कोल स्टॉक में गड़बड़ी :सीबीआई की जांच अब दीपका परियोजना तक पहुंची ,5 दिनों से टीम ने डाला है डेरा

लगातार जारी है जांच ,एसईसीएल के अधिकारियों का दावा रूटीन स्टॉक जांच

कोरबा ।कोल स्टॉक में गड़बड़ी की शिकायत पर सीबीआई की जांच का दायरा एसईसीएल गेवरा परियोजना के बाद अब एसईसीएल दीपका तक पहुंच गई है । एसईसीएल की 2 मेगा प्रोजेक्ट सीबीआई के जांच के दायरे में आ गई है।गेवरा न सिर्फ एसईसीएल बल्कि एशिया की सबसे बड़ी ओपन कास्ट कोल माइंस है। दीपका भी देश की सबसे बड़ी खुली कोयला खदानों में शुमार है। यहां पिछले 5 दिनों से केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की टीम ने डेरा डाला है।सीबीआई की टीम शुक्रवार को ही जिले में पहुंच गई थी।इसके बाद से ही कोल स्टॉक की जांच पड़ताल की जा रही है । फिलहाल इस विषय में अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

अमूमन खदानों में कोयले के स्टॉक को लेकर गड़बड़ियों की बात सुर्खियों में रहती है।जिले के खदानों में गत वित्तीय वर्ष में गेवरा खदान से 47.6 तो दीपिका से 35 मिलियन टन कोयले का उत्पादन हुआ है। जिले की इन खदानों से देशभर के पावर प्लांट को कोयले की सप्लाई की जाती है, जिससे बिजली का निर्माण होता है। सीबीआई की टीम यहां कोयले के स्टॉक की जांच करने पहुंची है। रिकॉर्ड में जितना कोयला एसईसीएल के अफसरों ने दर्शाया है वास्तव में वह उपलब्ध है या नहीं। जो कोयला खदानों से डिस्पैच किया गया वह अपने गंतव्य तक उसी मात्रा में पहुंचा या नहीं। इसके साथ ही खदानों में अनुमानित कोयले का मेजरमेंट कितना है।इस दिशा में ही स्टॉक की जांच होती है।कोयला स्टॉक से जुड़ी और भी कई तरह की जांच की जाती है, जिसमें अक्सर अफसरों की गड़बड़ी किए जाने की संभावना बनी रहती है।चर्चा यह भी है कि हाल ही में एसईसीएल के ही किसी अधिकारी ने केंद्रीय जांच एजेंसी को शिकायत कर दी थी। जिसके बाद सीबीआई की टीम कोरबा के खदानों की जांच करने पहुंची है। जिले की गेवरा और दीपका कोयला खदान फिलहाल सीबीआई के रडार पर है।

डीजल चोरी भी है बड़ा मुद्दा

एसईसीएल की खदानों से चोरी होने वाला डीजल भी एक बड़ा मामला है।बड़े पैमाने पर खदानों से डीजल चोरी की वारदात को अंजाम दिया जाता है। हाल ही में पुलिस ने नए एसपी के आते ही 5 दिनों के भीतर 900 लीटर डीजल का जखीरा 10 चोरों के साथ पकड़ा था।हालांकि पुलिस की भूमिका भी डीजल चोरी के मामले में संदेहास्पद बनी रहती है। पुलिस की माने तो डीजल खदानों से ही चोरी किया जाता है, लेकिन एसईसीएल के अफसर ना तो इसके लिए एफआईआर दर्ज कराने में रुचि दिखाते हैं, ना ही वह डीजल को वापस लेने के लिए किसी तरह की पहल करते हैं। पुलिस एसईसीएल के समक्ष सुपुर्दनामा का पत्र भी पेश करती है। बावजूद इसके एसईसीएल के इस तरह के रवैये से कई तरह के सवाल उठते हैं। एसईसीएल अपनी ही संपत्ति को वापस प्राप्त करने में दिलचस्पी नहीं दिखाता। जानकार कहते हैं इसका मतलब साफ है कि सारा डीजल पहले ही खपत के तौर पर उच्च कार्यालयों को दिखा दिया जाता है।कोरबा में डीजल चोर गिरोह के 10 सदस्य गिरफ्तार, 950 लीटर डीजल जब्त कोयला स्टॉक में गड़बड़ी आग लगने पर भी नुकसान का आंकड़ा रखा जाता है।गोपनीय कोयला खदानों में आगजनी की घटनाएं भी होती रहती हैं, लेकिन आग लगने के बाद इसे बुझाने में अफसर उतने तत्पर नहीं दिखते।आग लगने से कोयले को कितना नुकसान पहुंचा।कितनी मात्रा में कोयला जलकर खाक हुआ। इस दिशा में भी कभी कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी जाती। आगजनी के बाद भी कोयले के स्टॉक में गड़बड़ी की संभावनाएं बरकरार रहती हैं।

जानकारी सार्वजनिक होगी या नहीं मिलेगा जवाब

कोल स्टॉक, डीजल और कबाड़ की चोरी और अफसरों के किए जाने वाले नियमित तौर पर कार्यों में किसी बड़ी गड़बड़ी के होने के संकेत मिल रहे हैं। सीबीआई की टीम आमतौर पर जब भी कोई बड़ी कार्रवाई करती है, तब जांच पड़ताल करती है। आधिकारिक तौर पर कोई बयान जारी नहीं किया जाता।एसईसीएल के अफसर भी इस विषय में कोई भी जानकारी नहीं देते हैं। ऐसे में शिकायत क्या थी। जांच किन बिंदुओं पर हो रही है और जांच में किस तरह की गड़बड़ियां उजागर हुई।ऐसे प्रश्नों के जवाब नहीं दिए जाते हैं। सीबीआई की टीम पिछले 5 दिनों से कोरबा जिले में है, लेकिन इसकी किसी तरह की भी कोई सूचना जारी नहीं की गई है। ना ही किसी भी तरह की जानकारियों को सार्वजनिक किया गया है। अब देखना यह होगा कि वर्तमान जांच की भी कोई बात सार्वजनिक होती है या इस बार भी सवालों का कोई जवाब नहीं मिलता है। सीबीआई का नियमित दौराएसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी सनीष चंद्रा का कहना है कि सीबीआई का यह दौरा एक तरह से नियमित दौरा है। रेंडम आधार पर खदानों का दौरा कर कोल स्टॉक की जांच पड़ताल करते हैं। एसईसीएल की विजिलेंस टीम भी सीबीआई के साथ मौजूद है। इसमें किसी भी तरह की शिकायत या इस तरह की कोई बात नहीं है। यह बिल्कुल सामान्य दौरा है।