कलेक्टर की प्राथमिकता का दिखा असर, DAV को फटकार के बाद फीस जमा नही करने वाले बच्चों की हुई वापसी

कोरबा – कोरबा जिले के दो निजी स्कूल DAV स्कूल एवं DPS बालको द्वारा अपने यहां पढ़ने वाले बच्चों को फीस न पटाने के नाम पर तानाशाही रवैया अपनाते हुए कई दिनों से स्कूल के बच्चों को ऑनलाइन कक्षा से वंचित कर पालकों को फीस देने हेतु दबाव बनाया जा रहा था पालको द्वारा लगातार जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत की जाती रही लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा लगातार पलकों को घुनाय जाता रहा

कोरबा में नई कलेक्टर के पदस्थ होते ही अपनी प्राथमिकताओं में शिक्षा को बताने के बाद अभिभावकों में उम्मीद की किरण जागी अभिभावकों ने कलेक्टर रानू साहू को अपनी परेशानियों से अवगत कराया कलेक्टर ने तत्काल जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित करते हुए बच्चों के नाम ऑनलाइन क्लास में जोड़ने का निर्देश दिया अंततः वंचित बच्चों का नाम DAV को जोड़ना पड़ा

क्या कहता है नियम

शिक्षा के अधिकार को भारत के संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 21ए में मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किया गया है। भारत सरकार ने 2009 में एक अधिनियम जो कि निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 पारित कर शिक्षा को अनिवार्य एवं निःशुल्क बनाया है। जिसके तहत कोई भी विद्यालय किसी भी बच्चे को शिक्षा से वंचित नही कर सकता। मौलिक अधिकार वो अधिकार होते हैं जिन्हें सरकार भी अपने नागरिकों से छीन नहीं सकती और भारत के संविधान मे शिक्षा मौलिक अधिकार है DAV Public school SECL korba और DPS स्कूल बालको ने इसी अधिकार को बच्चों से छीनकर एक गंभीर कृत्य कर डाला था जिसे कलेक्टर की सम्वेदनशीलता से उन बच्चों को ऑनलाइन क्लास के रूप मे उनका अधिकार फिर से प्राप्त हुआ है

क्या था मामला

कोरबा जिले के दो निजी स्कूल DAV स्कूल एवं DPS स्कूल के द्वारा अपने यहां पढ़ने वाले बच्चों को फीस न पटाने के नाम पर तानाशाही रवैया अपनाते हुए कई दिनों से स्कूल के बच्चों को ऑनलाइन कक्षा से वंचित कर पालकों को फीस देने हेतु ब्लैकमेल किया जा रहा था। जब कि बच्चों को शिक्षा से वंचित किया जाना मौलिक अधिकार का हनन एवं आपराधिक कृत्य है। इसे देखते हुए शहर के दो पालकों अजय कुमार श्रीवास्तव एवं अजय सिंह ठाकुर ने चुप बैठना मुनासिब नही समझा और निजी स्कूलों के इस अन्याय व आपराधिक कृत्य के खिलाफ आवाज उठाने का निर्णय लिया।

जिसके लिए इन पलकों ने जिला शिक्षा अधिकारी से कई बार गुहार लगाई किन्तु उन्होंने बच्चों के हित को छोड़ कर निजी स्कूलों के ही पक्ष में काम करना मुनासिब समझा। अंत मे उक्त पालकों के नवनियुक्त कलेक्टर श्रीमती रानू साहू के समक्ष अपनी समस्या रखी जिसके बाद कलेक्टर ने इस प्रकरण के संवेदनशीलता एवं बच्चों के मौलिक अधिकार के हनन की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जिला शिक्षा अधिकारी को बुलवा कर बच्चों की शिक्षा अनवरत एवं अबाधित रूप से चलना सुनिश्चित करने एवं भविष्य में कोई भी निजी स्कूल इस तरह का कृत्य न करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया गया है

पालकों का क्या कहना है!

पालकों का कहना है कि उनके बच्चों के साथ इस तरह के असंवैधानिक कृत्य पर जिला शिक्षा अधिकारी को सम्बंधित स्कूलों के ऊपर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी निजी स्कूल इस तरह का असंवैधानिक एवं अनैतिक, आपराधिक कृत्य करने की हिमाकत न करे। जिससे जिले एवं प्रदेश में वर्तमान में इसी तरह की समस्या से जूझ रहे अन्य सैकड़ों पालकों को भी न्याय मिल सके।