नई दिल्ली. मानवता के सामने प्रलय (Doomsday) के खतरे को दिखाने वाली घड़ी खतरनाक इशारा कर रही है. यह घड़ी मध्यरात्री (Midnight) से करीब 100 सेकंड दूर है. घड़ी के कांटों का मध्यरात्री तक पहुंचने का मतलब है दुनिया में प्रलय आने वाला है. खास बात है दुनिया कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus Pandemic), न्यूक्लियर युद्ध (Nuclear War) और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से जूझ रही है. इस घड़ी ने 2020 में भी इतना ही समय बताया था.
बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट (Bulletin of the atomic scientist) के अध्यक्ष रेचल ब्रॉन्सन ने बताया ‘कयामत की घड़ी के कांटे मध्यरात्री से 100 सेकंड दूर हैं.’
उन्होंने बताया कि कांटे मध्यरात्री के पहले से ज्यादा करीब हैं. ब्रॉन्सन ने विज्ञान में भरोसे की कमी औऱ कोरोना वायरस महामारी से का सामना करने में पूरी तरह से कमी की बात कही है. बीते साल घड़ी मध्यरात्री से 2 मिनट की दूरी पर थी, जो बाद में खिसकर 100 सेकंड पर आ गई थी.
उन्होंने कहा ‘खतरनाक और भय से प्रेरित कोविड-19 महामारी एक एतिहासिक वेक अप कॉल की तरह काम करता है. यह बताता है कि राष्ट्रीय सरकारें और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं न्यूक्लियर हथियार और जलवायु परिवर्तन के खतरे का सामना करने के लिए तैयार नहीं थीं.’ हालांकि, यह सवाल है कि प्रलय की घड़ी क्या है और जब यह मध्यरात्री तक पहुंचेगी तो क्या होगा?
इस घड़ी का निर्माण बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स ने 1947 में किया था. यह एक नॉन प्रॉफिट ग्रुप है, जिसका गठन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन और यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के छात्रों ने 1945 में किया था. इसके बोर्ड सदस्यों में 13 नोबल पुरस्कार विजेता हैं. प्रलय की घड़ी यह दिखाती है कि पृथ्वी त्रासदी से कितनी दूर है. इस घड़ी से पता लगाया जाता है कि न्यूक्लियर घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के खतरों का असर दुनिया पर पड़ने में कितना समय है. बावा वैंगा ने भी 2021 को लेकर कई भविष्यवाणियां की हैं. उनकी भविष्यवाणी के हिसाब से मानवता के लिए साल 2021 खतरनाक साबित होने वाला है.