खत्म हुआ इंतजार:रेडी टू ईट एवं फोर्टिफाइड आटा का निर्माण , वितरण दायित्व सक्षम महिला स्व सहायता समूहों के हवाले करने समूह चयन की प्रक्रिया शुरू,आकांक्षी जिला कोरबा में 21अप्रैल तक मंगाए गए आवेदन ,देखें नियम एवं शर्तें ,जानें कौन होंगे पात्र ,अपात्र ….

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। आखिरकार छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के डेढ़ साल
बाद पायलट प्रोजेक्ट के तहत आकांक्षी जिला कोरबा समेत 6 जिलों में रेडी टू ईट उत्पादन एवं वितरण का कार्य राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की इकाइयों की जगह शासन की घोषणानुरूप महिला स्व सहायता समूहों को संचालन का दायित्व देने की कवायद शुरू कर दी गई है।आकांक्षी जिला कोरबा में कार्यालय महिला एवं बाल विकास विभाग ने सक्षम आंगनबाड़ी एवं पोषण 2.0 के तहत पूरक पोषण आहार व्यवस्था अंतर्गत रेडी टू ईट एवं फोर्टिफाइड आटा का परियोजना स्तर पर स्थापित यूनिट के माध्यम से निर्माण एवं आपूर्ति हेतु महिला स्व सहायता समूहों के चयन एवं कार्य से पृथक करने की प्रक्रिया का निर्धारण करने 7 से 21अप्रैल के मध्य अभिरुचि का प्रस्ताव डाक /कोरियर के माध्यम से मंगाया है। जिससे सोमवार से इच्छुक पात्र समूहों का आवेदनों का सिलसिला शुरू हो जाएगा।

