कानपुर, अनुराग मिश्र। अगर आप बारिश का मजा लेने के लिए बालकनी में खड़े हैैं और मोबाइल पर बात कर रहे हैैं तो सावधान, यह जानलेवा साबित हो सकता है। दरअसल, वज्रपात (बारिश के दौरान गिरने वाली बिजली) विद्युत सुचालक चीजों पर ही गिरती है। इस बिजली की क्षमता वेल्डिंग मशीन की बिजली से 100 गुना तक ज्यादा होती है। ये पल भर में झुलसा सकती है। विद्युत विभाग खास तौर पर इससे बचाव के लिए लाइटनिंग अरेस्टर (तडि़त चालक) का इस्तेमाल करता है, ताकि उपकरण ध्वस्त होने का खतरा नहीं रहे।
कब बढ़ता है बिजली गिरने का खतरा : चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डा. एसएन सुनील पांडेय बताते हैैं कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उठने वाली मानसूनी हवा नम होती हैै, जबकि राजस्थान की ओर से आने वाली हवा शुष्क होती है।
इनके मिलन से बादल बनते हैैं तो बारिश होती है, लेकिन इसमें वज्रपात का खतरा बढ़ जाता है। बारिश के समय बालकनी में मोबाइल से बात करना या लैपटाप पर काम करना जानलेवा हो सकता है। यह सभी विद्युत सुचालक हैैं।
वेल्डिंग लाइट से 100 गुना ज्यादा क्षमता : केस्को केअधिशाषी अभियंता मनीष गुप्ता बताते हैैं कि वेल्डिंग मशीन में विद्युत प्रवाह 100 से 200 एंपियर तक होता है, लेकिन वज्रपात में माना जाता है कि करीब 10 हजार एंपियर तक करंट होता है। यह सुचालक से आकर्षित होकर गिरती है, लेकिन अगर तडि़त चालक लगे हैैं तो वह इस बिजली को खींचकर धरती में पहुंचा देती है और नुकसान नहीं होता है। इसीलिए हर सबस्टेशन से कुछ दूर और ट्रांसफार्मर व अन्य कीमती उपकरणों के आगे लाइटनिंग अरेस्टर लगाए जाते हैैं। इसमें तांबे की प्लेट के साथ तार को धरती में 20 से 40 फीट तक पहुंचाया जाता है। इसी के सहारे ये बिजली धरती में चली जाती है। इसके अलावा हर बड़ी इमारत पर यह जरूर लगाना चाहिए। इससे आसपास का काफी क्षेत्र सुरक्षित रहता है। इसकी कीमत करीब चार हजार से 10 हजार रुपये तक होती है।
ऐसे काम करता है : तडि़त चालक एक धातु की चालक छड़ होती है, जिसे ऊंचे भवन की छत या विद्युत उपकरण से पहले आकाशीय विद्युत से रक्षा के लिए लगाया जाता है। तडि़त चालक का ऊपरी सिरा नुकीला होता है और इसे भवनों के सबसे ऊपरी हिस्से में जड़ दिया जाता है। इसे तांबे के तार से जोड़कर नीचे धरती में दबाया जाता है।
ऐसे करें बचाव
– यदि किसी खुले स्थान में हैैं तो तत्काल किसी पक्के मकान की शरण ले लें। खिड़की, दरवाजे, बरामदे और छत से दूर रहें।
– लोहे के पिलर वाले पुल के आसपास तो कतई नहीं जाएं।
– ऊंची इमारतों वाले क्षेत्रों में शरण नहीं लें क्योंकि वहां वज्रपात का खतरा ज्यादा होता है।
– अपनी कार आदि वाहन में हैैं तो उसी में ही रहें लेकिन बाइक से दूर हो जाएं क्योंकि उसमें पैर जमीन पर रहते हैैं।
– विद्युत सुचालक उपकरणों से दूर रहें और घर में चल रहे टीवी, फ्रिज आदि उपकरणों को बंद कर दें।
– तालाब, जलाशयों और स्विमिंग पूल से दूरी बनाएं।
– अगर खेत या जंगल में हैैं तो घने और बौने पेड़ की शरण में चले जाएं लेकिन कोशिश करें कि पैरों के नीचे प्लास्टिक बोरी, लकड़ी या सूखे पत्ते रख लें।
– समूह में न खड़े हों बल्कि दूर-दूर खड़े हों। इसके साथ ही ध्यान दें कि आसपास बिजली या टेलीफोन के तार नहीं हों।
– वज्रपात में मृत्यु का तात्कालिक कारण हृदयाघात होता है। ऐसे में जरूरी हो तो संजीवन क्रिया, प्राथमिक चिकित्सा कार्डियो पल्मोनरी रेस्क्यूएशन (सीपीआर) प्रारंभ कर दें।