खरीदने के बाद नहीं रहा ध्यान,पड़ोसी जिलों पर मेहरबान ,जांजगीर रायगढ़ के संग्रहण केंद्रों में बर्बाद हो जाएंगे 209 करोड़ का धान !

नहीं किया जा रहा उठाव ,मिलरों को मुंगेली ,महासमुंद ,बालोद का जारी कर रहे डीओ , 11 लाख 23 हजार क्विंटल धान जाम पड़े होने से प्रभारी हैरान

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा (भुवनेश्वर महतो) । प्रदेश सरकार ने समर्थन मूल्य पर करोड़ों रुपए के धान की खरीदी तो कर ली । पर उस धान के सुरक्षित रखवाली ,समय पर उठाव कस्टम मिलिंग को लेकर इस साल भी समुचित व्यवस्था कर पाने में फैल रही है।बिलासपुर संभाग के सर्वाधिक खेतिहर जिले जांजगीर -चाम्पा एवं रायगढ़ के आधा दर्जन से अधिक संग्रहण केंद्रों में 11 लाख 23 हजार क्विंटल धान बरसात के इस मौसम में खुले आसमान के नीचे जाम पड़े हैं। अगर जल्द इस धान के उठाव के लिए डीओ जारी नहीं किया गया तो न 209 करोड़ 77 लाख 64 हजार के धान बर्बादी की भेंट चढ़ जाएंगे।

यहाँ बताना होगा कि प्रदेश सरकार प्रतिवर्ष समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी करती है। जिन जिलों में धान की सर्वाधिक पैदावार होती है । बड़े पैमाने पर धान की खरीदी होती है। उन जिलों में धान का उठाव निर्धारित समयावधि में उपार्जन केंद्रों से कर पाना संभव नहीं रहता। जिसके लिए धान संग्रहण खोला जाता है। इन धान संग्रहण केंद्रों में फरवरी तक जिन समितियों में धान की बंपर आवक की वजह से शत प्रतिशत धान का उठाव नहीं हुआ रहता है उन उपार्जन केंद्रों के धान को संग्रहण केंद्रों में लाकर संग्रहित किया जाता है। एक संग्रहण केंद्र की क्षमता 10 उपार्जन केंद्र के बराबर होती है। अर्थात एक धान संग्रहण केंद्र में 10 उपार्जन केंद्रों के धान रखे जा सकते हैं। चूंकि समितियों के उपार्जन केंद्रों से नमी युक्त धान संग्रहण केंद्र में लाया जाता है। लिहाजा राज्य शासन प्राकृतिक आपदा तेज धूप ,बारिश ,दीमक आदि से रख रखाव के लिए 1 प्रतिशत सूखत (शार्टेज ) की छूट प्रदान करती है। इसे सरल अर्थों में समझें तो 100 किलो धान लेने के बाद संग्रहण केंद्र प्रभारियों को 99 किलो धान लौटाना रहता है। शासन द्वारा हर साल यह रियायतें दी जाती है। इस साल भी कोरोनाकाल के बावजूद रिकार्ड धान खरीदी हुई है । लेकिन प्रदेश सरकार धान के सुरक्षित रखवाली ,समय पर उठाव कस्टम मिलिंग को लेकर इस साल भी समुचित व्यवस्था कर पाने में फैल रही है।बिलासपुर संभाग के सर्वाधिक खेतिहर जिले जांजगीर -चाम्पा एवं रायगढ़ के आधा दर्जन से अधिक संग्रहण केंद्रों में 11 लाख 23 हजार क्विंटल धान बरसात के इस मौसम में खुले आसमान के नीचे जाम पड़े हैं। अगर जल्द इस धान के उठाव के लिए डीओ जारी नहीं किया गया तो न 209 करोड़ 77 लाख 64 हजार के धान बर्बाद हो जाएंगे। धान लगातार हो रही बारिश से कैप कव्हर में ढंके होने के बावजूद जमीन में नमी पाकर अंकुरित हो जाएंगे। दीमक और चूहों से संग्रहण केंद्र प्रभारी पहले से ही परेशान हैं।

