डीएमएफ सीएसआर के पैसों की ऐसी बर्बादी, जहाँ जरूरत नहीं वहाँ दे दिए फर्नीचर ,सेनिटाइजर मशीन खराब ,करंट मारने लगे प्रोजेक्टर

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। भ्रष्टाचार का गढ़ बन चूके शिक्षा विभाग व जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पांडे के कारनामों की पोल एक एक खुलती जा रही है। कोरोनाकाल में जहाँ एक तरफ करीब साल भर से स्कूलों में कक्षाएँ नहीं लग रही तो वहीं इन स्कूलों के लिए डीएमएफ एवं सीएसआर के पैसों का इस कदर बंदरबाट किया गया है कि फर्जी तरीके से स्टीमेट बना करोड़ों रुपए की सामग्री इन स्कूलों में प्रदाय कर दी गई है। हालात यह है कि जरूरत से दोगुना फर्नीचर पहुंचाने पर संस्था प्रभारियों को वापस ले जाने गुहार लगानी पड़ रही तो वहीं पौने दो लाख के प्रोजेक्टर कहीं इंस्टाल नहीं हुए व करंट लगने की भी शिकायतें आ रही। हसदेव एक्सप्रेस की पड़ताल के बाद शिक्षक संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों ने डीईओ के कार्यप्रणाली की कलेक्टर से शिकायत कर सरकारी धन का दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाया है ।
यहाँ बताना होगा कि जिले में डीएमएफ एवं सीएसआर मद का विभिन्न कल्याणकारी एवं जनहित की योजनाएं के लिए उपयोग किया जाता रहा है। इसी के मद्देनजर आकांक्षी जिला के रूप में शामिल कोरबा शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए एवं उत्तम शैक्षणिक वातावरण तथा विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों को विभिन्न पाठ्य सहगामी सामग्रियां एवं उचित पोषण प्रदान करने के लिए कई प्रकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं संचालित की गई । इन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए करीब 70 करोड़ रुपए से अधिक का बजट दिया जा चुका है। लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने इस बजट में अपने भ्रष्ट एवं संदिग्ध कार्यकलापों से व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया है lशिक्षक संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापित 13 बिंदुओं में इसकी शिकायत की है। जिसमें डीएमएफ द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं जैसे स्मार्ट क्लास ,व्हाइट बोर्ड, ग्रीन बोर्ड एवं मैग्नेटिक बोर्ड पंखा, वाटर प्यूरीफायर आरओ ,सेनेटरी पैड मशीन, सैनिटाइजर ,विविध बर्तन भाड़े एवं पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विकासखंड कटघोरा में संचालित की जाने वाली सोन चिरैया योजना में होने वाले व्यापक भ्रष्टाचार को उल्लेखित किया है l इन शिकायतों के आधार पर हसदेव एक्सप्रेस की टीम ने जमीनी स्तर पर इसका जायजा लिया। जहाँ शिकायत लगभग सही पाई गई। हसदेव एक्सप्रेस ने शहर के स्कूलों का निरीक्षण किया। जहां कोरोनाकाल मे बन्द पड़े स्कूलों में डीएमएफ से करीब 6 से 7 हजार रुपए की लागत वाली सेनिटाईजर मशीन की आपूर्ति की गई है। हाईस्कूलों में प्रदाय किए गए ये सेनीटाइजर धूल खाते खराब पड़े मिले। आत्माराम इंग्लिश मीडियम स्कूल पम्प हाउस ,शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कोरबा ,पीडब्ल्यूडी रामपुर व एनसीडीसी स्कूल में इसका नजारा देखा जा सकता है। जो आज की स्थिति में उपयोग के लायक नहीं रहे। कुछ संस्था प्रभारियों का कहना था कि उन्होंने अपने खर्चों से एक बार बनवाया था। वहीं बात करें एसईसीएल दीपका परियोजना के सौजन्य से सीएसआर मद से नगर निगम क्षेत्र के लगभग सभी प्राथमिक माध्यमिक शालाओं को प्रदाय किए गए प्रोजेक्टर की तो ये भी कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गई