स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन बोले-भारत की 138 करोड़ की विशाल आबादी‌, लेकिन 1 प्रतिशत भी हर साल नहीं करती रक्‍तदान!

नई दिल्ली. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौरान इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी (IRCS) की ओर से की गई सेवाओं की प्रशंसा की है. साथ ही यह कहा है कि देशभर में रेड क्रॉस सोसाइटी के 80 केंद्रों ने इसमें अहम भूमिका निभाई है.

उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि भारत में स्वैच्छिक रक्तदान करने वालों की बहुत कमी है. जबकि विकसित देशों में 1000 में से 50 लोग हर साल स्वैच्छिक रक्तदान करने के लिए आगे आते हैं. लेकिन भारत में हर साल 1000 में से सिर्फ 8 से 10 लोग ही रक्तदान के लिए आगे आते हैं. इसकी वजह से भारत में रक्तदान करने वालों की बहुत कमी है.

इसके लिए जन जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है.स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि भारत की कुल आबादी 138 करोड़ है. इतनी विशाल जनसंख्या वाले भारत में एक करोड़ 40 लाख यूनिट ब्लड की आवश्यकता होती है. लेकिन रक्त दाताओं की कमी की वजह से यह पूर्ति नहीं हो पाती है.

उन्होंने कहा कि अगर इतनी विशाल जनसंख्या में से पात्र 1% भी हर साल रक्तदान करते हैं तो यह ब्लड की आवश्यकता बहुत ही आसानी से पूरी हो जाएगी. वहीं रक्त की कोई कमी भी नहीं रहेगी.

उन्‍होंने कहा कि नियमित और सुरक्षित रक्‍त की आपूर्ति हासिल करने के लिए 100 प्रतिशत स्‍वैच्छिक, बगैर किसी राशि के रक्‍तदान करने वाले लोगों का लक्ष्‍य जरूरी है.

स्‍वैच्छिक रक्‍तदान करने वालों के बीच जागरुकता विकसित करना जरूरी
सुरक्षित रक्‍त की मांग और उपलब्‍धता के बीच अंतर में कमी लाने पर उन्‍होंने कहा कि स्‍वैच्छिक रक्‍तदान करने वाले लोगों के बीच जागरुकता विकसित किए जाने की आवश्‍यकता है. शैक्षिक कार्यक्रम इस तरह तैयार किए जाने चाहिए कि जिससे समुदाय नियमित रक्‍तदान के लाभ को समझ सके.

रक्‍तदान के लिए प्रेरित करने वाले लक्षित समूहों में शिक्षा संस्‍थान, औद्योगिक घराने, सामाजिक सांस्‍कृतिक संगठन, धार्मिक संगठन और सरकारी संगठन होने चाहिए. लोगों को स्‍वैच्छिक रक्‍तदान में सहयोग देने के लिए प्रेरित करने और उन्‍हें इसके प्रति जागरुक बनाने की आवश्‍यकता है.

कई देशों के पास स्वैच्छिक रक्त दानकर्ताओं के सक्रिय संगठन
उन्‍होंने कहा कि ऐसे देश जिनके पास स्‍वैच्छिक रक्‍त दानकर्ता के सक्रिय संगठन हैं वे निरंतर रक्‍त दानकर्ताओं की संख्‍या बनाए रखे हुए हैं. रक्‍त संचरण अनूठी प्रौद्योगिकी है जिसमें संकलन, प्रोसेसिंग और इस्‍तेमाल वैज्ञानिक आधार से किया जाता है. इसकी उपलब्‍धता नियमित रूप से रक्‍तदान करने वाले लोगों की उदारता पर निर्भर करती है.उन्‍होंने कहा कि किसी को जीवन का उपहार देना सबसे अधिक उपयोगी उपहार है.

रक्‍तदान से भी तीरथ यात्रा जैसा मिलता है पुण्‍य
केन्‍द्रीय मंत्री ने कहा कि काफी लोग महत्‍वपूर्ण अवसरों पर विभिन्‍न धार्मिक स्‍थलों की यात्रा करते हैं और उन्‍होंने याद दिलाया कि रक्‍तदान से भी तीरथ यात्रा जैसा पुण्‍य मिलता है. रक्‍तदान का एक अन्‍य फायदा है कि नियमित रक्‍तदान से मोटापे से जुड़ी बीमारियों के जोखिम में कमी आती है.

जन्‍म कुंडली मिलाने से ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण रक्‍त कुंडली मिलान
उन्‍होंने विवाह से पहले उचित आयु में थैलेसीमिया की स्‍क्रीनिंग के महत्‍व पर जोर देते हुए कहा कि जन्‍म कुंडली मिलाने से ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण रक्‍त कुंडली मिलान है. केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने लोकसभा में प्रश्‍नकाल के दौरान भी इस मुद्दे का उल्‍लेख किया था.

रक्‍त केन्‍द्र में न्‍यूक्लिक एसिड टेस्टिंग जांच सुविधा का शुभारंभ
केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री जोकि इंडियन रेडक्रास सोसाइटी के अध्‍यक्ष भी हैं, ने आईआरसीएस के मुख्‍यालय के रक्‍त केन्‍द्र में न्‍यूक्लिक एसिड टेस्टिंग (NAT) जांच सुविधा का उद्घाटन किया. वहीं, दो रक्‍त संकलन वाहनों समेत तीन पूर्ण रूप से सुविधा संपन्‍न वाहनों का भी शुभारंभ किया. इनका इस्‍तेमाल रक्‍तदान शिविर आयोजित करने और रेड क्रास रक्‍त केंद्र में रक्‍त के यूनिट जोड़ने में किया जाएगा. आईआरसीएस के महासचिव आर.के जैन थैलेसिमिक्‍स इंडिया के अध्‍यक्ष दीपक चोपड़ा और दोनों संगठनों के वरिष्‍ठ पदाधिकारी इस अवसर पर उपस्थित रहे.