सीजी जीपीएफ के चक्कर में कर्मचारी/अधिकारी पेंशन राशि के लिए त्रस्त -चन्द्रिका सिंह

जन अधिकार मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ने विसंगतियों को लेकर कराया ध्यान आकृष्ट

दन्तेवाड़ा। जन अधिकार मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रिका सिंह ने प्रेस नोट के माध्यम से बताया है कि देश या प्रदेश में कर्मचारी हो, व्यापारी हो, कृषक हो, सर्व प्रथम भारतीय नागरिक है। और प्रत्येक भारत की जनता के सुख-दुख में साथ देने के लिए जन अधिकार मोर्चा दृढ़ संकल्पित है। इसी संकल्प के तहत् प्रदेश के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पूर्व में देय पेंशन योजना नवीन पेंशन योजना के स्थान पर 01.11.2004 से पुरानी पेंशन योजना(ओपीएस.)लागू किया गया है।

जिसका समय समय पर मांग किये जाने की स्थिति में छ.ग.शासन वित्त विभाग मंत्रालय नवा रायपुर अटल नगर के आदेश क्रमांक/282/ एफ-2016-04-03289/वि./नि./चार नवा रायपुर अटल नगर दिनांक 11/05/2022 के माध्यम से पुरानी पेंशन योजना लागू की गई है। जिसका जन अधिकार मोर्चा स्वागत करता है। किन्तु धरातल पर जो पेचिदा चैनल बनाया गया है। उसके चलते सेवानिवृत्त/मृतक परिवार पेंशन के नाम पर दर-दर भटक रहे हैं । और पेंशन समय पर नहीं मिलने के कारण कई परिवार के समक्ष जटिल कठिनाइयाँ उत्पन्न हो रही हैं। कर्मचारी अधिकारी के जमा राशि का 60 प्रतिशत भुगतान करने के लिए जिला कोषालय द्वारा परीक्षण के लिए प्रकरण को संचालनालय कोश लेखा एवं पेंशन रायपुर को प्रेषित किया जाता है, उसके पश्चात जमा पूंजी के लिए विभाग प्रमुख द्वारा एन.एस.डी.एल. बाम्बे को प्रेषित किया जाता है। उनके द्वारा प्रकरण का परीक्षण कर पुनः विभाग प्रमुख को जमा पूंजी राशि की व्यवस्था के लिए पृथक-पृथक चालान प्रेषित कर शासकीय कोष में जमा करने का प्रावधान है। उक्त प्रक्रिया के पूर्ण होने पर ही संबंधित कर्मचारी/अधिकारी या मृतक परिवार को पेंशन देय हो पाती है। इस संपूर्ण प्रक्रिया के लिए कोई भी समय-सीमा निर्धारित नहीं किया गया है। फलस्वरूप संबंधित कर्मचारी/अधिकारी पेंशन राशि के लिए दर-दर भटकते रहते है। काफी जद्दोजहद के बाद संबंधित को इसका लाभ मिल पाता है। पूर्व की भाति जमा राशि का जमा पत्रक संबंधित कर्मचारी को हर-हाल में दिया जाना चाहिए। श्री सिंह ने राज्य सरकार से निवेदन के साथ अपील की है, कि आ रही जटिलता को शिथिलीकरण किया जाकर 01.11.2004 के पूर्व की भाति व्यवस्था सुनिश्चित किया जाना उचित प्रतीत होता है जिससे इस काफी उम्र में सेवानिवृत्त/मृतक परिवार को दर-दर भटकने की स्थिति निर्मित न हो।