यहां बताना होगा कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 6 माह से 6 वर्ष के नोनिहालों ,किशोरियों,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के पोषण के लिए कार्य किया जा रहा है। 1 फरवरी 2022 के पूर्व
स्थानीय महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से पूरक पोषण आहार कार्यक्रम अंतर्गत रेडी टू ईट कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा था। गेहूं ,सोया ,चना ,मूंगफली मिश्रित पौष्टिक पोषण आहार रेडी टू ईट 3 वर्ष तक के बच्चों ,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के लिए प्रत्येक मंगलवार को दिए जाने का प्रावधान है ताकि उन पर कुपोषण की काली छाया न पड़े ,कुपोषित हितग्राही इसके दायरे से बाहर निकल सकें। 3 से 6 वर्ष के बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन में फोर्टिफाइड आटा से निर्मित रोटी प्रदाय किया जाता है। लेकिन
24 दिसंबर 2021 को छत्तीसगढ़ शासन ने द्वारा कैबिनेट में लिए गए निर्णय अनुसार 1 फरवरी 2022 फरवरी से राज्य बीज निगम की स्थापित इकाईयों के माध्यम से स्वचलित मशीनों के माध्यम से रेडी टू ईट का उत्पादन करने का निर्णय लिया था। इसके पीछे शासन ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाईन का हवाला दिया है जिसमें मानव स्पर्श रहित गुणवत्ता युक्त आवश्यक पोषक तत्वों से भरे रेडी टू ईट बच्चों की सेहत के लिए उपयुक्त बताया था। हालांकि सरकार के इस फैसले से पिछले करीब डेढ़ दशक से रेडी टू ईट का निर्माण कर रहीं स्व सहायता समूह के हाथों से रोजगार छीन गया था । 20 हजार से अधिक महिलाएं सीधे तौर पर इससे प्रभावित हुईं थी ।लाखों रुपए कर्ज लेकर विषम परिस्थितियों में भी स्व सहायता समूहों की महिलाओं ने योजना का सुचारू संचालन किया था ।
तमाम विरोध प्रदर्शन के बावजूद
24 मार्च 2022 से पूर्ण रूप से छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम रायपुर की स्थापित यूनिट को कार्य सौंप दिया गया था। विधानसभा चुनाव में भी रेडी टू ईट का दायित्व चरणबद्ध रूप से स्थानीय महिला स्व सहायता के सुपुर्द करने की बात कही गई थी। लिहाजा बजट सत्र में मुख्यमंत्री ने पहले चरण में 5 जिलों में रेडी टू ईट फ़ूड का दायित्व स्थानीय पंजीकृत सक्षम महिला स्व सहायता समूहों के हवाले करने का ऐलान किया था। मुख्यमंत्री की घोषणानुरूप आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले 20 जनवरी 2025 को सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ शासन शम्मी आबिदी ने पूरक पोषण आहार योजनांतर्गत
रेडी टू ईट निर्माण व वितरण का कार्य छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम रायपुर की स्थापित यूनिट की जगह 6 जिलों में रेडी टू ईट के निर्माण हेतु फर्म एंड सोसायटी के तहत पंजीकृत सक्षम महिला स्व सहायता समूहों को सौंपने आदेश जारी किया था। लेकिन आचार संहिता हटने के एक माह से अधिक समयावधि बीतने के बाद भी समूह चयन की कवायद ही शुरू नहीं की जा सकी। समूह चयन को लेकर कोई सर्कुलर जारी नहीं हुए। जिससे नए वित्तीय वर्ष के प्रथम माह से इन 6 जिलों में सक्षम स्व सहायता समूहों की जगह फिलहाल राज्य बीज निगम की उत्पादनकर्ता फर्म ही अप्रैल माह में रेडी टू ईट वितरण करती नजर आई। लेटलतीफी को लेकर मीडिया में विभाग की रवैये को लेकर खूब आलोचना हो रही थी। इस बीच वित्तीय वर्ष के समाप्ति के अंतिम सप्ताह में 24 मार्च को मंत्रालय महिला एवं बाल विकास विभाग महानदी भवन रायपुर द्वारा सक्षम आंगनबाड़ी एवं पोषण 2.0 के तहत पूरक पोषण आहार व्यवस्था अंतर्गत रेडी टू ईट एवं फोर्टिफाइड आटा का परियोजना स्तर पर स्थापित यूनिट के माध्यम से निर्माण एवं आपूर्ति हेतु महिला स्व सहायता समूहों के चयन एवं कार्य से पृथक करने की प्रक्रिया का निर्धारण करने सर्कुलर जारी किया था। इस आदेश के प्रभावशील होने से रेडी टू ईट एवं फोर्टिफाइड आटा व निर्माण एवं आपूर्ति संबंधी पूर्व में जारी समस्त निर्देश /आदेश अपास्त हो जाएंगे। राज्य से जारी सर्कुलर संलग्न कर महिला स्व सहायता समूहों के चयन एवं कार्य से पृथक करने की प्रक्रिया का निर्धारण करने जिलों से आवेदन मंगाए जाने की प्रकिया शुरू कर दी गई है। जिसके तहत कोरबा जिले में कार्यालय जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग कोरबा द्वारा समस्त दस बाल विकास परियोजनाओं में आगंनबाड़ी केंद्रों में रेडी टू ईट एवं फोर्टिफाइड आटा का निर्माण एवं आपूर्ति करने के लिए फर्म एवं सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत सक्षम महिला स्व -सहायता समूहों से प्रस्ताव 7 से 21 अप्रैल तक डाक एवं कोरियर के माध्यम से आमंत्रित किए गए हैं। अभिरुचि का प्रस्ताव आवेदन का प्रारूप https://korba.gov.in पर अवलोकन किया जा सकता है। समूह चयन के नियम एवं शर्तें जिला ,परियोजना कार्यालयों एवं एनआईसी के निर्धारित साईट पर देखा जा सकता है।