है ऐसा प्रतीत हो रहा। मार्केट में 1 लाख की लागत में गुणवत्तायुक्त प्रोजेक्टर की खरीदी की जा सकती थी। पर 1 लाख 79 हजार 745 रुपए की लागत से प्रत्येक प्रोजेक्टर की खरीदी की गई है। महाराष्ट्र की फर्म इडीसीआईएल से इसकी खरीदी की गई है। फर्म द्वारा इंट्रीगेटेड कम्यूनिटी कम्प्यूटर,प्रोजेक्टर स्कूलों को प्रदाय किया गया है। हसदेव एक्सप्रेस की टीम ने रिस्दी ,झगरहा ,पोंडीबहार ,कोरबा टाउन ,सीतामणी ,अंधरीकक्षार के स्कूलों में इसकी पड़ताल की । जहाँ सीतामणी के स्कूल में इंस्टाल तक नहीं किए जाने की जानकारी सामने आई तो वहीं पोंडीबहार के स्कूल में प्रदाय किए गए सेट में करंट लगने की शिकायत संस्था प्रभारियों ने की। अभी स्कूल खुले नहीं है। कोरोना की तीसरी लहर संभावित है । स्कूलों के पट कब खुलेंगे बच्चे कब आएंगे इसका सटीक अनुमान लगा पाना सम्भव नहीं है। ऐसे में पौने दो -दो लाख की लागत से सैकड़ों स्कूलों के लिए प्रदाय किए गए प्रोजेक्टर की आपूर्ति पर सवाल उठ रहे हैं। जबकि इतनी राशि से जर्जर हो रहे भवनों का कायाकल्प किया जा सकता था। संस्था प्रभारी भी दबी जुबान यह बात कह रहे हैं।पर सीएसआर के पैसों का अपव्यय कर कमीशन के लिए यह सारा खेल खेला गया है।
जरूरत नहीं फिर भी दोगुना फर्नीचर दे दिए ,संस्था प्रभारी कह रहे ले जाओ

डीएमएफ की राशि का भी डीईओ कार्यालय द्वारा जमकर बंदरबाट किया गया है । फर्नीचर खरीदी के नाम पर किस कदर करोड़ों रुपए बर्बाद किए हैं इसकी पोल अब संस्था प्रभारी ही खोलने लगे हैं। जिन संस्थाओं में फर्नीचर की जरूरत नहीं वहां दोगुने फर्नीचर दे दिए गए हैं।करतला विकासखण्ड के हाईस्कूल बड़मार 50 स्टूडेंट डेस्क अतिरिक्त दे दिए गए हैं तो वहीं हाईस्कूल कोटमेर में 40 सेट डेस्क अतिरिक्त दिए गए हैं। रलिया व सलोरा के स्कूलों से इसी तरह की जानकारी सामने आ रही है। पीडब्ल्यूडी रामपुर,अंधरीकक्षार,दर्री हाईस्कूल के कमरे अतरिक्त फर्नीचरों से भरे पड़े हैं । इन फर्नीचरों को ले जाने संस्था प्रभारी गुहार लगा चुके हैं पर कोई सुध नहीं ली जा रही है। अन्य संस्थाओं में भी यही हाल है पर डीईओ के कोपभाजन से बचने संस्था प्रभारी आगे नहीं आ रहे।
कलेक्टर से की शिकायत ,जांच के दिए निर्देश
संघ के पदाधिकारियों ने इस संबंध में जिला कलेक्टर से मुलाकात की एवं जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा किए जा रहे विविध संदिग्ध कार्य एवं भ्रष्टाचार से अवगत भी कराया इस संबंध में जिला कलेक्टर ने त्वरित जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है lशिक्षक संघर्ष मोर्चा जिला कोरबा के संरक्षक एवं तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष सुरेश कुमार द्विवेदी, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ एवम शिक्षक संघर्ष मोर्चा के जिला संयोजक ओम प्रकाश बघेल, छत्तीसगढ़ शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष एवं मोर्चा के महासचिव तरुण सिंह राठौर ने संयुक्त रुप से बयान जारी कर यह जानकारी दी है।
विभाग के नामचीन अधिकारी शक के दायरे मे
जिला शिक्षा विभाग में डीएमएफ एवं सीएसआर फंड में हुए व्यापक भ्रष्टाचार में जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पांडे के साथ एडीपीओ एमपी सिंह एवं लिपिक एस के सोनी का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है l एमपी सिंह की इसमें प्रमुख भूमिका बताई जा रही है । जिन पर पूर्व में भी कई गम्भीर आरोप लग चुके हैं। सूत्रों की मानें तो शिक्षा विभाग के इन सारे कारनामों की गोपनीय रिपोर्ट सीएम हाउस भेजी जा चुकी है। जल्द ही कमीशन के इस खेल में बड़ी कार्यवाई हो सकती है ।

