जपं कोरबा में पंचायती राज अधिनियम को दरकिनार कर ली गई सामान्य सभा की बैठक ,पारित प्रस्ताव अवैद्यानिक ,नपेंगे जिम्मेदार !

जनपद सदस्यों के बहिष्कार के बाद उसी दिन दोबारा बैठक लेकर 15वें वित्त ,जनपद विकास निधि के लिए पारित कर दिए गए थे प्रस्ताव ,कार्यवाई पंजी में नहीं था उल्लेख,प्रभारी सीईओ ने जांच उपरांत आवश्यक कार्यवाई के लिए सक्षम अधिकारियों को भेजा प्रतिवेदन

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। जनपद पंचायत कोरबा में 5 जून 2021 को जनपद सीईओ (वर्तमान में चिकित्सा अवकाश पर गए )गोपाल मिश्रा द्वारा बुलाई गई सामान्य सभा की बैठक व 15 वें वित्त एवं जनपद विकास निधि के लिए पारित प्रस्ताव विधि सम्मत नहीं है।सदस्यों के बहिष्कार के बाद भी पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 44 में उल्लेखित प्रावधानों से परे जाकर उसी दिन दोबारा सामान्य सभा की बैठक आयोजित कर अनुचित तरीके से प्रस्ताव पारित किए गए। आबंटन पर रोक लगाए जाने से नाराज जनपद अध्यक्ष एवं सदस्यों द्वारा जनपद पंचायत के मुख्य द्वार पर ताला जड़कर जताए गए विरोध उपरांत विधि सम्मत जांच के बाद इसका खुलासा हुआ है। प्रभारी जनपद सीईओ ने अवैद्यानिक तरीके से ली गई बैठक एवं पारित प्रस्ताव के विरुद्ध जांच प्रतिवेदन आवश्यक कार्रवाई के लिए सक्षम अधिकारियों को भेज दिया है।

यहाँ बताना होगा कि 5 जून 2021 को जनपद पंचायत कोरबा में अध्यक्ष श्रीमती हरेश कंवर की अनुमति से जनपद सीईओ गोपाल मिश्रा ने सामान्य सभा की बैठक आहूत की थी। लेकिन जनपद उपाध्यक्ष सहित सदस्यों ने सामान्य सभा की कार्रवाई विधि सम्मत नहीं बताते हुए बहिष्कार कर दिया था। लेकिन ठीक उसी दिन दोपहर उपरांत पुनः सामान्य सभा की बैठक आयोजित कर 15वें वित्त एवं जनपद विकास निधि के कार्यों के लिए प्रस्ताव पारित कर दिया था। इसके बाद जनपद उपाध्यक्ष श्रीमती कौशिल्या वैष्णव ने जनपद अध्यक्ष पर सामान्य सभा के बहिष्कार के बाद अवैद्यानिक तरीके से सामान्य सभा बुलाने और सदस्यों से फर्जी हस्ताक्षर लेने के आरोप लगाए थे।पूर्व गृहमंत्री व रामपुर विधायक ननकीराम कंवर ने भी इस फर्जीवाड़े को लेकर कलेक्टर,जिला पंचायत सीईओ व एसपी को पत्र लिखकर जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की थी। शिकायत उपरांत जिला पंचायत सीईओ कुंदन कुमार ने राशि आबंटन पर रोक लगा दी थी। इस पूरी कार्रवाई एवं शिकायत को गलत बताकर 16 सितंबर को जनपद अध्यक्ष श्रीमती हरेश कंवर एवं सदस्यों ने जनपद के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया था। इससे प्रभारी सीईओ राधेश्याम मिर्झा सहित अधिकारी कैद हो गए थे। सिटी मजिस्ट्रेट हरिशंकर पैकरा की मध्यस्थता व मंगलवार 21 सितंबर तक विकास कार्यों की राशि जारी करने के आश्वासन उपरांत ताला खोला गया था। इसके बाद प्रभारी जनपद सीईओ को विधि सम्मत प्रक्रिया की जांच के आदेश दिए थे। प्रभारी जनपद सीईओ राधेश्याम मिर्झा ने जांच पूरी कर ली है।छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 44 का पालन नहीं किया गया ।सामान्य सभा की बैठक विधि सम्मत नहीं है ,लिहाजा सामान्य सभा में लिए गए निर्णय एवं प्रस्ताव विधि विरुद्ध हैं।

