बिहार में बहार है ,क्या फिर CM नीतीश कुमार हैं ? 200 पार NDA के फैसले पर टिकी निगाह …..

बिहार । बिहार चुनाव 2025 की तस्वीर अब साफ है। 243 में से 202 सीटें जीतकर एनडीए (NDA) ने ऐसा प्रचंड बहुमत हासिल किया है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। महागठबंधन 35 सीटों पर सिमट गया है।

जहां एक तरफ जश्न का माहौल है, वहीं दूसरी तरफ सबसे बड़ा सवाल केंद्र में आ गया है-क्या बिहार के अगले मुख्यमंत्री फिर से नीतीश कुमार ही होंगे?

NDA की इस डबल सेंचुरी यानी 200 पार के बाद चर्चा तेज हो गई है कि क्या नीतीश कुमार ही बिहार की कमान फिर संभालेंगे या BJP कोई बड़ा फैसला लेने वाली है? इस बार के नतीजों में बीजेपी 89 सीटों के साथ गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। जेडीयू 80, लोजपा 19, हम 5 और रालोद 4 सीटों पर जीत गई है।

👉नीतीश कुमार अगले CM होंगे या नही? नतीजों के बाद क्या बोली JDU?

चुनाव से पहले पीएम मोदी और अमित शाह कई बार साफ कर चुके थे कि नीतीश ही एनडीए का चेहरा हैं। अमित शाह ने 01 नवंबर को दिए इंटरव्यू में साफ-साफ कहा था कि ‘इसमें कोई कन्फ्यूजन नहीं है। मैं फिर से एक बार स्पष्ट करता हूं कि नीतीश ही मुख्यमंत्री हैं और चुनाव जीतने के बाद भी वही रहेंगे।’ लेकिन नतीजों में बीजेपी के उभरने के बाद यह सवाल फिर उठने लगा कि क्या बीजेपी अब नेतृत्व बदल सकती है?

हालांकि NDA के 200 पार होने के बाद JDU ने कहा है कि बिहार के अगले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे। मीडिया सूत्रों की मानें तो नीतीश के नाम पर कोई अहसमति नहीं है। लोजपा और हम पहले ही नीतीश को सीएम बनाने के लिए हामी भर चुके हैं।

👉क्या BJP बदलेगी खेल? JDU का पोस्ट और अचानक डिलीट होने पर बढ़ा सस्पेंस

एनडीए की डबल सेंचुरी के बीच जेडीयू के सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट आया- “नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री थे, हैं और रहेंगे।” लेकिन यह पोस्ट कुछ ही देर में डिलीट कर दिया गया। बस, यहीं से सियासी तापमान बढ़ गया।

लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया- क्या सबकुछ वाकई तय है या अंदरखाने कुछ और चल रहा है? बीजेपी के प्रभारी विनोद तावड़े ने भी कहा, “समय आने पर सब साफ हो जाएगा।”

👉बीजेपी चाहे भी तो…नीतीश को बदलना आसान नहीं, जानें क्यों?

हालात साफ बताते हैं कि नीतीश कुमार को हटाना बीजेपी के लिए सरल खेल नहीं है। इसके पीछे चार कारण सबसे अहम हैं-

1️⃣ जेडीयू की वापसी और नीतीश की मजबूत पकड़

2020 में कमजोर हुई जेडीयू ने इस बार शानदार रिकवरी की है। नीतीश ने अपने वोट बैंक को फिर मजबूत किया है। उनकी प्रशासनिक छवि, सुशासन का मॉडल और सामाजिक संतुलन का समीकरण बिहार में आज भी कारगर है।

2️⃣ बीजेपी के पास अब भी ‘एक चेहरा’ की कमी

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस जैसा सर्वमान्य चेहरा था, लेकिन बिहार में बीजेपी के पास ऐसा कोई भी नाम नहीं जो राज्यव्यापी स्वीकार्यता रखता हो। नीतीश यहां अभी भी सबसे ‘व्यावहारिक’ विकल्प हैं।

3️⃣ केंद्र की राजनीति के लिए भी जरूरी हैं नीतीश

मौजूदा केंद्र सरकार के लिए बिहार का राजनीतिक संतुलन बेहद अहम है। नीतीश सहयोगी ही नहीं, बल्कि योजनाओं के धरातल तक लागू होने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें हटाना बीजेपी के लिए राजनीतिक रूप से महंगा पड़ सकता है।

4️⃣ नीतीश का ‘सुशासन मॉडल’

नीतीश कुमार की लोकप्रियता तीन बड़े स्तंभों पर टिकी है-सुशासन और प्रशासनिक छवि, सामाजिक संतुलन का फॉर्मूला, केंद्र के साथ सामंजस्य। सड़क, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और शराबबंदी जैसे मुद्दों पर उनकी छवि अब भी एक बड़े वोट-बेस को बांधे हुए है। चाहे विपक्ष बार-बार उनके ‘पाला बदलने’ को लेकर तीखे सवाल उठाए, लेकिन जनता के एक बड़े हिस्से का विश्वास अब भी उनके साथ है।

▶️ रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड-नीतीश की राजनीति का नया अध्याय

अगर नीतीश इस बार भी मुख्यमंत्री बनते हैं, तो कई नए रिकॉर्ड उनके नाम जुड़ जाएंगे-लगातार तीसरी बार सीएम बनने का रिकॉर्ड, कुल कार्यकाल 18 साल से ज्यादा, जो बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह के 14 साल के रिकॉर्ड से भी ज्यादा है।

👉9 बार सीएम पद की शपथ, और इस बार 10वीं शपथ की तैयारी, नीतीश पहले ही बिहार की राजनीति में सबसे लंबा कार्यकाल पाने वाले नेता बन चुके हैं।

👉तो आखिर बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन?

माहौल, गणित और राजनीतिक जरूरत-तीनों का जोड़ एक ही नाम पर टिकता है नीतीश कुमार। जेडीयू, हम और लोजपा पहले ही साफ कर चुके हैं “सीएम तो नीतीश ही होंगे।” बीजेपी अभी भले संयमित बयान दे रही हो, लेकिन चुनाव से पहले जो घोषणा हुई थी, उसका सम्मान करना उसके लिए राजनीतिक तौर पर भी जरूरी है।