जिले में 94 सेक्टर के 2598 आंगनबाड़ी केंद्रों में होगी आपूर्ति 👇

आकांक्षी जिला कोरबा में दस परियोजना हैं ,इन 10 परियोजनाओं के अंर्तगत 94 सेक्टर एवं 2598 आगंनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इन केंद्रों में अब महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से रेडी टू ईट एवं
फोर्टिफाइड आटा का निर्माण एवं आपूर्ति की जाएगी।

चयनित समूह को संबंधित सेक्टर के लिए 1 समूह को कार्य के लिए संबद्ध किया जाना अनिवार्य 👇

प्रत्येक परियोजना के लिए एक महिला समूह का चयन किया जावेगा। जिनके द्वारा परियोजना के आगंनबाड़ी केंद्रों के लिए रेडी टू ईट फूड एवं फोर्टिफाइड आटा का निर्माण एवं आगंनबाड़ी केंद्रों तक आपूर्ति किया जाएगा। चयनित समूह को संबंधित सेक्टर के लिए 01 समूह को कार्य के लिए संबद्ध किया जाना अनिवार्य होगा। जिसका चयन यूनिट संचालन हेतु चयनित समूह द्वारा किया जाएगा। उनके देयकों /मजदूरी का भुगतान यूनिट संचालन हेतु चयनित समूह द्वारा किया जाएगा।

ये समूह आवेदन के लिए होंगे पात्र 👇

योजना के तहत वही महिला स्व सहायता समूह आवेदन करने हेतु पात्र होंगे जिसे गठित हुए न्यूनतम 3 वर्ष हो गया हो । सक्रिय हो एवं छत्तीसगढ़ राज्य की फर्म एवं सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत हो।

तो अन्य परियोजनाओं में स्थापित यूनिट से दोनों परियोजनाओं में की जा सकेगी रेडी टू ईट एवं फोर्टिफाइड आटा की आपूर्ति 👇

जारी सर्कुलर जिले की स्वीकृत परियोजना अनुरूप 01 यूनिट का निर्धारण किया जाएगा। किंतु यदि किसी परियोजना में आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या (100 से कम )एवं रेडी टू ईट की मात्रा कम होने पर अन्य परियोजना में स्थापित यूनिट से दोनों परियोजनाओं की रेडी टू ईट ,फोर्टिफाइड आटा निर्माण एवं आपूर्ति का कार्य समूह द्वारा किया जाएगा।

रीपा के भवन ,गोदाम समेत यहाँ की जाएगी यूनिट स्थापना 👇

चयनित महिला स्व सहायता समूह को यूनिट की स्थापना के लिए जिले में स्थापित रीपा के भवन ,गोदाम आदि संसाधनों के उपयोग को प्राथमिकता दी जाएगी। यदि परियोजना स्तर /शहरी परियोजना पर रीपा की भवन ,गोदाम आदि संसाधनों के उपलब्ध नहीं होने पर अन्य शासकीय भवन /समूह के स्वयं भवन /स्वयं से किराए के भवन की व्यवस्था करनी होगी।
परियोजना स्तर पर 01 यूनिट की स्थापना होगी। यूनिट में पूर्ण स्वचलित मशीन (fully automated machine )की स्थापना की जाएगी। जिसकी लागत एवं कार्यशील पूंजी की व्यवस्था चयनित महिला स्व सहायता समूह द्वारा किया जाएगा। खाद्य सामाग्री की साफ -सफाई पिसाई,फोर्टिफाइड एवं पैकेजिंग आदि समस्त कार्य स्वचलित मशीन द्वारा ही किया जाएगा। निर्माण कार्य में मानव स्पर्श रहित के नियम का पालन किया जाएगा।

समूह चयन हेतु पात्रता मापदंड 👇

👉प्रत्येक जिला मुख्यालयों में आमंत्रित प्रस्ताव का जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा तैयार किए गए तुलनात्मक पत्रक तथा समूहों द्वारा प्रस्तुत आवेदन का पत्र सह प्रस्ताव का चयन समिति द्वारा मिलान कर पुष्टि करते हुए उन्हें 100 में से अंक प्रदान किया जाएगा।चयन समिति के द्वारा मूल्यांकन के लिए निर्धारित मापदंडों (कसौटियों)का आंकलन कर अंक दिया जाएगा।

