बालको साइनाइड अपशिष्ट प्रबंधन का मामला पहुँचा हाई कोर्ट,तीन महीने में जांच रिपोर्ट देने कलेक्टर को निर्देश

बिलासपुर – कोरबा स्थित बालको संयत्र में अपशिष्ट साइनाइड के प्रबंधन के लिए उचित उपाय नहीं किए जा रहे हैं। इस पर हाईकोर्ट में याचिका पेश की गई थी । हाईकोर्ट नें इस मामले में जिला कलेक्टर को तीन महीने के भीतर जाँच कर अपना प्रतिवेदन पेश करने कहा है। अपिलकर्ता द्वय् उमेश कुमार सिंह एवं युगल किशोर चंद्रा अपने अधिवक्ता राजीव श्रीवास कोरबा के साथ पत्रकारों को यह ज़ानकारी दी । बालको के पूर्व एसोसिएट मैनेजर उमेश सिंह ने बताया बालको प्रबंधन द्वारा खतरनाक अपशिष्ट सायनाइड का उत्सर्जन के बाद सुरक्षित रूप से व्यवस्थापन नहीं होता है ।लगातार बालको प्रबंधन को इसके खतरनाक दुष्प्रभाव एवं पर्यावरण पर प्रतिकूल असर होने एवं निकट निवासरत आमजन के स्वास्थ्य पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है । लेकिन बालको प्रबंधन अपने निजी स्वार्थ के कारण इन गंभीर परिस्थितियों को नजरअंदाज कर अपनी मनमानी पर उतारू रहा । वर्तमान में भी उनकी मनमानी बदस्तूर जारी है । जिससे त्रस्त होकर अपील कर्ताद्वय ने उच्च न्यायालय में एक परिवाद दायर किया। जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन एवं जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू की युगल पीठ में सुनवाई के पश्चात उन्होंने कोरबा जिलाधीश को निर्देशित किया है कि आदेश दिनांक से 3 माह के अंदर उपरोक्त याचिका के अनुसार जांच कर अपना प्रतिवेदन आवश्यक रूप से उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें।

उमेश सिंह ने बताया सायनाइड प्रेषित करने के लिए एवं उसके सुरक्षित व्यवस्थापन के लिए राजस्थान में उसके रखरखाव डंप आदि के बारे में विस्तृत अध्ययन एवं जानकारी उन्होंने ली थी । उसके अनुसार बालको प्रबंधन को उन्होंने प्रस्ताव दिया था कि साईनाइट के दुष्प्रभाव को कम करने एवं उसके पर्यावरण पर प्रतिकूल असर ना पड़े । इस हेतु उचित व्यवस्थापन का मानक रखरखाव हेतु 5 से 7 करोड़ के प्रोजेक्ट की स्थापना का सुझाव दिया था । जिसे प्रबंधन ने स्वीकार नहीं किया ।

अपितु इसके विपरीत लगभग 15 करोड़ रुपए खर्च कर अव्यवस्थित व्यवस्थापन किया। जिसके परिणाम स्वरूप सायनाइड के दुष्प्रभावों से जनमानस को एवं पर्यावरण को सुरक्षित बचाने के लिए उनको यह याचिका लगानी पड़ी ।

उन्होने आगे उन्होंने बताया कि वर्तमान स्थिति में बालको प्रबंधन आसपास से जल आदि की व्यवस्था स्वयं करता है । क्योंकि हैंडपंप का पानी प्रदूषित हो चुका है और प्रबंधन वहां हैंडपंप नहीं लगाने देता है। इतने बड़े बाल्को प्लांट में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने के लिए किसी भी आपत्ति या सुझाव हेतु बनाया जाने वाला महत्वपूर्ण विभाग, जो पत्राचार के लिए अति आवश्यक है ,ऐसा आवक जावक विभाग वहां उपलब्ध नहीं है ।

एक अन्य प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया इस तरह के अन्य प्लांटों में उनके द्वारा उठाए गए प्रश्नों का उचित व्यवस्थापन मानक मापदंडों के अनुरूप किया जाता है । सिर्फ बालको प्रबंधन अपने आर्थिक लाभ के लिए जनमानस एवं पर्यावरण के साथ बेहद निराशाजनक रुख़ अख्तियार किया हुआ है ।