डभरा में 92 करोड़ का धान जाम ,एक दाना भी धान नहीं उठा ,दूसरे जिलों पर मेहरबान

बिलासपुर संभाग के धान संग्रहण केंद्रों की लगातार उपेक्षा की जा रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जांजगीर चाम्पा जिले के डभरा संग्रहण केंद्र में रखे गए 4 लाख 95 हजार क्विंटल धान में से अब तक एक भी दाना धान का उठाव नहीं हुआ है। संग्रहण केंद्र प्रभारी विवेक पटेल के कंधों पर 92 करोड़ 46 लाख 60 हजार के इतनी बड़ी मात्रा के धान की रखवाली व शार्टेज से बचाने की दोहरी जिम्मेदारी आ पड़ी है।वैसे जांजगीर जिले में अकलतरा संग्रहण केंद्र में 1 लाख 68 हजार तो बोडासागर में 66 हजार क्विंटल धान जाम है। कुल 7 लाख 29 हजार क्विंटल समर्थन मूल्य1868 रुपए प्रति क्विंटल के आधार पर 136 करोड़ 17 लाख 72 हजार का धान जाम है। वहीं संग्रहण केंद्र प्रभारी अकलतरा श्री दिलीप ,डभरा प्रभारी विवेक पटेल ,बोडासागर प्रभारी आर यादव का कहना है इतनी मात्रा में धान होने के बावजूद यहाँ के राईस मिलरों का मुंगेली ,महासमुंद,बलौदा के लिए डीओ काटा जा रहा है। जो हैरान करने वाला कदम है। इससे यहाँ के धान की बर्बादी की संभावना बढ़ रही है।

रायगढ़ जिले में 73 करोड़ का धान जाम

रायगढ़ जिले के चार संग्रहण केंद्रों में 3 लाख 94 हजार क्विंटल धान जाम हैं। जिन पर बरसात में बर्बादी का खतरा मंडरा रहा है। रायगढ़ संग्रहण केंद्र में सर्वाधिक 2 लाख क्विंटल ,सारंगढ़ में 81 हजार ,खरसिया में 70 हजार ,एवं बरमकेला में 43 हजार क्विंटल धान जाम हैं। सभी जाम धान की कीमत 73 करोड़ 59 लाख 92 हजार की है। संग्रहण केंद्र प्रभारी रायगढ़ उत्तम चन्द्रा ,खरसिया कान्हा सिंह ठाकुर ,बरमकेला ,सारंगढ़ प्रभारी के के अग्रवाल ने बताया कि डीओ जारी करने में अनावश्यक विलंब किया जा रहा है। जिससे न केवल धान के बर्बादी के आसार बढ़ रहे वरन आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ेगा।

दागी संग्रहण केंद्र प्रभारियों पर पहले से चल रही जांच

संग्रहण केंद्र में शासन द्वारा आपदा को मद्देनजर रखते हुए सिर्फ 1 प्रतिशत शार्टेज की छूट दी गई है। इससे अधिक होने पर नोटिस ,विभागीय जांच ,कार्यवाई की प्रक्रिया चलती है। बिलासपुर संभाग के इन केंद्रों में कई संग्रहण केंद्र प्रभारी दागदार छवि के हैं। पूर्व के वर्षों में 2 प्रतिशत तक की शार्टेज कर शासन को करोड़ों रुपए का आर्थिक चोट पहुंचा चुके हैं। बावजूद आज पर्यन्त कार्यवाई नहीं हुई। रायगढ़ में बरमकेला और सारंगढ़ संग्रहण केंद्र का प्रभार एक ही प्रभारी के के अग्रवाल को देने से पहले से ही सवाल उठ रहे हैं। डभरा ,अकलतरा ,बोड़ासागर प्रभारी भी चर्चित रहे हैं। सबसे ज्यादा जांजगीर और सक्ति के प्रभारियों के खिलाफ शिकायतें रही है। जो इस बार भी आपदा को अवसर में बदलकर शासन को करोड़ों का चूना लगाने का अवसर नहीं चूकेंगे।

संग्रहण केंद्र धान एक नजर में (क्विंटल में)

केंद्र प्राप्ति शेष

डभरा 49500 – 495000

अकलतरा 47,6000-1,68,000

बोड़ासागर 1,48000-66,000

रायगढ़ -2,90,000- 2,00000

खरसिया-2,40000-70,000

सारंगढ़ 91,000-81,000

बरमकेला 71,000-43,000

योग -18,11,000-11,23,000