👉समूह आर्थिक रूप से सक्षम होना चाहिए ताकि वे रेडी टू ईट निर्माण हेतु लगने वाले अनुमानित लागत राशि निवेश के रूप में उपयोग कर सके एवं रेडी टू ईट की निरंतरता को 3 माह तक बनाए रख सकें।

👉जिस परियोजना की आगंनबाड़ी केंद्रों में रेडी टू ईट फूड एवं फोर्टिफाइड आटा निर्माण एवं आपूर्ति के लिए समूह का चयन किया जाना है ,समूह उसी परियोजनाओं के कार्यक्षेत्र का होना चाहिए। यदि किसी
कारणवश संबंधित परियोजना में समूह उपलब्ध नहीं होने पर संबंधित विकासखण्ड से महिला स्व सहायता समूह के चयन की कार्यवाही की जा सकेगी। किसी भी स्थिति में विकासखण्ड के बाहर की महिला स्व सहायता समूह का चयन नहीं किया जाएगा।

👉आवेदित महिला स्व सहायता समूह में समान ,सामाजिक परिवेश की 10 से 20 महिला सदस्य हो तथा आवेदित महिला स्व सहायता समूह में एक परिवार का एक सदस्य शामिल हो।

👉समूह के अध्यक्ष,सचिव एवं कोषाध्यक्ष का कार्यकाल निर्धारित होना चाहिए।

👉समूह की नियमित बैठक होनी चाहिए । समूह के निर्णय में सभी की सहभागिता हो तथा प्रत्येक बैठक की कार्यवाही विवरण पंजी में दर्ज होना चाहिए।

👉समूह के सदस्यों के द्वारा नियमित बचत राशि जमा किया जाना चहिए एवं बचत राशि का उल्लेख समूह के पंजी में दर्ज होना चाहिए।

👉महिला स्व सहायता समूह का बैंक खाता हो तथा रोकड़ बही ,सदस्यता पंजी ,जमा पंजी ,ऋण एवं ऋण वापसी पंजी संधारित हो । रोकड़ बही में बचत एवं निकासी का विवरण दर्ज हो ।

समूह चयन हेतु अपात्रता 👇

👉आगंनबाड़ी कार्यकर्ता या सहायिका यदि महिला स्व सहायता समूह में सदस्य /पदाधिकारी है तो समूह के चयन के लिए अपात्र माना जाएगा ।

👉समूह के सदस्य / सदस्यों का निजी अपराधिक गतिविधि में संलग्न पाए जाने पर समूह को तत्काल ऐसे सदस्य /सदस्यों को समूह से पृथक करना होगा। यदि सदस्यों को पृथक करने के उपरांत समूह की सदस्य संख्या समूह के न्यूनतम संख्या से कम हो रही तो तत्काल नवीन सदस्यों को समूह में शामिल करना होगा ,अन्यथा समूह अपात्र माना जावेगा।

👉रेडी टू ईट के कार्य में अथवा किसी अन्य शासकीय योजना में अनियमितता /नमूना के गुणवत्ताहीन पाए जाने के कारण पूर्व में कार्य से पृथक किया गया है तो समूह चयन के लिए अपात्र माना जाएगा।

👉यदि महिला एवं सहायता समूह परियोजना क्षेत्र से बाहर का है तो उसे चयन के लिए अपात्र माना जाएगा ,किंतु कंडिका -3.12 के संदर्भ में विकासखण्ड /परियोजना क्षेत्र का नियम लागू होगा।

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इन जिलों में होना है परियोजना स्तर पर रेडी टू ईट निर्माण ,वितरण का काम 👇

1 .बस्तर

2 .दंतेवाड़ा

3 .कोरबा

4.रायगढ़

5 .बलौदाबाजार

6.सूरजपुर