कोरोना टीकाकरण अभियान के भारत में 150 दिन पूरे, जानिए कहां खड़ा है देश और क्या है आगे की राह

नई दिल्ली. भारत में 14 जून को कोविड टीकाकरण अभियान (Covid Vaccination Drive) के 150 दिन पूरे हो गए. देश में अब तक 25.90 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा चुका है. इसमें प्रति दिन औसतन 17.26 लाख खुराक दी जा रही है. इस दर के हिसाब से सभी वयस्क आबादी को आंशिक रूप से टीका लगवाने में लगभग 78 सप्ताह या 18 महीने लगेंगे.

केंद्र सरकार ने 16 जनवरी को दो टीकों के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति के साथ राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान की शुरुआत की थी. इसके तहत लोगों को कोविशील्ड (Covishield) या कोवैक्सीन के टीके दिए जा रहे थे. कोविशील्ड एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और सीरम इंस्टिट्यूट की को-पार्टनरशिप में विकसित की गई है.

वहीं, कोवैक्सिन (Covaxin) को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने स्वदेशी रूप से तैयार किया है.

विशाल जनसंख्या के लक्षित आधार को कवर करने के लिए सरकार ने तर्कसंगत आधार चुना. सरकार ने वैक्सीनेशन के लिए पहली प्राथमिकता फ्रंटलाइन वर्कर्स, हेल्थ वर्कर्स, पुलिस, सफाईकर्मी, मीडियाकर्मी, ड्राइवर, कुरियर बॉय जैसे समाज, उद्योग और प्रशासन के बीच कनेक्टिंग लिंक फ्रंटलाइन वर्कर्स (एफएलडब्ल्यू) को चुना. अगले चरण में एक के बाद एक और अधिक कमजोर समूहों को शामिल करना था. जैसे कि 60 प्लस आबादी, कोमॉर्बिटीज वाली 45 प्लस आबादी, पूरी 45 प्लस आबादी और इसी तरह के आयु वर्ग के लोग.

वैक्सीनेशन का पहला फेज

टीकाकरण का पहला चरण इस साल 16 जनवरी को स्वास्थ्य कर्मियों के साथ शुरू हुआ था. फरवरी में इसका और विस्तार किया गया, इस अभियान में फ्रंटलाइन वर्कर्स को जोड़ा गया. भारत सरकार के अनुमान के अनुसार, कुल लक्षित आधार तीन करोड़ लाभार्थी थे. इसमें एक करोड़ स्वास्थ्य कार्यकर्ता और दो करोड़ फ्रंटलाइन कार्यकर्ता थे. इस चरण के दौरान कुल 1 करोड़ 43 लाख 1 हजार 266 टीके की खुराक दी गई.

वैक्सीनेशन का दूसरा फेज

भारत ने 1 मार्च को वैक्सीनेशन के दूसरे और पहले से बड़े फेज की शुरुआत की. सरकार के अनुमान के अनुसार इस चरण में लक्षित लाभार्थी 27 करोड़ थे. इसमें 60 प्लस आबादी और 45 साल से अधिक उम्र के लोग भी शामिल थे, जिन्हें कोई न कोई बीमारी भी थी. 2011 की जनगणना के अनुमानों के अनुसार, भारत में 60 वर्ष से अधिक आयु के 13.79 करोड़ लोग हैं. टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण में 5 करोड़ 8 लाख 16 हजार 630 खुराकें दी गई या एक दिन में औसतन 16.93 लाख टीके लगाए गए गए.

वैक्सीनेशन का तीसरा फेज

2011 की जनगणना के अनुमान के अनुसार, टीकाकरण का तीसरा चरण 1 अप्रैल को पूरी 45+ आबादी के लिए खोला गया. इसमें 34.51 करोड़ लोग थे. इस फेज में अब तक सबसे ज्यादा खुराकें दी गई. आधिकारिक डेटा के मुताबिक इस फेज में 8 करोड़ 98 लाख 71 हजार 739 शॉट्स या प्रति दिन 29.95 लाख खुराक लगाई गई.

वैक्सीनेशन का चौथा फेज

इसी दौरान विनाशकारी दूसरी कोविड लहर आई, इसके बाद देश के सभी वयस्कों, जो 18 वर्ष से अधिक आयु के हैं उनका टीकाकरण शुरू हुआ. 2011 की जनगणना के अनुमान के अनुसार, चौथे फेज में 94.02 करोड़ व्यक्तियों के लिए टीकाकरण शुरू किया गया था.

