‘SIR’की खुली पोल ,बिहार की वोटर लिस्ट में पाकिस्तानी महिलाओं के नाम,है.गृह मंत्रालय की चिट्ठी से उजागर हुआ बड़ा सच ….

बिहार। बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले SIR का मुद्दा काफी तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है. एक तरफ जहां विपक्ष चुनाव आयोग और सरकार पर हमला बोल रही है तो वहीं दूसरी तरफ एक बड़ा खुलासा हुआ है.गृह मंत्रालय की चिट्ठी से एक बड़ा सच सामने आया है. इसके मुताबिक बिहार की वोटर लिस्ट में पाकिस्तानी महिलाओं के नाम शामिल हैं.

भागलपुर के भीखनपुर में 2 पाकिस्तानी महिलाएं कई सालों से वोट डालती आ रही हैं. महिलाओं के नाम नए वोटर लिस्ट में भी जुड़ गए और आधार कार्ड भी बन गया है. इस पूरे मामले का खुलासा गृह मंत्रालय को लिखी गई एक चिट्ठी से हुआ है.

भागलपुर के भीखनपुर टैंक लेन की BLO फरजाना खानम ने बताया की सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन में 2003 के वोटर लिस्ट में शामिल वोटरों को भी जोड़ने का प्रावधान था. उसी क्रम में इमराना खातून ने ऑनलाइन आवेदन किया था और घर पर जाने के बाद जांच के क्रम में उन्होंने 2003 के वोटर लिस्ट में अपना नाम दिखा कर जुड़वा लिया.

👉1956 में पाकिस्तान से भारत आईं थी महिलाएं

बिहार SIR को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं. इस मामले में जब गृह मंत्रालय की चिट्ठी भागलपुर के प्रशासनिक महकमे में पहुंची तो जांच पड़ताल शुरू हो गया. जांच में पता चला तो 1956 में इमराना और फिरदौसी रंगपुर पाकिस्तान से भागलपुर आई थी. गृह मंत्रालय ने पासपोर्ट नंबर एवं अन्य संबंधी दस्तावेज भागलपुर प्रशासन को उपलब्ध कराया है.

इमराना 3 साल के वीजा पर भारत आई थी, जबकि फिरदौसिया 19 जनवरी 1956 को 3 महीने के वीजा पर भारत आई थी. जब जांच पड़ताल के लिए इमरान खातून के घर पर पहुंचे तो काफी देर आवाज देने के बाद भी घर से कोई बाहर नहीं आया, वही फिरदौसिया रहमान के घर पर जाने के बाद उनके 63 वर्षीय बेटे रजिउल रहमान से बात हुई, तो उन्होंने कहा कि मेरी मां फिरदौस रहमान बिस्तर पर हैं वह पूरी तरह से लाचार हो चुक़ी हैं.

दोनों बहन बचपन में ही रंगपुर पाकिस्तान से भारत आई थी. उसके बाद यही रह गई, बातचीत में पता चला कि कई चुनाव में दोनों बहनों ने पूर्व में भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है शादी करके रहना तो ठीक है लेकिन वोट देने का अधिकार भारत की नागरिकता का अधिकार किस तरह से इन्होंने हासिल कर लिया? इसका जवाब प्रशासन के पास भी नहीं है.

👉चिठ्ठी के बाद लीपापोती में लगा प्रशासन

चिठ्ठी सामने आने के बाद आनन-फानन में प्रशासन ने BLO को चिट्ठी भेज कर दोनों के मताधिकार को रद्द करवा दिया है. इसके अलावा जानकारी के मुताबिक पाक नागरिक मोहम्मद असलम 24 मई 2002 को दो साल के लिए भारत आया था. असलम ने भी अपना आधार कार्ड बनवा लिया है, पुलिस इस मामले में छानबीन कर रही है.

भागलपुर जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी ने बताया कि मामला संज्ञान में आने के बाद मतदाता लिस्ट से नाम हटाने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. आगे से अब उन्होंने SIR मैं डिक्लेरेशन की बात क़ी है.उन्होंने कहा कि अब जिन लोगों को अपना नाम जुड़वाना है इलेक्शन कमीशन के गाइडलाइन के तहत उन्हें अपना एक सेल्फ डिक्लेरेशन देना होगा.