वॉट्सऐप ने हाल ही में सरकार के डिजिटल रूल्स को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में मुकदमा दर्ज करवाया है और इंस्टैंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म ने दावा किया है कि नए नियम कंपनी द्वारा यूजर्स को दिए जा रहे एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन में दखल देते हैं. जिसके जवाब देते हुए सरकार ने कहा है कि वो लोगों के ‘निजता के अधिकार’ का सम्मान करती है और उसका प्लान इसका उल्लंघन करने का नहीं है.
इलेक्ट्रॉनिक और आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सरकार लोगों के प्राइवेसी का पूरी तरह से सम्मान करती है. इस नए नियम से आम वॉट्सऐप यूजर्स को डरने की जरूरत नहीं है. इसका मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि नियमों में उल्लिखित विशिष्ट अपराधों को अंजाम देने वाले संदेश की शुरुआत किसने की.”
सरकार सवाल पूछने के अधिकार सहित आलोचना का स्वागत करती है. नियम केवल सोशल मीडिया के सामान्य यूजर्स को तभी सशक्त बनाते हैं जब वे दुर्व्यवहार और दुरुपयोग का शिकार हो जाते हैं.
IT मंत्री ने आगे कहा कि ऑफेंसिव मैसेज के पहले ओरिजिनेटर के बारे में जानकारी देना पहले से ही प्रचलन है. ये मैसेज भारत की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, बलात्कार, बाल यौन शोषण से संबंधित अपराधों से संबंधित है.”
उन्होने कहा कि नए नियम के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में शिकायत निवारण अधिकारी, अनुपालन अधिकारी और नोडल अधिकारी स्थापित करने की आवश्यकता है जिससे सभी सोशल मीडिया यूजर्स को शिकायत निवारण के लिए एक मंच प्राप्त हो सके.
बता दें कि नए नियमों की घोषणा 25 फरवरी को की गयी थी. इस नए नियम के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे बड़े सोशल मीडिया मंचों (जिनके देश में 50 लाख से अधिक यूजर्स हैं) को अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी. इसमें मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और भारत स्थित शिकायत अधिकारी की नियुक्ति आदि शामिल हैं.
नियमों का पालन न करने पर इन सोशल मीडिया कंपनियों को अपने इंटरमीडिएरी दर्जे को खोना पड़ सकता है.यह स्थिति उन्हें किसी भी तीसरे पक्ष की जानकारी और उनके द्वारा ‘होस्ट’ किए गए डाटा के लिए देनदारियों से छूट और सुरक्षा प्रदान करती है. दूसरे शब्दों में कहें तो इसका दर्जा समाप्त होने के बाद शिकायत होने पर उन पर कार्रवाई की जा सकती है.