1 अप्रैल को जहां एक दिन में कोरोना के 80 हजार मामले दर्ज हुए थे. वहीं 6 मई को भारत में 4.14 लाख केस दर्ज हुए, जो दुनिया में सबसे ज्यादा थे. अचानक पॉजिटिव मामले बढ़ने से एक्टिव केस भी बढ़कर 37 लाख के पार हो गए. इससे रिकवरी रेट भी 97 फीसदी से घटकर 80 फीसदी पर आ गई. कई दिनों तक रोजाना 3 से 4 हजार लोगों की जान जा रही थी. ऐसे में आखिरकार सरकार को पूरी वयस्क आबादी के लिए टीकाकरण अभियान खोलने के लिए मजबूर होना पड़ा.

टीकाकरण प्रक्रिया के तीसरे चरण तक पूरी कवायद भारत सरकार के नियंत्रण में थी. मई के बाद से, केंद्र ने कुछ राज्यों की सरकारों की मांग के अनुसार अभियान को विकेंद्रीकृत करने के लिए एक उदार टीकाकरण नीति पेश की. जहां केंद्र सरकार ने एचसीडब्ल्यू, एफएलडब्ल्यू और 45+ जनसंख्या आधार के लिए मुफ्त वैक्सीन खुराक की जिम्मेदारी ली, जबकि राज्य सरकार और निजी अस्पतालों के पास 18 और 44 के बीच जनसंख्या आधार का टीकाकरण करने की जिम्मेदारी थी

ऐसे बढ़ी मुश्किलें

जब लक्ष्य जनसंख्या आधार 2.7 गुना से अधिक बढ़ा, तो मुश्किलें सामने आईं. देश में उपलब्ध विनिर्माण क्षमता एक महीने में लगभग 7.5 करोड़ खुराक थी. इसलिए, जबकि भारत को अप्रैल में बनाए गए आधार के मुकाबले मई में कम से कम 25 करोड़ वैक्सीन खुराक की जरूरत थी. जबकि भारत को सिर्फ 6 करोड़ 10 लाख 57 हजार 3 खुराक या एक दिन में 20.35 लाख खुराक मिल रही थी.

राज्यों ने निकाले ग्लोबल टेंडर

इसी दौरान कई राज्यों ने टीकों की किल्लत की शिकायत की. टीके की कमी पर लाल झंडे लहराए गए. राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों ने कहा कि वे निर्माताओं से सीधे वैक्सीन की खुराक प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे, क्योंकि केंद्र सरकार के आदेशों के कारण ऐसा संभव नहीं था. कुछ राज्यों ने वैक्सीन के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला, लेकिन अमेरिका की फाइजर और मॉडर्ना जैसे अंतरराष्ट्रीय निर्माताओं ने कहा कि वे केवल भारत सरकार के साथ सौदा करेंगे.अगर वे सहमत भी होते हैं, तो देश में टीके उपलब्ध होने में कुछ समय लगेगा, जबकि मांग तत्काल थी. जब राज्य सरकारों को अपनी सीमाओं का एहसास हुआ, तो उनके पास केंद्र में वापस जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था.

पांचवां फेज – वापसी का महीना?

टीकाकरण के पांचवे फेज को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच एक संयुक्त प्रयास माना जाता है. मई में केवल 6,10,57,003 शॉट्स लगाए गए. मई में हासिल किए गए लक्ष्य से 32% की महत्वपूर्ण गिरावट आई. ऐसे में देखना है कि क्या इस महीने वापसी होगी?

सरकार ने 21 जून से फिर से टीकाकरण अभ्यास की बागडोर संभालने का फैसला किया है. केंद्र ने आश्वासन दिया है कि इस महीने 12 करोड़ वैक्सीन खुराक उपलब्ध होंगे. कोविशील्ड निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने भी कहा है कि वह अपनी विनिर्माण क्षमता बढ़ा रहा है. इस महीने लगभग 10 करोड़ खुराक का उत्पादन और आपूर्ति करने में सक्षम होगा. भारत बायोटेक और रूस के स्पुतनिक-v वैक्सीन की दो करोड़ खुराक उपलब्ध कराई जाएंगी, जिनका आयात किया जा रहा है. ऐसे में महीने के अंत तक देश 12 करोड़ लोगों को और अधिक टीकाकरण करने में सक्षम होगा.