हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुके जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का एक और कारनामा चर्चे में है। इस बार अधिकारियों ने शासन के नियमों से परे जाकर संकुल शैक्षिक समन्यवक (सीएसी )की नियुक्ति करने अपने निजी स्वार्थ के लिए चयन प्रक्रिया इंटरव्यू का प्रावधान जोड़ दिया है। जिसमें सूत्रों के अनुसार भेंट पूजा देने वाले आवेदक शिक्षकों को सीएसी बनाने का खेल चल रहा है। अधिकारियों के इस मनमानी से नाराज कुछ शिक्षकों ने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से करने का मन बना लिया है।
यहाँ बताना होगा कि स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार लाने मॉनिटरिंग व्यवस्था सुदृढ किए जाने की मंशानुरूप जिले में संकुलों की संख्या 118 से बढ़ाकर 249 कर दिया गया है। इससे अब एक संकुल के दायरे में 15 से 20 स्कूल होने की जगह महज 7 से 10 स्कूल रह गए हैं। यहीं नहीं अब प्रधानपाठकों की जगह स्कूल शिक्षा विभाग ने प्राचार्यों को संकुल प्रभारी बना दिया है। इसके पीछे विभाग की मंशा स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में तेजी से गुणवत्ता लाना है । इसी कड़ी में जिले में सीएसी के रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। नियमानुसार सीएसी के लिए प्रधानपाठकों को प्राथमिकता देना है । इनके बाद यूडीटी ,शिक्षक ,सहायक शिक्षक एलबी को प्राप्त आवेदन अनुसार सीएसी बनाया जा सकता है। लेकिन जिले में सीएसी की चयन प्रक्रिया में एक अलग ही खेल चल रहा है। सीएसी के लिए इंटरव्यू का प्रावधान नहीं है। लेकिन डीईओ डीएमसी की जुगलबंदी ने सारे नियम कायदों को ताक में रखकर खुद के नियम विभाग में लागू कर दिए हैं।सूत्रों की मानें तो निजी स्वार्थ के खातिर इंटरव्यू का प्रावधान प्रक्रिया में जोड़ दिया गया है। इसके कारण वही शिक्षक सीएसी के लिए चयनित किए जा रहे हैं जो उनकी व्यवस्था में फिट बैठ रहे। बहरहाल पूरे जिले में डीईओ डीएमसी के इस नए कारनामे की चर्चा सरगर्म है। पूर्व डीईओ सतीश पांडेय के जाने के बाद फिर विभाग की फजीहत होनी शुरू हो गई है। नियमों से परे जाकर संलग्नीकरण ,भर्ती प्रक्रिया सहित अन्य कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है।