झीरम घाटी मामला : नए जांच आयोग के गठन को नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने हाईकोर्ट में दी चुनौती

बिलासपुर । झीरम घाटी मामले में नए जांच आयोग के गठन को नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने जनहित याचिका दायर कर जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग की रिपोर्ट को 6 महीने के भीतर विधानसभा में रखे बिना नए आयोग का गठन पर सवाल खड़ा किया है। याचिका की सुनवाई 9 मई को होगी।

झीरम घाटी कांड पर नए आयोग गठन को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने अधिवक्ता विवेक शर्मा के जरिये हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। याचिका में कहा गया है कि झीरम घाटी कांड की जांच के लिए पूर्व में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग गठित की थी। आयोग ने 8 साल तक सुनवाई कर जांच करने के बाद शासन को रिपोर्ट सौंप दी है। कानून के मुताबिक, आयोग की जांच रिपोर्ट छह माह के भीतर विधानसभा में पेश कर सार्वजनिक किया जाना था। लेकिन सरकार ने ऐसा न कर रिटायर्ड जस्टिस सुनील अग्निहोत्री और जस्टिस मिन्हाजुद्दीन के न्यायिक जांच आयोग का गठन कर दिया है। लिहाजा, नए आयोग को निरस्त किया जाए।
बता दें कि झीरम घाटी हत्याकांड पर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने 28 मई 2013 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया था. 30 सितंबर 2021 को आयोग का कार्यकाल खत्म होने के बाद 11 नवंबर 2021 को आयोग के सचिव एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) संतोष कुमार तिवारी ने राज्यपाल अनुसुईया उइके को रिपोर्ट सौंप दी थी।
छत्तीसगढ़ सरकार ने जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की बजाए 11 नवंबर 2021 को ही एक नया दो सदस्यीय जांच आयोग का गठन कर दिया। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सतीश के अग्निहोत्री को आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने के साथ न्यायमूर्ति जी. मिन्हाजुद्दीन आयोग का सदस्य नियुक्ति किया गया है। आयोग को जांच के लिए छह महीने का कार्यकाल दिया गया है, आयोग की पहली सुनवाई 19 अप्रैल 2022 को बिलासपुर में हुई थी।

क्या था झीरम घाटी कांड

झीरम घाटी की घटना देश में अब तक सबसे बड़ा नक्सली हमला भी माना जाता है। 25 मई 2013 को हुई इस घटना में बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कई बड़े नेताओं की हत्या कर दी थी। जिसमें दिग्गज नेता नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा विद्याचरण शुक्ल पर हमला हुआ था। नंदकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा सहित अन्य कई नेता हमले में शहीद हो गए थे। जबकि विद्याचरण शुक्ल गंभीर रूप से घायल हुए थे। जिनका बाद में इलाज के दौरान निधन हो गया था।