कोरोना को पकड़ना हो रहा है मुश्किल, क्या RT& PCR भी हो रहे फेल, फिर क्या है उपाय

आपको मालूम है कि कोरोना शुरुआत से ही रहस्यमयी लक्षणों वाली महामारी है। समय के साथ इसके कई वैरिएंट आए। लेकिन अब इसके जो वैरिएंट आ रहे हैं वो पकड़ से बाहर हैं। RT -PCR टेस्ट निगेटिव रहने के बाद भी फेफड़े में इन्फेक्शन की बात सामने आ रही है। इसलिए अब CT स्कैन को जरूरी बताया जा रहा है। तो ऐसे में अब कौन सा टेस्ट हो परफेक्ट औऱ बीमारी से लड़ने में क्या है शुरुआती उपाय, क्या कुछ बचाव के उपाय किए जाएं जो महामारी से लड़ाई में कारगर होगा। यहां यही जानने की कोशिश हो रही है।

नए वैरिएंट से पहचान हुई मुश्किल

18 राज्यों में कोरोना के नए वैरिएंट्स मिले हैं। ये ब्राजील, UK,दक्षिण अफ्रीका वाले वैरिएंट्स हैं। नया वैरिएंट RT-PCR टेस्ट में नहीं पकड़ में आ रहा है। RNA प्रोटीन में लगातार बदलाव से परेशानी हो रही है। चेस्ट इन्फेक्शन से ही इसका इन्फेक्शन पता चलता है। RT-PCR से -HV69, HV70 नहीं डिटेक्ट हो पा रहा है।

CT स्कैन से पता चला संक्रमण

कोरोना टेस्ट निगेटिव लेकिन सीने में संक्रमण के लक्ष्ण होने पर CT स्कैन से फेफड़े में इंफेक्शन का पता चला। फेफड़ों में 10-20 से 30 फीसदी तक इन्फेक्शन को बावजूद RT-PCR निगेटिव आ रहा था। पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर का संक्रमण ज्यादा तेज है। पहले 10 में 1 मरीज को फेफड़े का संक्रमण होता था। अब 10 में 5-6 मरीजों को फेफड़े में संक्रमण हो रहा है।

नया स्ट्रेन है ज्यादा खतरनाक

नए स्ट्रेन में इन्फेक्शन तेजी से फैलता है। इससे 2-3 दिन में फेफड़े में सफेदी दिखी है। निमोनिया का खतरा अब पहले से ज्यादा है। 4 से 5 दिन में फेफड़ा 45 फीसदी तक डैमेज हो जा रहा है। 7 दिन में 70 फीसदी तक फेफड़ा डैमेज हुआ है। पहले 70 फीसदी डैमेज होने में 15 दिन लगता था।

टेस्टिंग का विकल्प क्या ?

तीन टेस्ट करने पर सबसे सटीक नतीजा आता है। RT-PCR का एक्यूरेसी टेस्ट ठीक रखें। RT-PCR टेस्ट का एफिकेसी रेट 60-70 फीसदी है। इसमें 30-40 फीसदी पॉजिटिव केस में निगेटिव रिजल्ट आए हैं। लक्षण होने पर HR-CT टेस्ट कराएं। लक्षण होने पर ब्लड टेस्ट भी कराएं।