उड़ीसा । जिंदल के प्रस्तावित प्लांट का विरोध कर रहे ग्रामीणों पर पुलिस ने शुक्रवार को जमकर लाठियां बरसाईं। दोपहर करीब 1:30 बजे पुलिस की ओर से सुपारी और पान के खेतों को तहस-नहस करना शुरू कर दिया गया था जिसके बाद लगातार तनाव का माहौल निर्मित हो गया और पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया जिससे कई ग्रामीण घायल हो गए । घायलों में किसान परिवारों के महिलाएं एवं बच्चे भी शामिल है।
दरअसल यह पूरा मामला ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले के ढिंकिया गांव का है जहां जेएसडब्ल्यू उत्कल की स्टील, सीमेंट और अन्य प्रस्तावित परियोजनाओं का ग्रामीणों की ओर से लगातार विरोध जारी है।
इधर दूसरी ओर पुलिस ने कहा कि सहमति के बिना कोई पान की बेल नहीं तोड़ी गई लेकिन आज पुलिस ने हमले के बाद प्रदर्शनकारियों की कई पान की बेलें तोड़ दीं। विध्वंस मनमाना था जिसे जेएसडब्ल्यू परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण में तेजी लाने के प्रशासन के कदम का हिस्सा माना जा रहा है।
क्या है पूरा मामला
ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले के ढिंकिया गांव में प्रस्तावित जेएसडब्ल्यू उत्कल की स्टील, सीमेंट और अन्य परियोजनाओं का ग्रामीण लगातार विरोध कर रहे हैं।
पिछले साल 20 दिसंबर को पुलिस द्वारा ग्रामीणों पर की गई कार्रवाई के बाद से गांव में तनाव व्याप्त है। ढिंकिया के लोगों ने गांव की सीमा का सीमांकन करने के प्रशासन के कदम और जेएसडब्ल्यू परियोजना के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे दो निवासियों की गिरफ्तारी का विरोध किया था।
यह वही जगह है जहां पोस्को ने पहले एक बड़ी स्टील परियोजना शुरू की थी। लेकिन, पोस्को के ढिंकिया गांव से बाहर चले जाने के बाद, ओडिशा सरकार ने 65 हजार करोड़ रुपये की लागत से ओडिशा के पारादीप बंदरगाह के पास जगतसिंहपुर में 13.2 एमटीपीए स्टील प्लांट, 10 एमटीपीए सीमेंट और 900 मेगावाट कैप्टिव पावर प्लांट स्थापित करने के लिए जेएसडब्ल्यू उत्कल स्टील को जोड़ा है। प्रस्तावित जमीन दी जा चुकी है।
ग्रामीणों ने तब पोस्को परियोजना का विरोध किया और अपने जीवन और आजीविका के लिए एक दशक लंबी लड़ाई लड़ी और अब वे फिर से क्षेत्र में जेएसडब्ल्यू स्टील की प्रस्तावित परियोजना का विरोध कर रहे हैं क्योंकि वे सभी सुपारी, सुपारी, धान, काजू हैं। उनका जीवन कृषि और मछली पकड़ने जैसी आजीविका पर निर्भर करता है।
नई परियोजना के लिए ढिंकिया की 748 एकड़ जमीन पर निगाह
उक्त परियोजना के लिए लगभग 3000 एकड़ भूमि की आवश्यकता है। ओडिशा के इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने जिले के नुआगांव, गडकुजंगा और ढिंकिया ग्राम पंचायतों के अंतर्गत आने वाले गांवों में पोस्को के लिए 2,700 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था, जिसमें से अधिकांश जेएसडब्ल्यू को दी जाएगी।
प्रशासन अब नई परियोजना के लिए 748 एकड़ और अधिग्रहण करना चाहता है, जो ढिंकिया ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है।
ग्रामीणों ने कहा नहीं देंगे जमीन ,प्रशासन बना रहा दबाव
गांव के एक निवासी ने कहा, धान, सुपारी और मछली जो हम यहां उगाते हैं, उसने हमें पीढ़ियों तक बनाए रखा है। हम इस प्रोजेक्ट को किसी भी कीमत पर नहीं आने देंगे।
ढिंकिया की महिलाओं ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वह लोगों को उनकी पान की बेल तोड़ने के लिए राजी करने और परियोजना का रास्ता साफ करने के लिए धमका रही है। उनका आरोप है कि पुलिस ने ग्रामीणों के खिलाफ कई मामले दर्ज किए हैं क्योंकि प्रशासन गांवों का सीमांकन और सफाई कर रहा है।
परियोजना, पारंपरिक आजीविका को नष्ट कर प्राकृतिक संसाधनों से भी वंचित करेगी
इस परियोजना से सीधे तौर पर प्रभावित पोलांग, बयाना कांधा, गोविंदपुर, ढिंकिया, नौगांव, जटाधारा गांवों के मजदूरों और ग्रामीणों ने इसका कड़ा विरोध किया है। यह परियोजना न केवल लोगों की पारंपरिक आजीविका को नष्ट करेगी बल्कि उन्हें प्राकृतिक संसाधनों से भी वंचित करेगी। इसका पर्यावरण (वायु, जल, ध्वनि और भूमि), सामाजिक-आर्थिक (स्थानीय आजीविका का नुकसान, विभिन्न वृक्षारोपण की हानि और पारंपरिक ज्ञान के पीढ़ीगत हस्तांतरण), पारिस्थितिकी और स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
ऐसे समय में जब कोरोना की तीसरी लहर हम पर दस्तक दे रही है, ग्राम प्रशासन और सरकार प्रभावित परिवारों और ग्रामीणों के साथ परामर्श के बिना इनमें से कुछ कॉर्पोरेट परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए दृढ़ हैं। जिससे प्रभावित परिवार अपनी जमीन और पारंपरिक व्यवसायों से बेघर हो जाएंगे।