रेडी टू ईट निर्माण पर ‘रार ‘सरकार -समूहों में तकरार , सवा लाख हितग्राहियों को नहीं बंट रहा पोषण आहार ,कैसे करेंगे कुपोषण के खिलाफ प्रहार ,केंद्र हो रहे वीरान ,अधिकारियों का नहीं रहा ध्यान ,देखें वीडियो …….

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा (भुवनेश्वर महतो)। रेडी टू ईट निर्माण को लेकर सरकार एवं स्व सहायता समूहों के बीच चल रही लड़ाई का खामियाजा हितग्राहियों को भुगतान पड़ रहा।कुपोषण के खिलाफ लड़ाई धीमी पड़ गई है। राज्य शासन के आदेश अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य बीज निगम की स्थापित इकाइयों को अप्रैल माह से ऑटोमोटिव (स्वचलित )मशीनों से तैयार रेडी टू ईट परियोजनाओं में पहुंचाना है लेकिन जिले के 10 में से महज 3 परियोजनाओं में ही बीज निगम रेडी टू ईट पहुंचा सकी । वहीं मामले की हाईकोर्ट में हो रही चरणबद्ध सुनवाई एवं वितरण को लेकर स्पष्टता के अभाव में परियोजनाओं से रेडी टू ईट केंद्रों तक पहुंच ही नहीं सका। लिहाजा अप्रैल माह के पहले मंगलवार को बंटने वाले पहले टीएचआर से सवा लाख हितग्राही वंचित रह गए। सोमवार को हसदेव एक्सप्रेस की पड़ताल में आंगनबाड़ी केंद्रों में हितग्राहियों की उपस्थिति नगण्य नजर आई।

यहां बताना होगा कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 6 माह से 6 वर्ष के नोनिहालों ,किशोरियों,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के पोषण के लिए कार्य किया जा रहा है। पूर्व में स्थानीय महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से रेडी टू ईट कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा था । गेहूं ,सोया ,चना ,मूंगफली मिश्रित पौष्टिक पोषण आहार रेडी टू ईट य माह से 3 वर्ष तक के बच्चों ,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के लिए प्रत्येक मंगलवार को दिए जाने का प्रावधान है ताकि उन पर कुपोषण की काली छाया न पड़े ,कुपोषित हितग्राही इसके दायरे से बाहर निकल सकें। लेकिन 24 दिसंबर 2021 को छत्तीसगढ़ शासन ने द्वारा कैबिनेट में लिए गए निर्णय अनुसार 1 फरवरी से राज्य बीज निगम की स्थापित इकाईयों के माध्यम से स्वचलित मशीनों के माध्यम से रेडी टू ईट का उत्पादन करने का निर्णय लिया था। इसके पीछे शासन ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाईन का हवाला दिया है जिसमें मानव स्पर्श रहित गुणवत्ता युक्त आवश्यक पोषक तत्वों से भरे रेडी टू ईट बच्चों की सेहत के लिए उपयुक्त बताया गया है। हालांकि सरकार के इस फैसले से पिछले करीब डेढ़ दशक से रेडी टू ईट का निर्माण कर रहीं स्व सहायता समूह के हाथों से रोजगार छीन जाएगा। 20 हजार से अधिक महिलाएं सीधे तौर पर इससे प्रभावित होंगी।लाखों रुपए कर्ज लेकर विषम परिस्थितियों में भी स्व सहायता समूहों की महिलाओं ने योजना का सुचारू संचालन किया। शासन के फैसले के खिलाफ कवर्धा ,कोरबा ,सूरजपुर सहित कई जिलों में रैली निकाल कलेक्ट्रेट का घेराव कर विरोध जताया गया था । राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम आदेश को वापस लेने ज्ञापन सौंपा गया। विपक्षी दल भाजपा भी सत्ता पक्ष के इस निर्णय को लेकर हमलावर रही। सदन में हंगामा व बहिर्गमन तक किया गया। केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने सीधे खुले मंच से मुख्यमंत्री पर चहेतों को काम देने 20 हजार महिलाओं को बेरोजगार करने के गम्भीर आरोप लगाए। इधर शासन के फैसले के विरुद्ध स्व सहायता समूहों ने हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल कर दी। इस मामले में चरणबद्ध सुनवाई हो रही है। लिहाजा बीज निगम की स्थापित इकाइयों हाईकोर्ट में याचिका लगे होने की वजह से वो जोखिम नहीं उठा सकी। जिसे देखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ शासन ने वित्तीय वर्ष की समाप्ति 31 मार्च तक रेडी टू ईट के लिए वर्तमान प्रचलित व्यवस्था का विस्तार कर दिया है। अवकाश पर गईं सचिव रीना बाबा साहेब कंगाले ने इस आशय के आदेश जारी कर दिए थे।लेकिन हाल ही में बजट सत्र में विपक्ष के इस मुद्दे पर हंगामे के बाबजूद सरकार फैसले पर अडिग है। 1 अप्रैल से राज्य बीज निगम की स्थापित इकाईयों के स्वचलित मशीनों के माध्यम से तैयार रेडी टू ईट बच्चों तक पहुंचाई जानी थी। लेकिन वितरण को लेकर स्पष्ट आदेश जारी नहीं होने की वजह से कोरबा ग्रामीण ,कोरबा शहरी एवं बरपाली परियोजनाओं में रेडी टू ईट पहुंचाने के बाद भी केंद्रों तक टीएचआर नहीं पहुंचा ।इधर जानकारी आ रही है हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि पूर्ववत व्यवस्था के तहत 28 अप्रैल तक रेडी टू इट का संचालन किया जाए। लेकिन इसके बावजूद इतने कम समयावधि में स्पष्ट आदेश के अभाव में रेडी टू ईट केंद्रों तक नहीं पहुंच सका । हसदेव एक्सप्रेस न्यूज ने केंद्रों की व्यवस्था का जायजा लेने कोरबा ग्रामीण एवं करतला के आधा दर्जन केंद्रों की पड़ताल की जहां बच्चों की उपस्थिति नगण्य नजर आई ।

