हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । रेडी टू ईट का निर्माण एवं वितरण व्यवस्था स्थानीय महिला स्व सहायता समूहों से छीनकर राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की इकाई छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड को देने की व्यवस्था रंग नहीं ला रही। स्वचलित मशीनों से पौष्टिक रेडी टू ईट हितग्रहियों तक पहुंचाने की मंशा शुरुआती दौर में ही दम तोड़ रही। उत्पादनकर्ता फर्म छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड आंगनबाड़ी केंद्रों तक रेडी टू ईट का निर्धारित समयावधि में भंडारण करने में नाकाम रहा। लगातार दूसरी माह केंद्र की जगह महज परियोजनाओं में रेडी टू ईट पहुंचाकर अपने दायित्वों से इति श्री करने वाले फर्म की वजह से स्वयं के वेतन से केंद्रों तक रेडी टू ईट ले जाने वालीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने परिवहन व्यय नहीं मिलने से व्यथित होकर कलेक्टोरेट पहुंचकर रेडी टू ईट का उठाव करने से इंकार कर दिया । जिससे जून माह के पहले मंगलवार को बरपाली ,कोरबा ग्रामीण ,कोरबा शहरी ,पोंडी चोटिया ,पसान सहित कई परियोजनाओं के सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्रों में नौनिहालों तक रेडी टू ईट नहीं पहुंचेगा ।
यहां बताना होगा कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 6 माह से 6 वर्ष के
नौनिहालों ,किशोरियों,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के पोषण के लिए कार्य किया जा रहा है। पूर्व में स्थानीय महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से रेडी टू ईट कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा था । गेहूं ,सोया ,चना ,मूंगफली मिश्रित पौष्टिक पोषण आहार रेडी टू ईट य माह से 3 वर्ष तक के बच्चों ,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के लिए प्रत्येक मंगलवार को दिए जाने का प्रावधान है ताकि उन पर कुपोषण की काली छाया न पड़े ,कुपोषित हितग्राही इसके दायरे से बाहर निकल सकें। लेकिन 24 दिसंबर 2021 को छत्तीसगढ़ शासन ने द्वारा कैबिनेट में लिए गए निर्णय अनुसार 1 फरवरी से राज्य बीज निगम की स्थापित इकाईयों के माध्यम से स्वचलित मशीनों के माध्यम से रेडी टू ईट का उत्पादन करने का निर्णय लिया था। इसके पीछे शासन ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाईन का हवाला दिया है जिसमें मानव स्पर्श रहित गुणवत्ता युक्त आवश्यक पोषक तत्वों से भरे रेडी टू ईट बच्चों की सेहत के लिए उपयुक्त बताया गया है। सरकार के इस फैसले से पिछले करीब डेढ़ दशक से रेडी टू ईट का निर्माण कर रहीं स्व सहायता समूह के हाथों से रोजगार छीन गया । 20 हजार से अधिक महिलाएं सीधे तौर पर इससे प्रभावित हुईं ।
1 अप्रैल से राज्य बीज निगम की स्थापित इकाईयों के स्वचलित मशीनों के माध्यम से तैयार रेडी टू ईट बच्चों तक पहुंचाई जा रहा है। जिले में राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की इकाई छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। आपूर्तिकर्ता फर्म को कोरबा में सभी पुराने समूहों का अनुबंध समाप्त हो जाने की वहज से न केवल रेडी टू ईट तैयार करना है वरन सभी 10 परियोजनाओं के 2473 आंगनबाडियों में पहुंचाने का भी दायित्व दिया गया है। लेकिन फर्म ने अप्रैल एवं मई दोनों माह में सीधे परियोजना कार्यालय में ही रेडी टू ईट पहुँचाकर अपने दायित्वों से इति श्री कर ली।शासन के महत्व का कार्य होने की वजह से परियोजना अधिकारियों ने डीपीओ के निर्देश पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को परिवहन व्यय आगामी भविष्य में दिए जाने का हवाला देकर किसी तरह केंद्रों तक रेडी टू ईट की उपलब्धता सुनिश्चित की । लेकिन जून माह में भी वही स्थिति है महज 5 हजार रुपए की मानदेय में काम करने वाली सहायिकाओं को परियोजना केंद्रों से रेडी टू ईट का उठाव का पुनः दबाव बनाए जाने लगा । पहले ही रेडी टू ईट के परिवहन में हजारों रुपए अपने वेतन का खर्च कर चुकीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इस बार अधिकारियों का झूठा आश्वासन समझने में कतई देर नहीं लगी। कार्यकर्ताओं ने केंद्रों से रेडी टू ईट के उठाव से इंकार कर दिया। सोमवार को संघ की जिला अध्यक्ष श्रीमती बीना साहू एवं सचिव श्रीमती सुमन सारथी के नेतृत्व में कलेक्टोरेट पहुंचकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंप रेडी टू ईट का उठाव स्वयं के वाहन से केंद्रों तक करने से इंकार कर दिया।संघ की पदाधिकारियों ने बताया कि पूर्ववत व्यवस्था बेहतर थी समूह केंद्रों तक रेडी टू ईट की आपूर्ति करती थी जिससे समय पर हितग्राहियों को वितरण सुनिश्चित हो रहा था पर बीज निगम की स्थापित इकाइयों को देने के बाद व्यवस्था चरमरा गई है। केंद्रों तक रेडी टू ईट नहीं पहुंचाया जा रहा। अधिकारी परियोजना से रेडी टू ईट उठाने दबाव बना रहे नहीं ले जाएंगे तो हितग्राहियों को नहीं बंटेगा तो वहां से भी हम पर दबाव बनाया जाएगा। दोनों ही स्थिति में कार्यकर्ता ही पीस रही हैं। इसलिए संघ ने निर्णय लिया है कि रेडी टू ईट को परियोजना से उठाव नहीं किया जाएगा।

तो कहीं कमीशन का तो नहीं चल रहा खेल !
जिस तरह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को रेडी टू ईट परियोजना केंद्रों से ले जाने दबाव बनाया जा रहा है उन्हें परिवहन व्यय भी नहीं दिया जा रहा उससे व्यापक पैमाने पर भष्ट्राचार को बल मिल रहा। प्रतिमाह करीब 2400 आंगनबाडी केंद्रों में रेडी टू ईट की आपूर्ति के लिए तकरीबन 10 लाख रुपए परिवहन व्यय में ही खर्च हो जाएगा।फर्म यह राशि शुद्ध तौर पर बचा रही। वहीं पर्याप्त मात्रा में रेडी टू ईट भी नहीं पहुंचने की जानकारी सामने आ रही । ऐसे में कमीशन के खेल में अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही। बताया जा रहा है फर्म जिले में गोदाम की तलाश में जुटी है।

वर्जन
आजकल में पहुंच जाएगा,फर्म तलाश रही गोदाम
अधिकांश परियोजनाओं में रेडी टू ईट पहुंच गया है। जिन परियोजनाओं में नहीं पहुंचा है एक दो दिन में पहुंच जाएगा। फर्म के लोग यहां पहुंचे हैं रेडी टू ईट के भंडारण के लिए गोदाम की तलाश कर रहे।
एम डी नायक ,डीपीओ ,मबावि