पंचायती राज अधिनियम का उल्लंघन ,बैठक व प्रस्ताव अवैद्यानिक

प्रभारी जनपद सीईओ राधेश्याम मिर्झा द्वारा कलेक्टर ,सीईओ जिला पंचायत एवं उपसंचालक पँचायत को भेजे गए प्रस्ताव अनुसार पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 44 में स्पष्ट उल्लेख है कि सामान्य सभा स्थगित होने या बहिष्कृत होने की दशा में उसी दिन सामान्य सभा की बैठक कार्रवाई पंजी में स्थगित बैठक कब होगी इसका उल्लेख किया जावे। साथ ही सूचना पटल में उक्त निर्णय संबंधी सूचना चस्पा किया जावे। लेकिन 5 जून को हुई बैठक में इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। उसी दिन दो घण्टे बाद दोपदर 2 बजे दोबारा अवैद्यानिक तरीके से बैठक आयोजित कर 15वें वित्त एवं जनपद विकास निधि के लिए प्रस्ताव पारित कर अनुमोदन कर दिया। इस तरह छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 44 का पालन नहीं किया गया ।सामान्य सभा की बैठक विधि सम्मत नहीं है ,लिहाजा सामान्य सभा में लिए गए निर्णय एवं प्रस्ताव विधि विरुद्ध हैं।

तो क्या जनपद सीईओ पर होगी कार्रवाई!

जनपद सीईओ जनपद पंचायत के पदेन सचिव होते हैं। पूरी प्रशासनिक व्यवस्था के ये प्रमुख होते हैं।अध्यक्ष की अनुमति से बैठक आहूत करने से लेकर विधि सम्मत इन पर समस्त प्रक्रियाओं का पालन कराए जाने की जिम्मेदारी रहती है। पंचायती राज व्यवस्था के तहत आदिवासी बाहुल्य जिले होने की वजह से निर्वाचित जनप्रतिनिधि कम पढ़े लिखे होते हैं ऐसे में इनकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। लेकिन चिकित्सा अवकाश में गए जनपद सीईओ गोपाल मिश्रा ने विधि सम्मत जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किया। जनपद विकास निधि के तहत ग्राम पंचायत बरीडीह ,चाकामार,करूमौहा में 28 लाख के स्वीकृत कार्यों के लिए प्रथम किश्त के तौर पर 40 प्रतिशत अर्थात 11 लाख 20 हजार की राशि का चेक जारी कर चुके हैं। अब चूंकि सामान्य सभा की बैठक से लेकर पारित प्रस्ताव अवैद्यानिक बताया जा रहा है तो क्या ऐसे में पंचायतों से उक्त राशि की वसूली होगी। जनपद सीईओ के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होगी या नहीं यह आने वाले वक्त में देखना दिलचस्प होगा।

वर्जन

विधि विरुद्ध है बैठक व पारित प्रस्ताव ,आवश्यक कार्रवाई के लिए भेज दिया प्रतिवेदन

जनपद पंचायत कोरबा में 5 जून को सामान्य सभा का बहिष्कार उपरांत उसी दिवस दोबारा ली गई। जबकि सामान्य सभा की बैठक कार्यवाई पंजी में आगामी बैठक निश्चित करने संबंधी तिथि एवं समय का उल्लेख नहीं किया जाना पाया गया। इस तरह सामान्य सभा की बैठक छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 44 के प्रावधान के विपरीत है ।सामान्य सभा की बैठक विधि सम्मत नहीं है ,लिहाजा सामान्य सभा में लिए गए निर्णय एवं प्रस्ताव विधि विरुद्ध हैं।हमने सक्षम अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन भेज दिया है।

आर एस मिर्झा,प्रभारी सीईओ जनपद पंचायत कोरबा