डूमरडीह में एक तो भैसमा में मिले पांच बच्चे

बात करें कोरबा ग्रामीण परियोजना की तो डूमरडीह सेक्टर के आँगनबाड़ी केंद्र सड़कपारा में कार्यकर्ता सहायिका दोनों मौजूद रहीं। केंद्र में बच्चों की दर्ज संख्या 33 बताई गई मौके पर महज एक बच्चा नजर आया । कार्यकर्ता उषा राज ने स्वीकार किया कि रेडी टू ईट के अभाव बच्चों की उपस्थिति प्रभावित हो रही। इसी तरह भैसमा सेक्टर के आँगनबाड़ी केंद्र 2 में कार्यकर्ता सहायिका परिजनों के भरोसे केंद्र छोंड़ नदारद रहीं। केंद्र में महज 5 बच्चे मिले।

महुआ बीनने जाते हैं इसलिए नहीं आए

इन दिनों आँगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों को ग्रामीण क्षेत्रों में माता -पिता अपने साथ महुआ बीनने ले जा रहे जिसकी वजह से बच्चे केवल भोजन करने के समय ही आते हैं। कोरबा ग्रामीण परियोजना के कोरकोमा सेक्टर के केंद्र सलिहाभांठा क्रमांक 2 की सहायिका मानमती खैरवार व करतला परियोजना के बोतली सेक्टर के बाँधापाली क्रमांक -1 की कार्यकर्ता गुलापी बाई ने कुछ इसी तरह की चौकाने वाली वजह बताई। कोरकोमा में दर्ज 20 बच्चे में एक भी बच्चे मौजूद नहीं रहे। तो बाँधापाली में 33 में 10 बच्चे ही उपस्थित मिले।

आदर्श आंगनबाड़ी केंद्र भी दिखा वीरान ,10 .40 में बच्चों की हो गई छुट्टी

करतला परियोजना के नोनबिर्रा सेक्टर के आदर्श आंगनबाड़ी नोनबिर्रा क्रमांक -1 में दर्ज 21 बच्चों में महज 2 बच्चे उपस्थित मिले। कार्यकर्ता हुलसी गोस्वामी का कहना था कि 18 बच्चे आए थे तुरन्त भोजन करके गए थे। पर उनका यह तर्क वास्तविकता से परे लगा। प्रातः 7 बजे से 11 बजे तक आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन करना है लेकिन 10 .40 में ही बच्चों को छोंड़ दिया गया। कार्यकर्ता ने यहां भी स्वीकार किया कि रेडी टू ईट नहीं मिलने की वजह से न केवल 6 माह से 3 वर्ष वरन गर्भवती शिशुवती हितग्राही भी प्रभावित हो रही हैं।

3 परियोजनाओं में बीज निगम पहुंचा चुकी है रेडी टू ईट ,वितरण के लिए आदेश का इंतजार

जानकारी अनुसार जिले के 10 परियोजनाओं में से 3 परियोजना कोरबा ग्रामीण ,कोरबा शहरी एवं बरपाली परियोजना में बीज निगम की रायगढ़ स्थित इकाई ऑटोमोटिव मशीनों से तैयार रेडी टू ईट 10 दिन पहले ही पहुंचा चुकी है। लेकिन वितरण को लेकर स्पष्ट आदेश के अभाव में डीपीओ ने केंद्रों में पहुंचाने को लेकर अभी तक आदेश जारी नहीं किया।

वर्जन

स्पष्ट आदेश का इंतजार

मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में चल रहा है। शासन से भी स्पष्ट दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं ऐसे में जिन परियोजनाओं के लिए रेडी टू ईट की आपूर्ति बीज निगम की इकाइयों में माध्यम से हुई है वहां भी वितरण कर पाना संभव नहीं है। स्पष्ट आदेश जारी होने के उपरांत ही कुछ कह पाएंगे।

एम डी नायक ,डीपीओ ,मबावि