पसान परियोजना के 100 से अधिक केंद्र रंगरोगन चित्रकारी के साथ मन मोह रहे
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । कोरोनाकाल में बच्चों की पहली पाठशाला आंगनबाड़ी सजधज कर तैयार है। पसान के 100 से अधिक केंद्र नए कलेवर में नौनिहालों को रिझाएंगे। चित्रकारी के साथ केंद्रों में किया गया रंगरोगन आँगनबाड़ी खुलते ही बच्चों का ध्यान आकर्षित करेगा।

यहाँ बताना होगा कि महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ी जा रही है । जिले में 10 परियोजनाओं के 2539 आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से 6 माह से 6 वर्ष के बच्चों ,गर्भवती शिशुवती माताओं को सुपोषण अभियान के तहत विभिन्न पोषण आहारों से लाभान्वित किया जा रहा है । कोरोना संक्रमणकाल में नौनिहालों के सेहत की फिक्र करते हुए शासन ने आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन बंद कर प्रदाय किए जाने वाले पोषण आहार ( रेडी टू ईट ) को बच्चों के घर तक पहुंचाकर दिए जाने की व्यवस्था की है । नए सिरे से केंद्र खुलने के बाद बच्चों को नए कलेवर में केंद्र मिलेंगे। महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ शासन की मंशानुरूप अनुरक्षण मद से मिली राशि से आँगनबाड़ी केंद्रों का गत वर्ष ही रँगरोगन का कार्य कर लिया गया है। कुछ केंद्र जो बाकी थे उनका भी रंग रोगन का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है । दीवाल में आकर्षक चित्रकारी भी की गई है। इसके पीछे शासन की मंशा केंद्रों को बाहर से भी रमणीय बनाने की थी ,जिससे बच्चों को प्ले स्कूल की तरह माहौल मिले। केंद्रों के रंगरोगन चित्रकारी से प्रभावित होकर बच्चे उत्साहपूर्वक केंद्र आएं और अनोपचारिक शिक्षा ग्रहण करें। जिले के पसान परियोजना के 7 सेक्टरों के 100 से अधिक केंद्रों की तस्वीर देखते ही बन रही है। यहाँ डीपीओ आनंद प्रकाश किस्पोट्टा के मार्गदर्शन एवं परियोजना अधिकारी निशा कंवर के नेतॄत्व में केंद्रों का शानदार तरीके से रंग रोगन किया गया है ।हसदेव एक्सप्रेस टीम की पड़ताल में आंगनबाड़ी केंद्र देवपीड़ा ,अहिरपारा ,कुम्हारिसानी (चाँदनीपारा),स्कूलपारा, कचरौहापारा,धनरास ,खुरूपारा,खाड़ीपारा,पंडोपारा लैंगा,बरटोला ,तिलईडाँड़, सेन्हा ,गोलाबहरा सहित सभी केंद्र नयनाभिराम लग रहे हैं। निश्चित तौर पर केंद्र खुलते ही बच्चे नियमित तौर पर आंगनबाड़ी आने उत्साहित होंगे। साथ ही केंद्र में की गई चित्रकारी शासन की योजनाओं और उद्देश्यों को सहसा ही प्रदर्शित कर रही है। जिससे विभागीय अमले सहित प्रशासनिक अधिकारियों को दूर से ही केंद्रों की पहचान हो जा रही है। हितग्राहियों को एक बेहतर माहौल में केंद्रों की सेवाएं मिल रही हैं ।

