खरसिया/ विकासखण्ड खरसिया अंतर्गत आदिवासी बालक आश्रम कुकरीझरिया में असामाजिक तत्वों द्वारा वैक्सीनेशन महाअभियान 26-27 जून के दरमियान आश्रम में तोड़-फोड़ कर तखत गद्दा बेडशीट इत्यादि सामग्री का चोरी कर लिया गया तथा आश्रम में आग भी लगा दिया गया था। जिससे आश्रम के तखत गद्दा बेडशीट इत्यादि सामान जल कर खाक हो गया। गैर जिम्मेदार आश्रम अधीक्षक न्यायेश्वर पटैल मुख्यालय में रहते ही नहीं है और वे अपने घर से ही संस्था का संचालन करते हैं जिनकी लापरवाही के कारण ऐसी अप्रिय घटना घटित हुई।


जबकि आदिवासी विकास विभाग के जिला कार्यालय द्वारा समय समय पर आदेश/निर्देश प्रसारित किए जा रहें हैं कि अधीक्षक संस्था में निवास करें और किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना घटित होती है तो इसकी सम्पूर्ण जवाबदारी अधीक्षक की होगी। इसके बावजूद अधीक्षक की इस कदर लापरवाही प्रदर्शित हो रहा है साथ ही मण्डल संयोजकों को भी अपने क्षेत्रान्तर्गत स्थित छात्रावास/आश्रमों सतत निरीक्षण कर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने तथा बिना पूर्व सूचना के अनुपस्थित पाए जाने वाले कर्मचारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किये जाने हेतु प्रस्ताव अपनी अनुशंसा सहित जिला कार्यालय में प्रस्तुत करने हेतु आदेश/निर्देश जारी किया गया है किंतु मण्डल संयोजक खरसिया द्वारा किसी प्रकार का निरीक्षण नहीं किया जाता बल्कि ज्यादातर वे खुद ही मुख्यालय में उपस्थित नहीं रहती और अधीक्षकों से लेनदेन कर घर से ही निरीक्षण की खानापूर्ति करती है। वर्तमान में भी इसका सीधा उदाहरण देखना हो तो खरसिया विकासखंड के छात्रावास/आश्रमों में चले जाइये ज्यादातर छात्रावास/आश्रमों के अधीक्षक अनुपस्थित ही मिलेंगे और कई छात्रावास/आश्रम तो पिछले वर्ष कोविड 19 के वजह से बंद पड़ा है तो उसके बाद खुला ही नहीं है और उनके चतुर्थ श्रेणी कमर्चारियों से पूछने पर कर्मचारी उपस्थिति पंजी अधीक्षक अपने पास रखना बताएंगे उधर अधीक्षक अपने घर से खानापूर्ति करने में लगे हैं।
कोविड 19 महामारी के कारण विगत वर्ष से छात्रावास/आश्रमों का संचालन बंद है अन्यथा ऐसी घटना घटित होने से गरीब आदिवासी बच्चों की जानमाल की भी हानि उठानी पड़ती जिसके जिम्म्मेदार कौन होता। आश्रम में ऐसी अप्रिय घटना घटित होने के बावजूद आश्रम अधीक्षक और मण्डल संयोजक आदिवासी विकास खरसिया द्वारा किसी प्रकार की थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई और न ही उच्चाधिकारी को सूचित किया गया बल्कि आश्रम अधीक्षक और मण्डल संयोजक आदिवासी विकास खरसिया लेनदेन कर दोनों की मिलीभगत से घटना के साक्ष्य को छुपा कर शॉर्टसर्किट नाम देकर उच्चाधिकारी के संज्ञान में लाये बिना मामले को रफादफा कर दिया गया। आश्रम के स्टॉक पंजी को देखने से स्पष्ट हो जाएगा कि क्या क्या सामान उपलब्ध है व आश्रम में कितना नुकसान हुआ चोरी से/आग में जल कर इत्यादि। गांव में ऐसी कानाफुसी चल रही है कि कही ये सोची समझी साजिश तो नहीं कि कुछ हुआ ही ना हो लेकिन हम गांव वाले को दिखाने के लिए साक्ष्य को छुपाकर शॉर्टसर्किट होना बताया जा रहा है और आश्रम का सामान आश्रम अधीक्षक और मण्डल संयोजक आदिवासी विकास खरसिया द्वारा मिलीभगत कर बेच तो नही दिया गया है क्योकि 1 माह बीत जाने के बाद भी अब तक इस सबंध में किसी प्रकार की कोई जांच नही हुआ या फिर उच्चधिकारी के भी संज्ञान में हो और सभी मामले को दबाने में लगे हैं यह संशय का विषय है।