हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। कोयलांचल में डीजल सरगना बन चुका टीपीनगर के कबाड़ी ने हसदेव एक्सप्रेस के खबर के बाद क्षणिक रूप से डीजल चोरी तो बन्द कर दिया है लेकिन कबाड़ के अवैध कारोबार को तेज कर दिया है। न केवल शहर बल्कि एसईसीएल के खदानों से यह मशहूर कबाड़ी पुलिस ,सीआईएसएफ ,त्रिपुरा रायफल्स की सुरक्षा में सेंध लगा बड़े बड़े मशीनों को गायब कर रहा है। जबकि स्थानीय कुसमुण्डा ,दीपका पुलिस सोई हुई है। निश्चित रूप से कबाड़ी के इस कारोबार से न केवल एसईसीएल के करोड़ों की संपत्ति खतरे में है वरन शहर में भी अमन चैन को खतरा है। चुनोती बन चुके इस कबाड़ चोर तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंचने को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
यहां बताना होगा कि कोरबा में कबाड़ के अवैध धंधे से डीजल चोर सरगना बने कबाड़ी तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंच पाए। काले कारोबार से अकूट धन अर्जित कर चुका डीजल चोर कबाड़ी एसईसीएल के खदानों में तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था के दावे का माख़ौल उड़ाते हुए प्रतिदिन लाखों का डीजल पार कर रहा है ।वहीं पुलिस एक दो प्रकरणों में छोटे डीजल चोरों व लावारिश हालत में मिले डीजल की जब्ती की कार्रवाई के जरिए अपनी विफलता को छुपाने में लगी है। एसईसीएल की खुद की नाकामी व पुलिस की ढिलाई से ट्रकों से डीजल चोरी के कारण एसईसीएल को जहाँ प्रति माह करोड़ों की चपत लग रही हैं वहीं कोयला उत्पादन बढ़ाने के लक्ष्य में रुकावटें पैदा कर रही है। इसको लेकर हसदेव एक्सप्रेस ने हाल ही में प्रमुखता से समाचार जारी किया। जिसके बाद कोयलांचल में सो रही पुलिस हरकत में आ गई । लिहाजा डीजल सरगना ने फिलहाल क्षणिक रूप से डीजल चोरी पर ब्रेक लगा दिया है । लेकिन कबाड़ का धंधा बेलगाम है। यह कबाड़ सरगना खुले आम खदानों से लाखों का कबाड़ पार कर रहा है।पुलिस के लिए चुनोती बना हुआ है।
हजारों ट्रक ,मशीनों पर टिकी रहती है निगाह संचालित
यहां बताना होगा कि औद्योगिक जिला कोरबा में एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान है।छत्तीसगढ़ पूरे देश की जरूरत का 20 प्रतिशत कोयला देता है। यहां कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी साउथ-इस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल ) की 41 खदानें हैं। इसमें से ओपन कास्ट खदानों की संख्या अधिक है। यहां से सालाना 150 लाख मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन होता है। कोरबा जिले की ही खदानों से एसईसीएल 130 लाख मीट्रिक टन कोयला निकालती है। इस तरह देखें तो प्रदेश के एसईसीएल के कुल कोयला उत्पादन का लगभग 87 फीसदी कोयले की आपूर्ति कोरबा से होती है । इस उत्पादन की पूर्ति करने करोड़ो की मशीनें व हजारों ट्रकें लगी रहती हैं।इन्हीं ट्रकों व मशीनों से कबाड़ चोर लाखों का कबाड़ पार कर रहा है ।
एसईसीएल के खदानों की सुरक्षा में लगे सीआईएसएफ व त्रिपुरा राइफल्स भी विफल
एसईसीएल के खदानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) व त्रिपुरा राइफल्स के कंधों पर है। सीआईएसएफ 2011-12 से एसईसीएल के खदानों की सुरक्षा व्यवस्था संभाल रही है। लेकिन पिछले कुछ सालों से एसईसीएल की खदानों में बड़े पैमाने पर डीजल व कबाड़ चोरी की घटनाओं में इजाफा हुआ है। कुसमुंडा के अलावा गेवरा व दीपका की खदानों में भी बड़े पैमाने पर डीजल कबाड़ चोर हावी रहे। इन घटनाओं में अंकुश लगाने में नाकाम रहने के कारण सीआईएसएफ की विफलता को देखते हुए हाल ही में एसईसीएल ने त्रिपुरा राइफल्स को सुरक्षा में लगा दिया है। बावजूद डीजल कबाड़ चोरी की घटनाओं पर लगाम नहीं लग पा रही। सूत्रों की मानें तो डीजल चोर सरगना खदानों की सुरक्षा में तैनात सुरक्षा कर्मियों को भी अपने प्रभाव में लेने में सफल रहा है। कद्दू कटेगा तो सबमें बंटेगा की तर्ज पर डीजल चोरी के अवैध कारोबार को अंजाम दिया जा रहा है। निश्चित रूप से एसईसीएल के अफसरों की खामोशी भी कई तरह के सवाल उत्पन्न कर रही है।