नीली आंखों वाला तूफानी गेंदबाज जो टीम इंडिया छोड़कर पाकिस्‍तान चला गया, फिर महान बॉलर बन गया

19 साल की एक तेज गेंदबाज ऑस्‍ट्रेलिया दौरे के लिए भारतीय टीम में चुना गया. वहां उसे डॉन ब्रेडमैन का सामना करना था. पूरी तैयारी थी. लेकिन ये तूफानी गेंदबाज फिर भारत छोड़कर पाकिस्‍तान के लिए खेलने लगा. यह खिलाड़ी है फजल महमूद (Fazal Mahmood). आज उनका जन्‍मदिन है. रणजी ट्रॉफी में खेले फजल को 1947 के ऑस्‍ट्रेलिया दौरे पर टीम में जगह मिली थी, लेकिन उन्‍होंने मुस्लिम होने के नाते पाकिस्‍तान से खेलने का फैसला किया. आगे चलकर वे कमाल के गेंदबाज बने. फजल महमूद पाकिस्तान के पहले महान तेज गेंदबाज थे. उन्होंने 1950 के दशक में अपनी टीम को कई यादगार जीत दिलाईं.

1950 के दशक में पाकिस्तान में मैटिंग पिचें काफी इस्तेमाल होती थीं.

इन पर महमूद का कोई जवाब नहीं थी. पाकिस्तान ने 1952 में लखनऊ में जब भारत को हराया था तब महमूद ने मैच में कुल 12 विकेट लिए थे. इसमें सात विकेट तो उन्होंने दूसरी पारी में महज 42 रन देकर लिए थे. इसके बाद 1954 में जब पाकिस्तान पहली बार इंग्लैंड के दौरे पर गया तो द ओवल में उन्होंने फिर से 12 विकेट लिए टीम को जीत दिलाई. इस मैच में 168 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए इंग्लैंड ने दो विकेट पर 109 रन बना लिए थे. फिर आए फजल महमूद और इंग्लैंड 143 रन पर सिमट गया. कराची टेस्ट में पाकिस्तान ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया को हराया तब महमूद ने मैच में 114 रन देकर 14 विकेट झटके. अपने 22वें टेस्ट में उन्होंने 100 विकेट ले लिए थे. यह कारनामा करने वाले वे पहले पाकिस्तानी गेंदबाज थे.

रंग-रूप में बड़े-बड़े फिल्मी सितारे भी पानी भरते थे

आगे चलकर फजल महमूद ने 10 टेस्ट में पाकिस्तान की कप्तानी भी की. 1962 में इंग्लैंड दौरे के बाद उन्होंने संन्यास ले लिया. फजल महमूद ने 34 टेस्ट में 24.70 की औसत के साथ 139 विकेट लिए. वहीं फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने 112 मैच में 18.96 की जबरदस्त औसत के साथ 466 विकेट लिए थे. गेंद को रफ्तार के साथ कट और सीम कराने की काबिलियत के चलते वे पाकिस्तान के एलेक बेडसर भी कहे जाते थे. उनके करीने से सजे बाल, नीली आंखें और सुंदर चेहरा उस समय के बड़े-बड़े फिल्मी सितारों की चमक को भी फीका कर दिया करता था. वे उस समय पाकिस्तान में बालों को संवारने की ब्रिल क्रीम का चेहरा थे.

टीम इंडिया में चुने गए थे मगर…

महमूद भारत के लिए भी टेस्ट डेब्यू कर सकते थे. 1946 में इंग्लैंड दौरे के वक्त नवाब पटौदी सीनियर चाहते थे कि उन्हें टीम में लिया जाए. लेकिन चयनकर्ताओं का कहना था कि वह काफी छोटे हैं. फिर 1947-48 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए वे टीम इंडिया में चुने गए. उस समय उनकी उम्र केवल 10 साल थी. ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना होने से पहले उन्होंने कंडीशनिंग कैंप में भी हिस्सा लिया था. लेकिन तब तक भारत का बंटवारा हो चुका था. ऐसे में लगातार हो रही हत्याओं के चलते उन्होंने भारत छोड़ दिया. फजल महमूद पाकिस्तान चले गए.

उन्होंने पाकिस्तान को टेस्ट का दर्जा हासिल करने में अहम योगदान दिया था. फजल महमूद लंबे समय तक पुलिस फॉर्स में भी रहे. यहां स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट के मुखिया रहते हुए उन्होंने कई टॉप क्लास हॉकी प्लेयर तैयार किए.