कोरबा। चिकित्सा विभाग में कोरोना के नाम पर हुई खरीदी में जमकर फर्जीवाड़ा हुआ है। जिस कूलर का बाजार मूल्य 22 हजार से भी कम है उसे 45 हजार 360 रपये में खरीद कर मरीजों की जान बचाने की वाहवाही लूट रहे है। सही मायने में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि कोरोना काल में डीएमएफ से खरीदी सिर्फ और सिर्फ अधिकारियो के लिए संजीवनी साबित हुई है।
दरअसल आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक बाजार भाव से जस्ट दोगुना दाम पर कूलर और एसी की खरीदी कर मरीजो की जान बचाने का झूठा ढोंग रचा गया। अब जब आरटीआई से बोगस खरीदी का खुलासा हुआ तो मामले पर पर्दा डालने का प्रयास करते हुए विभाग के अधिकारियों ने विभाग के पक्ष में माहौल तैयार करने फिर से सरकारी राशि फूंक डाली।
सूत्रों की माने तो चिकित्सा विभाग में कोरोना काल मे लगभग 50 करोड़ से ऊपर की खरीदी हुई है, और जिले में खरीदी में जो कमीशन की परिपार्टी चली उसके मुताबिक लगभग 30 फीसदी रकम वापस खरीदी करने वाले और सेंक्शन करने वाले अधिकारियों के बीच बंटा है। अब जब इतना रकम बांट कर सारा रिस्क ठेकेदार ने अपने सिर लिया है तो स्वाभाविक है उनका भी खरीदी का 20 फीसदी हिस्सा लाभांश के रूप में रहेगा। कुल मिलाकर कागजो में खरीदी और आपस रकम का बंटवारा एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है।
न कंपनी, न क्वालिटी का उल्लेख
कोविड सेंटर स्याहीमूड़ी के लिए ए सी खरीदी में किस कदर धांधली हुई है । इसका अंदाजा ब्रिटिश इंडिया ट्रेडिंग कंपनी के बिल से लगाया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग को सम्मिट किये गए बिल में न तो एयर कंडीशनर की कंपनी कोड किया गया है और न ही ऐसी क्वालिटी का उल्लेख है। हाँ बिल में एक चीज जरूर उल्लेख है वो है मनमाना रेट! जो 2 टन की ए सी बाजार में 30 से 35 हजार रुपये में किश्त में उपलब्ध है उसे हमारे ईमानदार सीएचएमओ ने 68 हजार 992 रुपये खरीद डाला। इसके बाद भी सीएचएमओ साहब कहते फिर रहे है कि हमे अर्जेंट में समान खरीदना था, लोगो का जान बचाना पहली प्राथमिकता थी? जो भ्र्ष्टाचार करने का बहाना के अलावा कुछ और साबित नही करता। खैर जिस कदर खदान प्रभावितों के हक की राशि का बंदरबाट हुआ है उससे भले ही जांच की आंच से अधिकारी बच जाए, पर ऊपर वाले की जांच के आंच में जरूर आएंगे।

न ब्रांड न साइज और कुलर 45 हजार का
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जिस कूलर को खरीद कर कोरोना महामारी से लड़ने की बात कह रहे है उस कूलर का न तो ब्रांड है और न ही मापदंड? इसके बाद भी बिना किसी डर के दोगने दाम पर कूलर खरीदी कर वाहवाही लूटना समझ से परे है। अमूनन बाजार में जितनी भी कूलर की बिक्री होती है उसका ब्रांड और केपिसिटी के आधार रेट निर्धारित होता है लेकिन लोगो की जान बचाने वाले डाक्टर इन सारे नियमो को ताक पर रखते हुए 45 लाख 36 हजार की खरीदी कर चहेते ठेकेदार को उपकृत कर दिया है।
वर्सन
कोरोना काल में सामग्री खरीदी के लिए निविदा मंगाया गया था। नियम के तहत ही विभाग में खरीदी हुई है। निविदा के आधार पर कम रेट में सामग्री आपूर्ति करने वाले निविदाकर्ताओं से सामग्री क्रय किया गया है।
बीबी बोर्डे , जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कोरबा