूरी कर अनुबंध के लिए मार्कफेड को हस्तांतरित करतीहै । मार्कफेड बैंक गारंटी ( बीजी)के आधार पर राईस मिलरों का कस्टम मिलिंग के लिए अनुबंध की प्रक्रिया पूरा करती है । लेकिन इस विलंब से धान खरीदी अभियान शुरू होने के बाद भी एक भी राईस मिलरों का अनुबंध नहीं हुआ है । जबकि राईस मिलरों ने इसके लिए 26 नवंबर को ही ऑनलाइन आवेदन कर दिया था । खाद्य विभाग से इस बार अनुमति जारी करने में बेहद विलंब हुआ है ,रही सही कसर मार्कफेड पूरी करेगा। अनुबंध प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही मुख्यालय से ऑनलाइन डीओ कट सकेगा। उसके बाद ही राईस मिलर उपार्जन केंद्र जाकर धान का उठाव करेंगे । तब तक समिति के कर्मचारियों के लिए धान की सुरक्षा चुनोती बनी हुई है । उन्हें धान की रखवाली के लिए तिरपाल ,ड्रेनेज आदि कार्य में पूरा ध्यान लगाना पड़ रहा है । अगर झमाझम बारिश हुई तो समिति को इसका बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। जिसकी चिंता सभी समितियों को सता रही है । वनांचल क्षेत्रों के उपार्जन केंद्र श्यांग ,बरपाली ,नवापारा ,रामपुर ,सिरमिना ,कोरबी ,मोरगा ,करतला ,केरवाद्वारी आदि में धान की सुरक्षा के साथ साथ जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है । लिहाजा यहां के कर्मचारियों की नींद उड़ने लगी है ।हालांकि सोमवार को खाद्य विभाग एवं मार्कफेड में राईस मिलरों की अनुमति एवं अनुबंध के लिए भींड लगी हुई थी ।
शासन से ज्यादा राईस मिलरों की चिंता
राईस मिलरों की चिंता ज्यादा
बताया जा रहा है कि जिले में धान खरीदी का लक्ष्य इस साल 12 लाख 85 हजार क्विंटल है जबकि जिले के 75 राईस मिलरों की मिलिंग क्षमता करीब 22 लाख क्विंटल की है । यही वजह है अनुमति से लेकर अनुबंध की प्रक्रिया में शुरुआती दौर में विलंब किया जाता है ,ताकि राईस मिलरों को पर्याप्त मात्रा में धान के कस्टम मिलिंग के लिए ऑनलाइन डीओ जारी किया जा सके । इस कार्य में खाद्य एवं मार्कफेड के अधिकारियों की राईस मिलरों से मिलीभगत जगजाहिर है ।डीओ जारी करने में भी हर साल एक बड़ा खेल होता है । जिसका खामियाजा समितियों को भुगतना पड़ता है ।
आज दे रहे अनुमति
अनुमति के लिए राईस मिलर आज आए हैं प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं । राईस मिलरों के लिए अभी मिलिंग क्षमता के अनुपात में धान खरीदी नहीं हुई है । लिहाजा अनुबंध के बाद डीओ जारी करते ही तत्काल धान का उठाव कर लिया जाएगा।
जे के सिंह ,खाद्य अधिकारी
एक भी मिलर की अनुमति नहीं आई
भौतिक सत्यापन पत्रक के साथ एक भी राईस मिलरों की अनुमति नहीं आई है । अनुमति पत्रक आते ही अनुबंध की प्रक्रिया तत्काल पूरी करेंगे।
जे जिल्हारे, डीएमओ