हसदेव की खबर से जागा पटवारी संघ, कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कहा भुईयां सॉफ्टवेयर में बदलाव के कारण बिगड़े हालात,राजस्व ,धान खरीदी पंजीयन संबंधी कार्यों में हो रहे व्यवधान को लेकर एनआईसी के अधिकारी जिम्मेदार

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा ।हसदेव एक्सप्रेस की खबर से अब राजस्व पटवारी संघ कोरबा भी जाग गई है । भुईयां सॉफ्टवेयर में बदलाव के कारण राजस्व अभिलेख (बी .-1,खसरा पांचसाला में रकबा परिवर्तन फसल प्रकार में परिवर्तन कई खसरों में किसानों का नाम गायब होने पूर्व डाटा भी डिलीट होने की जिसकी वजह से प्रभावित हो रहे राजस्व कार्यों को लेकर अब राजस्व पटवारी संघ कोरबा ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए एनआईसी के सॉफ्टवेयर में हुए परिवर्तन के कारण शासन की महत्वकांक्षी योजनाओं के क्रियान्वयन एवं धान खरीदी पंजीयन संबंधी कार्यों में हो रहे व्यवधान को लेकर एनआईसी एवं उसका संचालन करने वाले अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है।

राजस्व पटवारी संघ कोरबा के पदाधिकारियों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अवगत कराया है कि एनआईसी रायपुर द्वारा 8 सितंबर 2021 से 13 सितंबर 2021 तक सॉफ्टवेयर में बदलाव के कारण राजस्व अभिलेख बी.-1,खसरा पाँचसाला में रकबा परिवर्तन फसल प्रकार में परिवर्तन कई खसरों में कृषकों का नाम गायब हो गया है। कुछ भूमि स्वामियों का खसरा नम्बर शासकीय भूमि मद में दर्ज हो गया है। सर्वर नियमित रूप से नहीं चलता। डिजिटल हस्ताक्षर भी ठीक से नहीं हो पा रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए संघ के पदाधिकारियों ने इंद्रावती भवन एवं महानदी भवन में जाकर संचालक भू -अभिलेख एनआईसी के जिम्मेदार अधिकारियों एवं राजस्व सचिव को अवगत कराया था। साथ ही 8 सितम्बर 2021 के पूर्व की स्थिति में करने का निवेदन किया था। लेकिन इसके बाद भी समस्या यथावत बनी हुई है।

पटवारियों ने कहा एनआईसी की वजह से बिगड़े हालात ,एनआईसी ही जिम्मेदार

राजस्व पटवारी संघ के पदाधिकारियों ने कलेक्टर को अवगत कराया है कि एनआईसी के द्वारा सॉफ्टवेयर में अचानक किए गए परिवर्तन के कारण शासन की महत्वकांक्षी योजना के क्रियान्वयन एवं वर्तमान में धान खरीदी संबंधी कार्य करने में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। रकबा में परिवर्तन ,कृषकों का नाम गायब होने ,फसल परिवर्तन,भूमि का मद में परिवर्तन एवं विभिन्न तकनीकी समस्याएं एनआईसी सॉफ्टवेयर में परिवर्तन के कारण हुआ है । जिसकी जिम्मेदारी पटवारियों की नहीं होगी। इसके लिए एनआईसी एवं उसका संचालन करने वाले अधिकारियों को जिम्मेदार समझा जावे।